Kathak Visharad 2nd Year Syllabus In Hindi Gandharva Mahavidyalaya

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Kathak Visharad 2nd Year Syllabus In Hindi

कथक

परीक्षा के अंक

पूर्णाक:400

शास्त्र: 150

न्यूनतम :52

क्रियात्मक:250(क्रिया200+ मंच प्रदर्शन:50)

शास्त्र प्रथम

प्रश्न-पत्र:-
  1. प्राचीन नृत्य संबंधी घटनाओं की जानकारी।
  2. मध्य युगीन ग्रन्थों की जानकारी।
  3. नवरसों का पूर्ण ज्ञान।
  4. नायिका भेद का विस्तृत ज्ञान।
    • धर्म भेंद से नायिका, स्वकीया, परकीया, सामान्य।
    • आयु विचार से नायिका, मुग्धा, मध्या, प्रौढ़ा।
    • प्रकृति अनुसार नायिका उत्तमा, मध्यमा, अधमा।
    • जाति भेंद से नायिका पदमणी, चित्रणी, शंखिनी और हस्तिनी।
    • परिस्थिति अनुसार अष्ट नायिकाओं में से कलहान्तरिता, वासक सज्जा, विरहोत्कंठिता, स्वाधीन पतिका।
  5. ओडिसी, कुच्चिपुडी तथा मोहिनी अट्टम नृत्य की व्याख्या तथा वाद्यो व  वस्त्रों की जानकारी।
  6. लय और ताल का उदगम तथा कथक नृत्य में महत्व।
  7. नाट्यशास्त्र तथा अभिनय दर्पण के अनुसार संयुक्त और असंयुक्त मुद्राओं का तौलनिक अभ्यास।
  8. छोटी सवारी (15), शिखर (17) में आमद, तिहाई, तोड़ा, परन आदि को लिपिबद्ध करना।
  9. रामायण, महाभारत, भागवत पुराण,तथा गीत गोविंद की संक्षेप में जानकारी।
द्वितीय प्रश्न-पत्र

अंक:75, न्यूनतम:26

  1. निम्नलिखित पात्रों की मुद्राएं (अभिनव दर्पणानुसार)।      ब्रह्मा, विष्णु, सरस्वती, पार्वती, लक्ष्मी, इन्द्र, अग्नि, यम, वरूण, वायु तथा दसावतार संबंधी( मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, बलराम, कृष्ण, कल्कि)
  2. पौराणिक साहित्य में नृत्य के संदर्भ।
  3. जीवनियाँ: गुरू सुन्दर प्रसाद, गुरू मोहनराव कल्याण पूरकर, महाराज कृष्ण कुमार, पं० बिरजू महाराज।
  4. नृत्य में लोकधर्मी, नाट्यधर्मी की परिभाषा तथा प्रयोग।
  5. विदेशों में भारतीय नृत्यकला की लोकप्रियता।
  6. आधुनिक काल के नृत्य में विकसित होने वाले नये तकनीक तथा उनका स्वरूप(ध्वनि संयोजन, प्रकाश सज्जा, नेपथ्य, सायक्लोरामा,स्लाइड्स आदि)।
  7. कथक नृत्य में कवित्त तथा ठुमरी का स्थान।
  8. गायन, वादन, चित्रकला, मूर्तिकला तथा साहित्य का नृत्य से सम्बन्ध।
  9. मत्त ताल (18) व रास ताल (13) में आमद, तोड़ा, परन, चक्कदार तोड़ा, फरमाइशी परन, परमेलू आदि।

क्रियात्मक

  1. विष्णु वंदना(राग, ताल, तथा शब्दों की जानकारी)।
  2. छोटी सवारी (15), शिखर (17), मत्तताल (18), रास ताल (13) में विशेष तैयारी।
  3. तीनताल, झपताल, रूपक की सादे ठेके पर नाँचना।
  4. छोटी- छोटी कथाओं पर नृत्य निर्मित करना।
  5. ततकार में बाँट, लडी, चलन का विस्तार आदि का प्रदर्शन।
  6. गतभाव में दक्षता, कांचन मृग ( सीताहरण तक) और कंसवध (कथा कहकर अभिनय अनिवार्य)।
  7. बैठकर ठुमरी या पद की पंक्ति पर अनेकों प्रकार से संचारी भाव का विस्तार करना।
  8. सभी तालों की रचनाओं को ताल देकर पढना।
  9. त्रिवट, तराना, चतुरंग, अष्टपदी, स्तुति आदि में से किन्हीं दो का प्रदर्शन( राग, ताल, शब्द- परिचय)।
  10. नवरसों को बैठकर केवल चेहरे द्वारा व्यक्त करने की क्षमता।
  11. दशावतारों संबंधी किसी रचना पर प्रदर्शन(रचनाकार, राग, ताल आदि का ज्ञान)।
  12. तीनताल में लय के साथ भृकुटी, ग्रीवा आदि का संचालन।
  13. तीनताल का नगमा(लहरा) गाने या बजाने की क्षमता।
  14. परीक्षक द्वारा दिये गए प्रसंग को तुरन्त प्रस्तुत करना।
  15. अष्ट नायिकाओं पर भाव प्रस्तुति।

मंच प्रदर्शन-  

स्वतंत्र रूप से विधिवत मंच प्रदर्शन अनिवार्य (20 से 30 मिनट तक)।

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