Kathak Visharad 1st Year Syllabus In Hindi Gandharva Mahavidyalaya

4.7/5 - (4 votes)

Kathak Visharad 1st Year Syllabus In Hindi

कथक

परीक्षा के अंक

पूर्णाक:400,

शास्त्र:150

क्रियात्मक:250( क्रिया:200+ मंच प्रदर्शन50)

शास्त्र प्रथम

प्रश्न-पत्र
  1. नाट्य की उत्पत्ति(भरतानुसार), नाट्य का प्रयोग तथा नाट्य का प्रयोजन।
  2. नवरसों की परिभाषा।
  3. नायक के चार भेंद-धीरोद्धत, धीरललित, धीरोदात्त, धीरप्रशांत।
  4. चार प्रकार की नायिका और उनकी परिभाषा, अभिसारिका, खण्डिता, विप्रलब्धा तथा प्रोषितपतिका।
  5. दशावतार में से मत्स्य, वराह, कूर्म तथा नरसिंह अवतार की कथा तथा उनकी मुद्राएं।
  6. ताल के दस प्राणों की व्याख्या।
  7. भरतनाट्यम, मणिपुरी तथा कथकली नृत्य की जानकारी। इनकी वेशभूषा तथा वाद्यो का ज्ञान।
  8. तीनताल, झपताल, धमार में आमद, बेदम तिहाई, फरमाइशी परन तथा चक्कदार परन, तिपल्ली तथा कवित्त को लिपिबद्ध करना।
  9. (अ) गुरु शिष्य परम्परा का महत्व। (ब) शिष्य के गुण तथा गुरु के प्रति उसके कर्तव्य।
द्वितीय प्रश्नपत्र

  1. रस की निष्पत्ति, स्थाई भाव, भाव,विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी भाव आदि की परिभाषा।
  2. निम्नलिखित पारिभाषिक शब्दों का ज्ञान- तिपल्ली, कवित्त, फरमाइशी परने, कमाली परन, बेदम तिहाई, त्रिभंग, सुढंग, लाग- डाँट, अनुलोम, प्रतिलोम, भ्रमरी, न्यास- विन्यास।
  3. कथक नृत्य में प्रयुक्त होने वाले निम्नलिखित गीत प्रकारों की व्याख्या: अष्टपदी, ध्रुपद, ठुमरी, चतुरंग, त्रिवट, तराना, चैती, कजरी, होरी।
  4. कथक नृत्य में नवाब वाजिद अली शाह तथा रायगढ़ के महाराज चक्रधर सिंह का योगदान।
  5. रासताल13, धमार14, गजझम्पा15, पंचम सवारी 15 में आमद, तिहाई, तोड़ा, चक्कदार परन तथा कवित्त आदि को लिपिबद्ध करना।
  6. जीवनियाँ:- नटराज गोपीकृष्ण, कथक साम्राज्ञी सितारा देवी, पंडित दुर्गालाल व गुरु कुन्दनलाल गंगानी।
  7. निबन्ध ज्ञान: (1) राम तथा कथक, (2) ठुमरी का कथक नृत्य सें सम्बन्ध।
  8. नर्तक/नर्तकी के गुण और दोष।

क्रियात्मक

  1. सरस्वती वंदना।
  2. तीनताल के अतिरिक्त झपताल में विशेष तैयारी।
  3. गजझम्पा या छोटी सवारी (पंचम सवारी) तथा रास और धमार में ठेके की ठाह,दुगुन, ठाठ, आमद, दो तोड़े, एक परन तथा एक कवित्त का प्रदर्शन।
  4. गतनिकास; आंचल, नाव , घूघँट के प्रकार। गतभाव: पिछले वर्षों के सभी गतभावों का प्रदर्शन तथा द्रौपदी चीरहरण।
  5. ठुमरी भाव( शब्द, राग, ताल की जानकारी आवश्यक)।
  6. एक तराना या त्रिवट किसी ताल में।
  7. हाथ से ताली लगाकर सभी बोलों की पढन्त।
  8. अभिसारिका, खण्डिता, विप्रलब्धा तथा प्रोषितपतिका नायिका पर गतभाव या इनसे संबंधित पद या ठुमरी पर भाव नृत्य।
  9. तीनताल या झपताल की ततकार में लड़ी या चलन।
  10. अभिनय दर्पण का श्लोक “आंगिक भुवन यस्य”।
  11. पिछले संत कवियों को छोड़कर अन्य किन्हीं दो संत कवियों के कविता या भजन पर भाव दिखाना तथा दोनों संत कवियों का परिचय देना।

मंच प्रदर्शन-

  • स्वतंत्र रूप से विधिवत मंच प्रदर्शन अनिवार्य  ( 20 से 30 मिनट तक)।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top