Shudha Chayalag & Sankirn in Hindi is described in this post available on saraswati sangeet sadhana
शुद्ध , छायालग और संकीर्ण –
शुद्ध राग –
प्राचीन काल से रागों को विभिन्न भागों में विभाजित करने के अनेक प्रयत्न हुए हैं । यह उनमें से एक हैं । जिस राग में किसी राग की छाया नहीं आती है वह शुद्ध राग कहलता है जैसे – बिलावल , तोड़ी , यमन आदि
छायालग राग –
जिसमें केवल 2 रागों का मिश्रण हो वह छायालग राग कहलता है जैसे – पूरिया – धनाश्री , भैरव बहार आदि
संकीर्ण राग –
जिसमें दो से अधिक रागों का मिश्रण हो , वह संकीर्ण राग कहलता है । जैसे भैरवी , पीलू आदि ।
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