Ek thaat se 484 rago ki utpatti

Ek thaat se 484 rago ki utpatti in hindi

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Ek thaat se 484 rago ki utpatti in Hindi is described in this post available on saraswati sangeet sadhana

एक थाट से 484 रागों की उत्पत्ति

राग की 6जातियों के आधार पर एक थाट से कुल 484 रागों की रचना हो सकती है। हम बता चुके हैं कि राग की मुख्य तीन जातियों के विभिन्न मिश्रण से 6 जातियाँ बनी जिनके नाम हैं, (1) सम्पूर्ण सम्पूर्ण-आरोह व अवरोह दोनों में 7-7 स्वर, (2) सम्पूर्ण षाडव-आरोह में 7 और अवरोह में 6. (3) सम्पूर्ण औडव-आरोह में 7 और अवरोह में 5 (4) षाडव सम्पूर्ण-आरोह में 6 और अवरोह7 में स्वर, (5) षाडव षाडव- 6-6. (6) षाडव-औडव-6 और 5 (7) औडव-सम्पूर्ण-5 और 7. (8) औडव षाडव-5 और 6स्वर और (6) औडव औडव-आरोह-अवरोह दोनों में 5-5 स्वर रागों की रचना-विधि समझने के लिये हम उदाहरण के लिये बिलावल थाट को लेते हैं, जिसके सातों स्वर शुद्ध होते हैं। सर्व प्रथम मुख्य तीन जातियों के आरोहों की रचना करेंगे।

सम्पूर्ण जाति का केवल एक आरोह बन सकता है। कारण यह है कि किसी घाट में अधिक से अधिक सात शुद्ध स्वर होते है और सम्पूर्ण जाति के आरोह में सातों स्वर प्रयोग होंगे।

षांडव जाति के 6 आरोह बन सकते हैं क्योंकि आरोह में छ स्वर प्रयोग किये जाते है। इसलिये प्रत्येक राग के आरोह में सा के अतिरिक्त सप्तक के सभी स्वरों को बारी-बारी छोड़ते जायेंगे। पहली बार रे, दूसरी बार ग, तीसरी बार म आदि क्रम से स्वर छोड़ेंगे। सा के अतिरिक्त सप्तक में 6 स्वर होते है, इसलिए जाति के 6 आरोह उत्पन्न होंगे।

औडव जाति के 15 आरोह बन सकते हैं। औडव जाति में 5 स्वर लगते है। सप्तक में 7 शुद्ध स्वर होते हैं, इसलिये औडव जाति के प्रत्येक राग में बारी बारी से दो स्वर छोड़ते जायेंगे। इन दो स्वरों की 15 जोड़ियों होंगी-रेग, रेम, रेप रेघ, रेनि, गम, गप, गध, गनि, मप, पध, मनि, मध, पनि और धनि। अत औडव जाति के 15आरोहों की रचना हो सकेगी। प्रत्येक बार सप्तक से इन जोड़ियों को निकालते जायेंगे और फलस्वरूप 15 रागों की रचना होगी। उदाहरणार्थ पहले राग का आरोह सा xx म प ध नी सां (रे ग वर्ज्य) और दूसरे का सा x ग x पधनी सां (र और म वर्ज्य) होगा इत्यादि ।

नवों जाति के रागों की रचना इसकी सरल विधि यह है कि हम विभिन्न जाति के आरोह-अवरोहों को क्रमश मिलाते जायेंगे। सम्पूर्ण सम्पूर्ण जाति का केवल एक राग उत्पन्न होगा क्योंकि सम्पूर्ण जाति का आरोह अथवा अवरोह केवल एक होता है।

सम्पूर्ण षाडव जाति के 6 राग उत्पन्न होंगे। प्रत्येक में आरोह तो एक ही रहेगा, क्योंकि प्रत्येक का आरोह सम्पूर्ण है और अवरोह क्रमशः बदलता रहेगा। षाडव जाति के 6 अवरोह बनते हैं। अतः एक आरोह को क्रमशः 6अवरोहों से 6 मिलाने पर 6राग उत्पन्न होंगे।

सम्पूर्ण औडव जाति के 15 राग उत्पन्न होंगे। इनमें भी आरोह एक रहेगा और अवरोह क्रमशः बदलता जायेगा। पीछे हम बता चुके हैं कि औडव जाति के 15 अवरोह उत्पन्न होते हैं। उदाहरण के लिए प्रथम अवरोह में ग रे स्वर वर्जित होंगे और उसका स्वरूप सां नी ध प म xx सा होगा। इसी प्रकार दूसरे अवरोह मे म रे स्वर वर्जित होंगे और इसका स्वरूप सां नी ध प  xगxसा  इत्यादि-इत्यादि। इस प्रकार 15 अवरोहों से बारी-बारी सम्पूर्ण आरोह जोड़ जायेंगे। षाडव-सम्पूर्ण जाति के छः राग उत्पन्न होंगे। प्रत्येक के आरोह में सा के अतिरिक्त सभी स्वरों को बारी-बारी छोड़ा जायेगा और अवरोह प्रत्येक का समान होगा।

षाडव-षाडव जाति के 6 x 6 = 36 (छत्तीस) राग उत्पन्न होंगे। पीछे हम बता चुके हैं कि षाडव जाति के 6 आरोह बन सकते हैं और उतने ही अवरो षाडव जाति के प्रथम आरोह को, जिसमें ऋषम स्वर वर्जित है. क्रमशः छहो अवरोहों से जोड़ते जायेंगे। इस प्रकार केवल प्रथम आरोह के मिश्रण से छः रोग उत्पन्न होते हैं। अब दूसरे आरोह को लेंगे जिसमें ग स्वर वर्जित है। इस आरोह को क्रमशः छहों से जोड़ने पर दूसरे छः राग उत्पन्न होंगे। इसी प्रकार तीसरे चौथे, पाँचवें और छठवें आरोह को लेंगे और छहो अवरोहों से क्रमश: मिलाते जायेंगे। प्रत्येक आरोह से छः राग उत्पन्न होंगे। कुल छ आरोह है. इसलिये षाडव जाति के कुल 6 x 6 = 36 राग उत्पन्न होंगे। आगे षाडव जाति के छ राग, जो केवल एक आरोह से उत्पन्न हुये हैं, दिये जा रहे हैं

आरोह (षाडव)               अवरोह (षाडव) 1-साx ग म प ध नि सां            सां नि ध प म ग ×सा

2 – “   “  “  “                          सा नि ध प म × रे सा  3 – “ “ “ “                             सां नि ध प × ग रे सा

4 – “ “ “ “                            सां नि ध × म ग रे सा

5 – “ “ “ “                          सां नि × प म ग रे सा

6 – “ “ “ “                         सां × ध प म ग रे सा 

षाडव-औडव जाति के 6 x 15 = 90 (नब्बे) राग उत्पन्न होंगे। इनमें भी प्रत्येक आरोह को बारी-बारी अवरोहों से मिलाना होगा। षाडव जाति के 6आरोह  और औडव जाति के 15 अवरोहों की रचना हो सकती है। प्रत्येक आरोह को क्रमशः 15अवरोहों से जोड़कर रागों की रचना करेंगे आगे एक उदाहरण देखिये –

षाडव जाति के अवरोह   ओडव जाति के अवरोह

1-      सा × रे ग म प ध नि।    नि ध प म  × × सा

2-      “   “    “                    नि ध प × ग × सा

3-      “   “     “                    नि ध × म ग × सा

4-      “    “    “                     नि × प म ग × सा

5-      “     “    “                    × ध प म ग × सा

6-      “    “     “                    नि ध प × × रे सा

7-      “    “     “                    नि ध × म × रे सा

8-      “    “     “                    नि × प म × रे सा

9-      “     “    “                    × ध प म × रे सा

10-    “     “   “                  नि ध × × ग रे सा

11-    “     “    “                 नि ×  प × ग रे सा

12-    “    “      “                 × ध प × ग रे सा

13-    “    “      “                नि × × म ग रे सा

14-    “     “     “                × ध × म ग रे सा

15-    “      “     “              × ×  प म ग रे सा

इस प्रकार 15 राग उत्पन्न होते हैं, जब कि उपर्युक्त सभी रागों का आरोह एक ही है। अगर हम षाडव जाति का दूसरा आरोह लें जिसमें ग स्वर वर्जित है और उपर्युक्त 15 अवरोहों से क्रमशः जोड़ दें तो षाडव-औडव जाति के 15अन्य नये राग बन जायेंगे। इसी प्रकार षाडव जाति के शेष चार अवरोहों को ऑडव जाति के 15 अवरोहों से क्रमशः जोड़ते जायेंगे और प्रत्येक बार 15नये रागों की रचना होगी। इस प्रकार कुल 6 x 15= 90 रागों की रचना हो सकेगी।

औडव-सम्पूर्ण जाति के 15 रागों की रचना होगी। प्रत्येक में केवल आरोह बदलेगा और अवरोह वही रहेगा। औडव जाति के कुल 15 आरोह बन सकते हैं. इसलिये औडव- सम्पूर्ण जाति के 15 राग बनेंगे।

औडव षाडव जाति के 15 x 6 = 90 रागों की रचना होगी। ऑडव जाति के 15 आरोह और षाडव जाति के 6 अवरोह बन सकते हैं। अतः पीछे बताई गई विधि से आरोह-अवरोह के मिश्रण से 90 रागों की रचना हो सकेगी।

औडव-औडव जाति के 15 ×15= 225  राग सकेंगे। इसमें भी उपर्युक्त विधि का पालन करना है।

इस प्रकार कुल  1+6+15+6+36+90+15+90 +225=484 उत्पन्न हो सकेंगे।

1- सम्पूर्ण सम्पूर्ण        1

2- सम्पूर्ण षाडव         6

3- सम्पूर्ण औडव        15

4- षाडव-सम्पूर्ण          6

5- षाडव षाडव           36

6- षाडव औडव।         90

7- औडव- सम्पूर्ण        15

8- औडव षाडव           90

 9-औडव-औडव        225

                       कुल 484 राग

इस प्रकार एक थाट से गणित के द्वारा अधिक से अधिक ४८४ राग उत्पन्न होते हैं। दसो थाटों से ४८४० रागों की रचना हो सकती है। हम जानते हैं कि किसी भी राग के स्वरों में अगर कोई परिवर्तन न करें, केवल वादी सम्वादी ही बदल दें तो राग बदल जाता है। ऐसा करने से रागों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है, किन्तु सभी राग गाने योग्य और मधुर नहीं होंगे, इसलिये प्रचार में अधिक से अधिक दो सौ राग हैं।

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