पंचम जोगेश्वरी राग को काफी थाट जन्य माना गया है। इसमें निषाद कोमल, दोनों गंधार तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये गये हैं। इस राग में रिषभ वर्जित है पंचम केवल आरोह में वर्जित है |गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर है। वादी म और संवादी सा है। जाति औडव- षडाव है।
Pancham Jogeshwari Raag
How To Read Sargam Notes
- “(k)” is used for komal swars.eg – ( रे(k) , ग(k) , ध(k) , नि(k) ) (Note – You can write ( रे , ग , ध , नि ) in this manner in exams . )
- म(t) here “(t)” is used for showing teevra swar म(t) . (Note – You can write ( म॑ ) in this manner in exams . )
- “-” is used for stretching the swars according to the song.
- Swars written “रेग” in this manner means they are playing fast or two swars on one beat.
- (रे)सा here “रे” is kan swar or sparsh swar and “सा” is mool swar. (Note – You can write ( रेसा ) in this manner in exams . )
- [ नि – प ] here this braket [ ] is used for showing Meend from “नि” swar to “प” . (Note – You can write ( नि प ) making arc under the swars in this manner in exams . )
- { निसां रेंसां नि } here this braket {} is used for showing Khatka in which swars are playing fast .
Pancham Jogeshwari Raag Parichay
आरोह- सा ग म ध नि(k) सां
अवरोह – सां नि(k) ध म ग म प म ग(k) सा-
जाति – औडव- षडाव(5,6)
वर्जित स्वर – इस राग में रिषभ वर्जित है पंचम केवल आरोह में वर्जित है|
थाट –काफी थाट
वादी-संवादी स्वर -म सा
गायन समय -रात्रि का दूसरा प्रहर (9 pm to 12 am)
विशेषता –
यह राग आचार्य तनरंग जी की कल्पना है, जिसमें पंचम का उपयोग अवरोह में विशेष रूप से किया जाता है।
पंडित रवि शंकर द्वारा बनाए गए राग जोगेश्वरी से इस राग में पंचम की उपस्थिति के कारण थोड़ी सी भिन्नता है। अवरोह में पंचम का उपयोग इस प्रकार से किया जाता है – सा ग म ग(k) सा – ग म (प) म ग(k) सा – सा ग म प म – प ग म ग(k) सा – ग म ध म ग – ग म ध नि(k) ध म ग – ग म (प) म ग(k) सा
अवरोह में धैवत से मध्यम की ओर आते हुए पंचम का उपयोग नहीं किया जाता।
पंचम का अधिकतर कण स्वर के रूप में प्रयोग किया जाता है। पंचम को म (प) म या ग म प म ग(k) सा इस तरह से लगाया जाता है।
राग पंचम जोगेश्वरी और राग जोगेश्वरी का चलन एक जैसा ही प्रतीत होता है जिसमें पूर्वांग में राग जोग और उत्तरांग में राग रागेश्री का मिश्रण है।
स्वर संगतियाँ –
ध ,नि(k) ,ध ,नि(k) सा – सा ,नि(k) ग(k) सा – सा ग ग म – म ग म ग(k) सा – सा ग म प म – म ग म ध – ग म म ध – ध म ध ग म – म ग (प) म ग(k) सा – सा ग म ध नि(k) ध नि(k) सां – सां ग(k)’ सां नि(k) ध – सां नि(k) ध म – नि(k) ध म ग – ध म ग म – (प) म ग(k) सा –
पंचम जोगेश्वरी राग प्रश्न उत्तर –
पंचम जोगेश्वरी राग के आरोह अवरोह पकड़ क्या हैं ?
आरोह- सा ग म ध नि(k) सां
अवरोह – सां नि(k) ध म ग म प म ग(k) सा-
पंचम जोगेश्वरी राग की जाति क्या है ?
जाति – औडव- षडाव(5,6)
पंचम जोगेश्वरी राग का गायन समय क्या है ?
गायन समय -रात्रि का दूसरा प्रहर (9 pm to 12 am)
पंचम जोगेश्वरी राग में कौन से स्वर लगते हैं ?
आरोह- सा ग म ध नि(k) सां
अवरोह – सां नि(k) ध म ग म प म ग(k) सा-
पंचम जोगेश्वरी राग का थाट क्या है ?
थाट -काफी थाट
पंचम जोगेश्वरी राग के वादी संवादी स्वर कौन से हैं ?
वादी-संवादी स्वर -म सा
पंचम जोगेश्वरी राग के वर्जित स्वर कौन से हैं ?
वर्जित स्वर – इस राग में रिषभ वर्जित है पंचम केवल आरोह में वर्जित है|
पंचम जोगेश्वरी राग का परिचय क्या है ?
पंचम जोगेश्वरी राग को काफी थाट जन्य माना गया है। इसमें निषाद कोमल, दोनों गंधार तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये गये हैं। इस राग में रिषभ वर्जित है पंचम केवल आरोह में वर्जित है |गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर है। वादी म और संवादी सा है। जाति औडव- षडाव है।