श्री रंजनी राग Shri Ranjani Raag Bandish 16 Matras Allap Taan Music Notes In Hindi
श्री रंजनी राग दक्षिण का राग है। यह काफी थाट का एक षाडव प्रकार है। इसमें पंचम वर्ज्य है । […]
श्री रंजनी राग दक्षिण का राग है। यह काफी थाट का एक षाडव प्रकार है। इसमें पंचम वर्ज्य है । […]
राग पलासी, भीमपलासी का एक घटक है, ऐसा कुछ प्राचीन सम्प्रदाय के गायकों का मत है । भीम तथा पलासी
रूप मंजरी मल्लार राग, मल्लार का एक प्रकार है जो काफी थाट से उत्पन्न होता है । इसमें दोनों गांधार
चरजू की मल्लार राग काफी थाट से उत्पन्न होता है । इसके पूर्वाङ्ग में ‘म रे’ यह स्वर-संगति और उत्तरांग
राग मीरा मल्हार या मीराबाई की मल्हार काफी थाट का जन्य राग माना जाता है। राग मीराबाई की मल्हार, मल्हार
तिलंग बहार राग को तिलंग के प्रबल होने पर खमाज थाट जन्य माना गया है और बहार के प्रबल होने
सूरदासी-मल्हार राग को काफी थाट जन्य माना गया है। इस राग में निषाद दोनों तथा तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग
शिवरंजनी राग को काफी थाट जन्य माना गया है। इसमें गंधार कोमल तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये गये हैं।
शहाना कान्हडा राग को काफी थाट जन्य माना गया है। इसमें गंधार व निषाद कोमल तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग
पंचम जोगेश्वरी राग को काफी थाट जन्य माना गया है। इसमें निषाद कोमल, दोनों गंधार तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग