परमेश्वरी राग में रिषभ, गंधार व निषाद कोमल तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये गये हैं। इस राग में पंचम वर्जित है |गायन समय दिन का दूसरा प्रहर है। वादी म और संवादी सा है। जाति षडाव- षडाव है।
Parameshwari Raag
How To Read Sargam Notes
- “(k)” is used for komal swars.eg – ( रे(k) , ग(k) , ध(k) , नि(k) ) (Note – You can write ( रे , ग , ध , नि ) in this manner in exams . )
- म(t) here “(t)” is used for showing teevra swar म(t) . (Note – You can write ( म॑ ) in this manner in exams . )
- “-” is used for stretching the swars according to the song.
- Swars written “रेग” in this manner means they are playing fast or two swars on one beat.
- (रे)सा here “रे” is kan swar or sparsh swar and “सा” is mool swar. (Note – You can write ( रेसा ) in this manner in exams . )
- [ नि – प ] here this braket [ ] is used for showing Meend from “नि” swar to “प” . (Note – You can write ( नि प ) making arc under the swars in this manner in exams . )
- { निसां रेंसां नि } here this braket {} is used for showing Khatka in which swars are playing fast .
Parameshwari Raag Parichay
आरोह- सा रे(k) ग(k) म ध नि(k) सां
अवरोह- सां नि(k) ध म ग(k) रे(k) सा-
वादी-संवादी स्वर -म सा
वर्जित स्वर -प
जाति- षडाव- षडाव (6,6)
गायन समय – दिन का दूसरा प्रहर (9 am to 12 pm)
विशेषता –
- यह राग पंडित रवि शंकर जी द्वारा रचित है। यह राग बहुत ही मधुर है लेकिन अप्रचलित है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है।
स्वर संगतियाँ –
सा रे(k) ग(k) म – ग(k) म ध म – म ध नि(k) सां – ध नि(k) रें(k) सां – सां नि(k) ध म – म ग(k) रे(k)- ग(k) रे(k) ,नि(k) ,ध – ,ध ,नि(k) रे(k) सा –
परमेश्वरी राग प्रश्न उत्तर –
परमेश्वरी राग के आरोह अवरोह पकड़ क्या हैं ?
आरोह- सा रे(k) ग(k) म ध नि(k) सां
अवरोह- सां नि(k) ध म ग(k) रे(k) सा-
परमेश्वरी राग की जाति क्या है ?
जाति – षडाव- षडाव (6,6)
परमेश्वरी राग का गायन समय क्या है ?
गायन समय – दिन का दूसरा प्रहर (9 am to 12 pm)
परमेश्वरी राग में कौन से स्वर लगते हैं ?
आरोह- सा रे(k) ग(k) म ध नि(k) सां
अवरोह- सां नि(k) ध म ग(k) रे(k) सा-
परमेश्वरी राग के वादी संवादी स्वर कौन से हैं ?
वादी-संवादी स्वर -म सा
परमेश्वरी राग के वर्जित स्वर कौन से हैं ?
वर्जित स्वर -प
परमेश्वरी राग का परिचय क्या है ?
परमेश्वरी राग में रिषभ, गंधार व निषाद कोमल तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये गये हैं। इस राग में पंचम वर्जित है |गायन समय दिन का दूसरा प्रहर है। वादी म और संवादी सा है। जाति षडाव- षडाव है।