Definition Of Nataraja Dance In Hindi
नटराज की परिभाषा
- नटराज शिवजी का एक नाम है उस रूप में जिस में वह सबसे उत्तम नर्तक हैं।
- नटराज दो शब्दों के समावेश से बना है – नट (अर्थात कला) और राज। इस स्वरूप में शिव कालाओं के आधार हैं। शिव का तांडव नृत्य प्रसिद्ध है।
शिव के दो स्वरूप –
- शिव के तांडव के दो स्वरूप हैं। पहला उनके क्रोध का परिचायक, प्रलयकारी रौद्र तांडव तथा दूसरा आनंद प्रदान करने वाला आनंद तांडव।
- रौद्र तांडव करने वाले शिव रुद्र कहे जाते हैं, आनंद तांडव करने वाले शिव नटराज।
- शिव का नटराज स्वरूप भी उनके अन्य स्वरूपों की ही भांति मनमोहक तथा उसकी अनेक व्याख्याएँ हैं।
- नटराज शिव की प्रसिद्ध प्राचीन मूर्ति के चार भुजाएँ हैं, उनके चारों ओर अग्नि के घेरें हैं।
- उनका एक पाँव से उन्होंने एक बौने(अकश्मा) को दबा रखा है, एवं दूसरा पाँव नृत्य मुद्रा में ऊपर की ओर उठा हुआ है।
- उन्होंने अपने पहले दाहिने हाथ में (जो कि ऊपर की ओर उठा हुआ है) डमरु पकड़ा हुआ है। डमरू की आवाज सृजन का प्रतीक है।
- इस प्रकार यहाँ शिव की सृजनात्मक शक्ति का द्योतक है। ऊपर की ओर उठे हुए उनके दूसरे हाथ में अग्नि है। यहाँ अग्नि विनाश का प्रतीक है।
- इसका अर्थ यह है कि शिव ही एक हाथ से सृजन करतें हैं तथा दूसरे हाथ से विलय। उनका दूसरा दाहिना हाथ अभय (या आशीष) मुद्रा में उठा हुआ है जो कि हमें बुराईयों से रक्षा करता है।
- उठा हुआ पांव मोक्ष का द्योतक है। उनका दूसरा बाया हाथ उनके उठे हुए पांव की ओर इंगित करता है। इसका अर्थ यह है कि शिव मोक्ष के मार्ग का सुझाव करते हैं। इसका अर्थ यह भी है कि शिव के चरणों में ही मोक्ष है।
- उनके पांव के नीचे कुचला हुआ बौना दानव अज्ञान का प्रतीक है जो कि शिव द्वारा नष्ट किया जाता है। शिव अज्ञान का विनाश करते हैं।
- चारों ओर उठ रही आग की लपटें इस ब्रह्माण्ड की प्रतीक हैं। उनके शरीर पर से लहराते सर्प कुण्डलिनी शक्ति के द्योतक हैं।
- उनकी संपूर्ण आकृति ॐ कार स्वरूप जैसी दिखती है। यह इस बात को इंगित करता है कि ॐ शिव में ही निहित है।