Kathak Madhyama 2nd Year Syllabus In Hindi
कथक
परीक्षा के अंक
पूर्णाक: 250
शास्त्र: 100
क्रियात्मक:150
शास्त्र
- कथक नृत्य का मंदिर परम्परा और दरबार परम्परा का संपूर्ण ज्ञान।
- (अ) बनारस घराने की विशेताए।
(ब) जयपुर, लखनऊ घराने की संपूर्ण परम्परा का ज्ञान (वंश परम्परा सहित)
- भौ संचालन तथा दृष्टि भेंद के प्रकार और उनका प्रयोग (अभिनव दर्पणानुसार)।
- लास्य तथा ताण्डव की व्याख्या और उनके प्रकार।
- तीनताल के ठेकों को आधी ½, पौनी ¾ , कुआड़ी 1, ¼ आड़ी, ½ डेढी, बिआड़ी 1, ¾ (पौने दो) लय में लिपिबद्ध करना।
- (क) अभिनय की स्पष्ट परिभाषा।
(ख) आंगिक- अभिनय, वाचिक- अभिनय, आहार्य- अभिनय, सात्विक- अभिनय की व्याख्या तथा प्रयोग।
- संयुक्त हस्त की निम्नलिखित मुद्राओं की परिभाषा तथा प्रयोग: चक्र, सम्पुट, पास, कीलक , मत्स्य, कूर्म, वराह, गरुड़, नागबन्ध, खटवा, भेरूण्ड।
- जीवनियां- पं० अच्छन महाराज, पं० शम्भु महाराज, पं० लच्छू महाराज, पं० नारायण प्रसाद, पं० जयलाल।
- तीनताल, रूपक, तथा एकताल के सभी बोलो की लिपिबद्ध क्रिया।
- . कथक नृत्य के अध्ययन की, शारिरिक, मानसिक और बोद्धिक उपयोगिता।
क्रियात्मक
श्रीशिव वंदना अथवा कृष्ण वंदना:-
- तीनताल में विशेषताओं सहित- एक उठान, एक ठाट, एक आमद, एक परमेलू, एक नटवरी तोड़ा, एक फरमाइशी चक्रदार( पहली धा पहली, दूसरी धा दूसरी,तथा तीसरी धा तीसरी सम पर), एक गणेश परन, एक ततकार की लड़ी। (तकिट तकिट धिन)
- रूपक में – एक ठाठ, एक सादा आमद, चार सादे तोड़े, दो चक्रदार तोड़े, दो परन, दो चक्रदार परन, दो तिहाई एक कवित्त। ततकार- बराबर, दुगुन, चौगुन, तिहाई सहित।
- एकताल में- दो ठाट, एक परन जुड़ी आमद, चार तोड़े, दो चक्कदार तोड़े, दो परन, दो चक्रदार परन, एक कवित्त और तीन तिहाई। ततकार- बराबर, दुगुन, तिगुन, चौगुन, तिहाई सहित।
- सीखें हुये सभी बोलों की ताल देकर पढन्त करना।
- गतनिकास में विशेषता: रूखसार, छेड़छाड़, आंचल आदि।
- गतभाव में कालिया दमन।
- ‘होरी’ पद पर भाव प्रस्तुति।
अ० भा० गांधर्व मण्डल, मुम्बई , कथक नृत्य मध्यमा- द्वितीय वर्ष – प्रथम वर्ष पाठ्यक्रम