Kathak Madhyama Pratham Syllabus In Hindi
कथक
परीक्षा के अंक
पूर्णाक:200
शास्त्र :75
क्रियात्मक:125
शास्त्र
- प्रारंभिक से प्रवेशिका तक के सभी शब्दों की जानकारी।
- नर्तन के भेंद- नृत्य, नाट्य, नृत्त की परिभाषा।
- लास्य तथा ताण्डव की केवल परिभाषा।
- अभिनय दर्पणानुसार ग्रीवा भेंद (4 प्रकार)।
- अभिनव दर्पणानुसार नौ प्रकार के शिरोभेद।
- लोकनृत्य तथा आधुनिक नृत्य की परिभाषा।
- जीवनियाँ- पं० कालिका प्रसाद, पं० बिन्दादीन महाराज, पं० हरिहर प्रसाद, पं० हनुमान प्रसाद।
- जयपुर तथा लखनऊ घराने की विशेषता।
- संयुक्त हस्तमुद्रांये(अभिनय दर्पणानुसार)। परिभाषा और प्रयोग- अंजली, 2.कपोत, 3. कंकट, 4. स्वास्तिक,5. डोला, 6.पुष्टपुट, 7. उत्संग, 8. शिवलिंग,9. कटकावर्धन,10. कर्तरी स्वस्तिक, 11. शकट, 12. शंख।
- तीनताल, झपताल, एकताल के पाठ्यक्रम की रचनाओं को लिपिबद्ध करना।
- गतभाव के प्रसंगों का वर्णन लिखना।
- संत कवि सूरदास तथा मीरा का परिचय।
क्रियात्मक
तीनताल में विशेष योग्यता:- गुरु वंदना, तीन ठाट ( तीन अलग Poses), दो आमद (1 सादा, 1 परन जुड़ी), तीन चक्कदार तोड़े जो 4 आवृत्ति से कम के ना हो, तीन परन (1 मिश्र जाति परन आवश्यक), तीन चक्कदार परन, दो कवित्त, तीन गिणती की तिहाई, ततकार में आधी, बराबर, दुगुन, तिगुन, चौगुन, अठगुन करना तथा बाँट या चलन का विस्तार करना।
झपताल:- दो ठाट, एक परन जुड़ी आमद, एक सलामी, तीन सादे तोड़े ( तीन आवृत्ति सें अधिक आवर्तनों के हो), दो चक्कदार तोड़े, दो परन, दो चक्कदार परन, एक कवित्त, तीन तिहाई, ततकार की बराबर, दुगुन, चौगुन, तिहाई सहित।
एकताल:- एक ठाट, एक आमद, दो तोड़ें, एक चक्कदार तोड़ा, एक परन, एक चक्कदार परन, एक तिहाई, ततकार की बराबर, दुगुन, चौगुन, तिहाई सहित।
तीनताल में:- गतनिकास की विशेषता, झूमर( झूमर-घूंघरू युक्त माथे की बिन्दी जैसा मांग का गहना), कलाई, मटकी उठाने के तीन प्रकार, गतभाव: माखनचोरी, अभिनय पक्ष में- एक भजन अथवा भक्ति रस के आधार पर गीत या पद पर अभिनय (भाव प्रस्तुति)।
अ० भा० गांधर्व मण्डल, मुम्बई , कथक नृत्य मध्यमा – प्रथम वर्ष पाठ्यक्रम