चरजू की मल्लार राग काफी थाट से उत्पन्न होता है । इसके पूर्वाङ्ग में ‘म रे’ यह स्वर-संगति और उत्तरांग में ‘सां नि(k) ध प ग(k) रे’इस प्रकार प्रयोग होता है ।
Charju Ki Malhar Raag
How To Read Sargam Notes
- “(k)” is used for komal swars.eg – ( रे(k) , ग(k) , ध(k) , नि(k) ) (Note – You can write ( रे , ग , ध , नि ) in this manner in exams . )
- म(t) here “(t)” is used for showing teevra swar म(t) . (Note – You can write ( म॑ ) in this manner in exams . )
- “-” is used for stretching the swars according to the song.
- Swars written “रेग” in this manner means they are playing fast or two swars on one beat.
- (रे)सा here “रे” is kan swar or sparsh swar and “सा” is mool swar. (Note – You can write ( रेसा ) in this manner in exams . )
- [ नि – प ] here this braket [ ] is used for showing Meend from “नि” swar to “प” . (Note – You can write ( नि प ) making arc under the swars in this manner in exams . )
- { निसां रेंसां नि } here this braket {} is used for showing Khatka in which swars are playing fast .
Raag Parichay
थाट – काफी थाट
साधारण चलन
[ ग(k) म ]
सा, मरेमप, सांनि(k)धप,ग(k)रे,[ रेग (k)सा, नि(k)पसांनि(k),धप] ग(k)रे, ग(k)रेग(k)सा । मप, नि(k)सां, सां, रेग(k)रेंसां, नि(k)स, पनि(k)प, सां नि(k)धप, ग(k)रे, रेग(k)सा ।
चरजू की मल्लार प्रश्न उत्तर –
चरजू की मल्लार की चलन क्या हैं ?
[ ग(k) म ]
सा, मरेमप, सांनि(k)धप,ग(k)रे,[ रेग (k)सा, नि(k)पसांनि(k),धप] ग(k)रे, ग(k)रेग(k)सा । मप, नि(k)सां, सां, रेग(k)रेंसां, नि(k)सा, पनि(k)प, सां नि(k)धप, ग(k)रे, रेग(k)सा ।
चरजू की मल्लार का थाट क्या है ?
थाट – काफी थाट
चरजू की मल्लार का परिचय क्या है ?
चरजू की मल्लार राग काफी थाट से उत्पन्न होता है । इसके पूर्वाङ्ग में ‘म रे’ यह स्वर-संगति और उत्तरांग में ‘सां नि(k) ध प ग(k) रे’इस प्रकार प्रयोग होता है ।