Gopal Nayak Biography In Hindi
प्रारंभिक जीवन –
- संगीतज्ञ गोपाल नायक के विषय में विशेष ऐतिहासिक सामंग्री न मिलने के कारण यहाँ पर उनका संक्षिप्त जीवन परिचय दिया जा रहा है।
- गोपाल नायक दक्षिण के निवासी थे और तत्कालीन देवगिरी राजा रामदेव के राज्य गायक थे।
- ये स्वभाव के बडे सरल थे। आवश्यकता से अधिक सरल और सीधे होने के कारण अमीर खुसरो ने छल कपट से उन्हें संगीत प्रतियोगिता में हरा दिया ।
- सन 1297 में अलाउद्दीन खिलजी ने देवगिरी राज्य पर आक्रमण किया और विजय प्राप्त की। खिलजी ने गोपाल नायक को अपना गायन सुनाने को कहा। गोपाल नायक 6 दिन तक अपना गायन सुनाते रहे। अमीर खुसरो अलाउद्दीन की आज्ञा लेकर सिहासन के नीचें बैठे हुए उनका गायन बराबर सुनते रहे।
- इसके पश्चात जब खुसरों सामने उपस्थित हुए तो गोपाल नायक ने उन्हें संगीत के लिए निमंत्रित किया। खुसरों झट से तैयार हो गया और गोपाल से गायन प्रारंभ करने को कहा। गोपाल गाने लगे। लेकिन बीच में ही खुसरों ने उन्हें रोककर कहा ये मौलिक राग नहीं है।
- अतः गोपाल ने कहा अच्छा तुम्हीं मौलिक राग सुनाओ। खुसरों ने उसी समय उससें मिलते जुलते, एक फारसी राग की रचना कर गाना शुरू किया,अतः गोपाल को विवश होकर हार माननी पड़ी। इस तरह से उसने गोपाल को अपनी चालबाजी से हरा दिया।
- अमीर खुसरो गोपाल नायक की वास्तविक प्रतिभा को अच्छी प्रकार समझते थे,अतः उन्हें अपने साथ दिल्ली ले गये। गोपाल नायक अमीर खुसरो के साथ दिल्ली में मृत्यु पर्यन्त हो गये।
- गोपाल जाति के ब्राह्मण थे और छन्द प्रबंध गाते थे। उनके समय में छन्द प्रबंध प्रचार में था।ध्रुपद नहीं।
- ऐसा मालूम पडता हैं कि गोपाल नामक दो संगीतज्ञ हों चुके है । दूसरे गोपाल सौलहवीं शताब्दी में तानसेन और बैजूबावरा के समकालीन थे।