Biography of Ahobal-Jivni in Hindi is described in this post of Saraswati sangeet sadhana .
Learn indian classical music in simle steps…
Ahobal-Jivni
अहोबल
- स्व० पं० अहोबल का नाम संगीत के इतिहास में कभी भी भुलाया जा सकता। एक ओर उन्होंने प्राचीन परम्परा को मानते हुए 22 श्रुतियों पर स्वर की स्थापना की तो दूसरी ओर वीणा के तार पर सात शुद्ध और पांच विकृत स्वरों की स्थापना करके आधुनिक स्वरों की कल्पना की।
- पं० अहोबल ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने संगीत के इतिहास में सर्वप्रथम वीणा के तार पर स्वरों की स्थापना की और प्रत्येक स्वर के तार की लम्बाई बताई।
- पं० अहोबल का जन्म सतरहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध मे दक्षिण भारत में हुआ। इनके पिता का नाम कृष्ण पंडित था जो संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे। बालक अहोबल को इन्होंने संस्कृत की शिक्षा दी। इसके बाद अहोबल ने संगीत की शिक्षा प्राप्त की।
- दक्षिणी संगीत में प्रवीणता प्राप्त करने के बाद वे उत्तर भारत की ओर बढे और धनबढ़ नामक स्थान पर रूक गये। वहाँ उन्होंने उत्तरी संगीत का यथेष्ट अध्ययन करने के बाद सन 1650 में ‘संगीत पारिजात’ नामक संगीत ग्रन्थ की रचना की। इसे उत्तरी और दक्षिणी संगीत दोनों का आधार माना जाता है। इसी में उन्होंने वीणा के तार पर 12 स्वरों का स्थान निश्चित करके प्रत्येक स्वर के तार की लम्बाई निकाली। स्वरों की संख्या बारह निर्धारित करना और प्रत्येक स्वर के तार की लम्बाई निश्चित करना उनकी सूझ-बूझ और बुद्धिमता का परिचायक है।
- अहोबल के पूर्व स्वरों की दूरी श्रुति द्वारा आंकी जाती थी,किन्तु उन्होंने तार की लम्बाई का विधान संगीत को अधिक वैज्ञानिक बना दिया।
- जिस तथ्य की खोज पाश्चात्य वैज्ञानिकों ने बीसवीं शताब्दी में की, उसको सतरहवीं शताब्दी में अहोबल ने बिना किसी उपकरण के अपने कानों के आधार पर सफलतापूर्वक कर डाला। अहोबल की मृत्यु सतरहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुई।
Click here for Biography of all Indian singers
Biography of Ahobal-Jivni in Hindi is described in this post of Saraswati Sangeet Sadhana..
Click here For english information of this post ..
Some post you may like this…