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Tansen Biography in Hindi Tansen Jivini Jeevan Parichay 1532

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Tansen Biography in Hindi Tansen Jivini Jeevan Parichay is described in this post of Saraswati sangeet sadhana .

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Biography of Tansen in Hindi

तानसेन  की जीवनी हिंदी में

जन्म विवरण –

स्थान – बेहट ग्राम, ग्वालियर

जन्म तिथि – 1532 ई. 

वैवाहिक स्थिति – विवाहित

परिवार –

पिता – मकरंद पांडे

पत्नी – हुसैनी

पुत्र – सूरत सेन, सरत सेन, तरंग खान, बिलवास खान

कन्या – सरस्वती

शिक्षक – स्वामी हरिदास

भारत का कोई ऐसा व्यक्ति होगा  जिसने तानसेन का नाम न सुना हो। उनकी मृत्यु के लगभग चार सौ वर्ष व्यतीत हो गये, किन्तु ऐसा मालूम पडता है जैसे अभी कुछ ही दिनों पूर्व उनकी मृत्यु  हुई हो।

प्रारंभिक जीवन –

तानसेन का असली नाम तन्ना मिश्र  और पिता का नाम मकरंद पांडे था।कुछ लोग पांडे जी को मिश्र भी कहते थे।

तानसेन की जन्म तिथि के विषय में अनेक मत है। अधिकांश विद्वानो के मतानुसार उनका जन्म 1532 ई.  में ग्वालियर से 7 मील दूर बेहट ग्राम में हुआ था। उनके जन्म के विषय में यह किवदंती हैं कि बहुत दिनों तक मकरंद पांडे संतानहीन थे। मुहम्मद गौस नामक फकीर के आशीर्वाद स्वरुप उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ, जिसे तन्ना के नाम से पुकारा गया।

अपने पिता की एकमात्र संतान होने के कारण उनका लालन – पोषण  बडे लाड- प्यार से हुआ। फलस्वरूप अपनी बाल्यावस्था में बडे नटखट और उद्दंडी रहे।

प्रारंभ से ही तन्ना में दूसरों की नकल करने की अपूर्व क्षमता थी। बालक तन्ना पशु पक्षियों तथा जानवरों की विभिन्न बोलियों की सच्ची नकल करता था और हिंसक पशुओं की बोली से लोगों को डरवाया करता था। इसी बीच स्वामी हरिदास से उनकी भेंट हो गई। मिलने की भी एक मनोरंजक घटना हैं। एक बार स्वामी जी अपनी मंडली के साथ पास के जंगल से गुजर रहे थे।

नटखट तन्ना एक पेड़ की आड़ से शेर की बोली से डरवाने लगा। अत: साधु मंडली बहुत घबराई । थोड़ी देर बाद तानसेन हँसता हुआ सामने प्रकट । स्वामी हरिदास जी उसकी प्राकृतिक प्रतिभा से अत्यधिक प्रभावित हुए और उसके पिता से संगीत सिखाने के लिए तानसेन को मांग लिया और अपने साथ वृन्दावन ले गये।

परिवार

तानसेन ने एक हुसैनी से शादी की, जिसके चार बेटे और एक बेटी थी: सूरत सेन, सरत सेन, तरंग खान, बिलवास खान और सरस्वती।

सभी पाँचों अपने आप में कुशल संगीतकार बन गए, बाद में सिंघलगढ़ के मिश्रा सिंह से भी शादी कर ली, जो एक उल्लेखनीय वीणा वादक थे।

एक किंवदंती में कहा गया है कि तानसेन का विवाह अकबर की बेटी मेहरुन्निसा से भी हुआ था।

शिक्षा –

तानसेन, स्वामी हरिदास के साथ रहने लगे और दस वर्षों तक उनसें संगीत शिक्षा  प्राप्त की।

अपने पिता की अस्वस्थता सुनकर तानसेन अपनी मातृभूमि ग्वालियर चले गए। कुछ दिनों बाद उनके पिता का देहांत हो गया।कहा जाता है कि मरने के पूर्व उनके पिता ने तानसेन को बुलाकर कहा कि तुम्हारा जन्म मुहम्मद गौस के आशीर्वाद स्वरूप हुआ है,अतः तुम कभी भी उनकी आज्ञा की अवहेलना मत करना, तब तानसेन स्वामी हरिदास से आज्ञा लेकर मुहम्मद गौस के पास रहने लगे। वहां वे कभी-कभी ग्वालियर की विधवा रानी मृगनयनी का गायन सुनने के लिये उसके मन्दिर चले जाया करते थे।

आजीविका –

जब तानसेन अच्छे गायक हो गये तो रीवा नरेश रामचंद्र ने उन्हें राज्य गायक नियुक्त कर लिया।महाराज रामचंद्र और अकबर में घनिष्ठ मित्रता थी।,महाराज रामचंद्र ने अकबर को प्रसन्न करने के लिये गायक तानसेन को उन्हें उपहार स्वरूप भेंट कर दिया।

अकबर स्वयं संगीत प्रेमी था। वह अत्यधिक प्रसन्न हुआ और उन्हें अपने नवरत्नों में शामिल कर लिया। धीरे-धीरे अकबर तानसेन को बहुत मानने लगे,फलस्वरूप दरबार के अन्य गायक उससे जलने लगे। उन्होंने तानसेन का विनाश करने के लिये एक युक्ति निकाली।

सभी गायकों ने अकबर से प्रार्थना की तानसेन से दीपक राग सुना जाए। और देखा जाए कि दीपक राग मे कितना प्रभाव है। तानसेन के अतिरिक्त कोई दूसरा गायक इसे गा नहीं सकेगा। यह बात बादशाह के दिमाग में जम गई और उन्होंने तानसेन को दीपक राग गाने को बाध्य किया।

तानसेन ने अकबर को बहुत समझाया के दीपक राग गाने का परिणाम बहुत बुरा होगा,किन्तु बादशाह ने एक न मानी।अतः तानसेन को दीपक राग गाना पडा। गाते ही गर्मी बढऩे लगी ,चारों ओर से मानो आग की लपटें निकलने लगी।

श्रोतागण तो गर्मी के मारे भाग निकले, किन्तु तानसेन का शरीर प्रचण्ड गर्मी से जलने लगा। उसकी गर्मी केवल मेघ राग से समाप्त हो सकती थी।कहा जाता हैं कि तानसेन की पुत्री सरस्वती ने मेघ राग गाकर अपने पिता की जीवन रक्षा की। बाद में बादशाह को अपनी हठ पर बडा पश्चाताप हुआ।

बैजूबावरा तानसेन का समकालीन था।कहा जाता हैं कि एक बार दोनो गायक में प्रतियोगिता हुई और तानसेन की हार हुई। इसके पूर्व तानसेन ने राज्य की ओर से यह घोषणा करा दी थी कि उसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति गाना ना गाये और जो गायेगा, उसकी तानसेन के साथ प्रतियोगिता होगी।जो हारेगा उसे उसी समय मृत्युदंड स्वीकार करना पडेगा। इस प्रकार तानसेन की वजह से अनेक गायकों की मृत्यु हुई, क्योंकि कोई उसे हरा नहीं सका। अन्त में बैजूबावरा ने उसे परास्त किया, किन्तु बैजूबावरा ने उसे क्षमा कर अपने विशाल हृदय का परिचय दिया।

रचनाएं –

तानसेन की संगीत रचनाओं में कई विषय शामिल थे और उन्होंने ध्रुपद को नियोजित किया। इनमें से अधिकांश हिंदू पुराणों से प्राप्त हुए हैं, जो ब्रज भाषा में रचित हैं, और गणेश, सरस्वती, सूर्य, शिव, विष्णु (नारायण और कृष्ण अवतार) जैसे देवी-देवताओं की स्तुति में लिखे गए हैं।

उन्होंने राजाओं और सम्राट अकबर की प्रशंसा करने के लिए समर्पित रचनाओं की रचना और प्रदर्शन भी किया।

तानसेन ने अनेक रागों की रचना की, जैसे

  • दरबारी कान्हडा
  • मियां की सारंग
  • मियां की तोड़ी
  • मियां मल्हार

परंपरा-

तानसेन पुरस्कार –

एक राष्ट्रीय संगीत समारोह जिसे ‘तानसेन समरोह’ के नाम से जाना जाता है, हर साल दिसंबर में बेहट में तानसेन की कब्र के पास उनकी स्मृति के सम्मान के रूप में आयोजित किया जाता है। तानसेन सम्मान या तानसेन पुरस्कार हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रतिपादकों को दिया जाता है।

इमारतों –

फतेहपुर सीकरी का किला अकबर के दरबार में तानसेन के कार्यकाल से दृढ़ता से जुड़ा हुआ है। सम्राट के कक्षों के पास, बीच में एक छोटे से द्वीप पर एक तालाब बनाया गया था, जहाँ संगीत की प्रस्तुतियाँ दी जाती थीं। आज, अनूप तलाओ नामक इस टैंक को सार्वजनिक दर्शक हॉल दीवान-ए-आम के पास देखा जा सकता है – एक केंद्रीय मंच जहां चार फुटब्रिज के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि तानसेन दिन के अलग-अलग समय में अलग-अलग रागों का प्रदर्शन करते थे, और सम्राट और उनके चुनिंदा दर्शक उन्हें सिक्कों से सम्मानित करते थे। तानसेन का कथित आवास भी पास में ही है।

चमत्कार और किंवदंतियाँ –

तानसेन की अधिकांश जीवनी, जैसा कि अकबर के दरबारी इतिहासकारों के विवरण और घराना साहित्य में पाया जाता है, में असंगत और चमत्कारी किंवदंतियाँ हैं।

तानसेन के बारे में किंवदंतियों में राग मेघ मल्हार के साथ बारिश कम करने और राग दीपक प्रदर्शन करके दीपक जलाने की कहानियां हैं।  राग मेघ मल्हार अभी भी मुख्यधारा के प्रदर्शनों की सूची में है, लेकिन राग दीपक अब ज्ञात नहीं है; बिलावल, पूर्वी और खमाज थाट में तीन अलग-अलग प्रकार मौजूद हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सा, यदि कोई है, तानसेन के समय के दीपक से मेल खाता है।

अन्य किंवदंतियाँ जंगली जानवरों को ध्यान से सुनने की उनकी क्षमता के बारे में बताती हैं। एक बार, एक जंगली सफेद हाथी को पकड़ लिया गया, लेकिन वह भयंकर था और उसे वश में नहीं किया जा सकता था। अंत में, तानसेन ने हाथी के लिए गाना गाया, जो शांत हो गया और सम्राट उस पर सवार होने में सक्षम हो गया।

मृत्य –

सन 1585 ई. मे दिल्ली में तानसेन की मृत्यु हुई और ग्वालियर में गुलाम गौस की कब्र के पास उनकी समाधि बनाई गई।प्रतिवर्ष उनकी स्मृति में ग्वालियर में उर्स मनाया जाता हैं और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

तानसेन  प्रश्न उत्तर –

तानसेन का जन्म कहाँ और कब हुआ था ?

स्थान – बेहट ग्राम, ग्वालियर
जन्म तिथि – 1532 ई. 

तानसेन का पूरा नाम क्या था ?

तानसेन का असली नाम तन्ना मिश्र  और पिता का नाम मकरंद पांडे था

तानसेन के पिता का नाम क्या था ?

पिता – मकरंद पांडे

तानसेन ने संगीत की शिक्षा किस्से ली थी ?

शिक्षक – स्वामी हरिदास

स्वामी हरिदास जी ने तानसेन को संगीत की शिक्षा दी थी.

स्वामी हरिदास जी ने तानसेन को संगीत की शिक्षा दी थी.

अकबर के दरबार में कौन से राग को गाने दरबार में  आग लग गयी थी और उसको किसने गया था ?

अकबर के कहने पर तानसेन ने राग दीपक दरबार में गया था जिसके कारण दरबार में बहुत गर्मी और आग लग गयी थी .

तानसेन की पुत्री का क्या नाम था ?

कन्या – सरस्वती


तानसेन के कितने बटे थे और उनके क्या नाम थे ?

तानसेन के ४ पुत्र थे
पुत्र – सूरत सेन, सरत सेन, तरंग खान, बिलवास खान


तानसेन की पत्नी का क्या नाम था ?

पत्नी – हुसैनी


तानसेन ने कौनसे रागों की रचना की थी ?

तानसेन ने अनेक रागों की रचना की, जैसे
दरबारी कान्हडा
मियां की सारंग
मियां की तोड़ी
मियां मल्हार

प्रतियोगिता में तानसेन को हराने वाले गायक का क्या नाम है ?

बैजूबावरा ने एक प्रतियोगिता में तानसेन को हराया था .

तानसेन की म्रत्यु कब हुई थी ?

सन 1585 ई. मे दिल्ली में तानसेन की मृत्यु हुई और ग्वालियर में गुलाम गौस की कब्र के पास उनकी समाधि बनाई गई।प्रतिवर्ष उनकी स्मृति में ग्वालियर में उर्स मनाया जाता हैं और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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