Bhav Sangeet Junior Diploma 1st Year Syllabus In Hindi Prayag Sangeet Samiti

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Bhav Sangeet 1st Year Syllabus In Hindi

भाव संगीत

क्रियात्मक

(1).स्वर ज्ञान – 7 शुद्ध और 5 विकृत स्वरों को गाने और पहचानने का अभ्यास, स्वर उच्चारण पर विशेष ध्यान।

(2).लय ज्ञान – विलम्बित, मध्य, द्रुत तथा ठाह, दुगुन और चौगुन लयों का साधारण ज्ञान। इन तीनों लयों में प्रत्येक मात्रा पर ताली देकर 7 स्वरों को गाने का अभ्यास। विभिन्न सरल मात्रा विभागों का ज्ञान, जैसे – एक मात्रा में आधी.आधी मात्रा के दो अंक या दो स्वर बोलते हुए ताली देना, एक मात्रा में चौथाई.चौथाई मात्रा के चार अंक या चार स्वर ताली देते हुए बोलना।

(3).दस सरल अलंकारों का अभ्यास।

(4).बिलावल, यमन, काफी, खमाज, भूपाली, भैरव और भैरवी में दु्रत खयाल के साथ.साथ एक भाव संगीत की चीज गाने का अभ्यास।

(5).अल्हैया बिलावल, यमन, भूपाली, काफी, खमाज, भैरव और भैरवी में साधारण स्वर विस्तार और इनमें एक.एक गीत या भजन। साधारण आलाप लेकर तबले के साथ मिलने का अभ्यास।

(6).कम.से.कम 5 भाव प्रदर्शक गीत या भजन गाने का पूर्ण अभ्यास। राग प्रधानता की विशेष आवश्यकता नहीं है। कविता के भाव के अनुसार गीत या भजन की स्वर रचना होनी चाहिए। दो प्रकार के लोक संगीत के गाने का अभ्यास।

(7).कहरवा, दादरा, तीनताल और झपताल के ठेकों को ताल देकर ठाह तथा दुगुन लय में बोलने का अभ्यास।

(8).सरल आलापों द्वारा राग पहचान।

शास्त्र पाठ्यक्रम

(1).परिभाषा – संगीत, भारत की दो मुख्य संगीत पद्धतियां, ध्वनि, ध्वनि की उत्पत्ति, नाद, नाद स्थान, श्रुति, स्वर, प्राकृत स्वर, अचल और चल स्वर, शुद्ध और विकृत स्वर, कोमल और तीव्र स्वर, सप्तक (मंद्र, मध्य, तार), थाट, राग, वर्ण (स्थाई, आरोही, अवरोही, संचारी), अलंकार (पल्टा), राग, जाति एवं जाति के प्रकार, वादी, समवादी, अनुवादी, वर्जित स्वर, पकड़, आलाप, तान, खयाल, सरगम, स्थाई, अंतरा, लय, लय के प्रकार, मात्रा, ताल, विभाग, सम, ताली, खाली, ठेका, आवर्तन, ठाह तथा दुगुन। भजन तथा गीत की परिभाषा और भेद, गीतों के प्रकार और उनकी व्याख्या, जैसे – ग्राम.गीत (लोक गीत, आधुनिक गीत, राष्ट्रीय गीत आदि) कण, खटका, मुर्की और मीड़ की परिभाषा।

(2).राग परिचय – पाठ्यक्रम के रागों का पूर्ण परिचय।

(3).ताल परिचय – पाठ्यक्रम के तालों का पूर्ण परिचय तथा उसे ठाह एवं दुगुन में लिखने का अभ्यास।

(4).भातखंडे स्वरलिपि पद्धति का ज्ञान।

(5).लिखित स्वर समूहों द्वारा राग पहचान।

(6).विष्णु दिगम्बर तथा भातखंडे की जीवनी और उनके संगीत कार्यों का वर्णन।

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