श्री रंजनी राग दक्षिण का राग है। यह काफी थाट का एक षाडव प्रकार है। इसमें पंचम वर्ज्य है । बागेश्री में पंचम प्रयुक्त है, किन्तु इसमें बिल्कुल वर्ज्य है । इस भेद के कारण बागेश्री से यह राग अलग हो जाता है ।
खरहर प्रियमे लाज्जाता श्रीरंजनी तथा ।
सन्यास सांशकं चैव सषड्जग्रहमुच्यते ॥
आरोहेऽप्यवरोहे च स्यात् पवर्जित पाडवम् ।
सरिगधनिस । सनिधमगरिस ।
Shri Ranjani Raag
How To Read Sargam Notes
- “(k)” is used for komal swars.eg – ( रे(k) , ग(k) , ध(k) , नि(k) ) (Note – You can write ( रे , ग , ध , नि ) in this manner in exams . )
- म(t) here “(t)” is used for showing teevra swar म(t) . (Note – You can write ( म॑ ) in this manner in exams . )
- “-” is used for stretching the swars according to the song.
- Swars written “रेग” in this manner means they are playing fast or two swars on one beat.
- (रे)सा here “रे” is kan swar or sparsh swar and “सा” is mool swar. (Note – You can write ( रेसा ) in this manner in exams . )
- [ नि – प ] here this braket [ ] is used for showing Meend from “नि” swar to “प” . (Note – You can write ( नि प ) making arc under the swars in this manner in exams . )
- { निसां रेंसां नि } here this braket {} is used for showing Khatka in which swars are playing fast .
Shri Ranjani Raag Parichay
थाट – काफी थाट
जाति – षाडव- षाडव(6,6)
वर्जित स्वर- प
पलासी राग प्रश्न उत्तर –
श्री रंजनी राग की जाति क्या हैं ?
जाति – षाडव- षाडव(6,6)
श्री रंजनी राग में वर्जित स्वर कौन सा है ?
वर्जित स्वर- प
श्री रंजनी राग का थाट क्या है ?
थाट – काफी थाट
श्री रंजनी राग का परिचय क्या है ?
श्री रंजनी राग दक्षिण का राग है। यह काफी थाट का एक षाडव प्रकार है। इसमें पंचम वर्ज्य है । बागेश्री में पंचम प्रयुक्त है, किन्तु इसमें बिल्कुल वर्ज्य है । इस भेद के कारण बागेश्री से यह राग अलग हो जाता है ।