Bharat Natyam Junior Diploma 1st Year Syllabus In Hindi
भरतनाट्यम
क्रियात्मक पाठ्यक्रम
(1).घुंघरू बांधकर अभ्यास करना अनिवार्य है।
(2).15 अडवु तथा उनके पद संचालन प्रकारों को ठाह, दुगुन तथा चौगुन लयों में हस्त तथा पद संचालन द्वारा व्यक्त करना – तत् (5 प्रकार के अडवु पद संचालन), नत् (6 प्रकार के अडवु पद संचालन), ता तेई तेई ता (3 प्रकार के अडवु पद संचालन), कुदित्तू मेत्तू (4 प्रकार के अडवु पद संचालन), तैया तैई (3 प्रकार के अडवु पद संचालन), तत् तेई ता हा (4 प्रकार के अडवु पद संचालन), तत् तेई तम (3 प्रकार के अडवु पद संचालन), तघिगंतम (3 प्रकार के अडवु पद संचालन), कितत् कटारी कितातम (4 प्रकार के अडवु पद संचालन), तेई तेई दत्ता (2 प्रकार के अडवु पद संचालन), घितेईदत्तातेई (3 प्रकार के अडवु पद संचालन), मंडी (3 प्रकार के अडवु पद संचालन), सारिक्कल (2 प्रकार के अडवु पद संचालन), तकिटा (2 प्रकार के अडवु पद संचालन), तेई तेई तेई तेई तेई तेई तेई घिघि तेई का अडवु पद संचालन।
(3).तिस्त्रम् रूपकम, चतुस्त्रम् अथवा आदि ताल को हाथ से ताली देकर बताना।
(4).थत्तु अडवु, नट अडवु तथा मित्तू अडवु का पूर्ण ज्ञान।
शास्त्र पाठ्यक्रम
(1).भरतनाट्यम के तालों में से तिस्त्रम, रूपकम, आदि ताल चम्पू या मिश्र ताल का ज्ञान (3, 6, 8, और 7 मात्राओं के, अट्टा ताल 14 मात्राओं के तथा जम्पू ताल 10 मात्राओं के त्रिपुट ताल के चतस्व जाति का विशेष ज्ञान, जैसे – आदि ताल 8 मात्रा और रूपक चतस्त्र जाति 6 मात्रा)।
(2).ताल को 5 जातियों (तिस्त्र, चतुस्त्र, खण्ड, मिश्र तथा संकीर्ण) तथा 3 लयों (लघु, द्रुत और अनुद्रुत) का ज्ञान।
(3).अडवु की परिभाषा, 15 प्रकार तथा हर प्रकार के पद संचालन का ज्ञान।
(4).भरत नाट्यशास्त्र की 28 हस्त मुद्राओं में से 10 असंयुक्त मुद्राओं का अर्थ सहित ज्ञान – पताका, त्रिपताका, अल्पदम्, कटकटामुख, सूची, अर्धचन्द्र, शुकतुण्ड, मुष्टि, शिखर तथा मृगशीर्ष।