SwarMalika in Music in Hindi ठुमरी गायन शैली is described in this post . Learn indian classical music theory in hindi .
SwarMalika in Music in Hindi
स्वरमालिका –
राग में प्रयोग किये जाने वाले स्वरों की तालबद्ध रचना स्वरमालिका कहलाती हैं। यह प्रत्येक राग में और लगभग प्रत्येक ताल में हो सकती हैं
- यह मध्य लय में होती हैं। इसके भी केवल दो भाग होते है – स्थाई और अन्तरा।
- इसका मुख्य उद्देश्य प्रारंभिक विद्यार्थियों को स्वर और राग ज्ञान कराना है।
- इसे सरगम अथवा सुरावर्त भी कहते है। ‘ संगीत राग दर्शन’ में तिलक कामोद का सरगम इस प्रकार किया गया है-
स्थाई
प़ प़ नि़ सा। रे ग नि़ सा। ग रे प म । ग रे सा नि़ ।
सा रे म प । ध म – प । सां प ध म । ग रे सा नि़ ।
अन्तरा
प – प ध । म प नि सां। प – नि सां। रें गं सां – ।
सां नि सां – । म प नि सां। स – नि सां। रें गं सां – ।
सां नि सां -। प ध म प । सां प ध म । ग रे सा नि़ ।
Swarmalika of Raag Bhupali –
पा – र क / रो – मो री / न इ या भ / व र से –
सां – ध प / ग रे सा रे / प ग ग रे / ग प ध –
घ डी प ल / सु मि र त / तु म को – / म न में –
ग ग ग रे / ग प ध सां / ध सां ध प / ग रे सा –
ग ह री – / न दि याँ – / नाँ – व पु / रा – नी –
ग ग ग – / प प ध – /सां – सां सां / सां रें सां –
के – व ट / है – म त / वा – – – / ला – – –
सां ध ध ध / सां – रें रें / सां रें ग रें / सां ध प –
Swarmalika of Yaman raag
स्थायी
मो – ह न / मु र ली – / अ ध र ब / जा – वे –
सां – ध नि / प म(t) ग म(t) / प म(t) ग रे /.नि रे सा –
र ह र ह / व्य थि त हृ / द य हु ल / सा – वे –
.नि .नि रे रे / ग ग म(t) म(t)ध /प म(t) ग रे / .नि रे सा –
अंतरा
घ ड़ी घ ड़ी / प ल प ल / म धु ब र / सा – वे –
ग ग ग ग / म(t) म(t) ध म(t)ध / सां सां सां सां / नि रें सां –
मो ह नी मु / र ती छ वि / अ ति – सु / हा – वे –
नि रें सां नि / प म(t) ग म(t) / प म(t) ग रे / .नि रे सा –
राग माला –
यह गीत का एक प्राचीन प्रकार है। आधुनिक समय राग- माला पुराने उस्तादों द्वारा कभी कभी सुनने को मिल जाती हैं। इसमे गीत के शब्द क्रमशः कई राग में होते है। राग का परिवर्तन ऐसे स्थान से होता है कि सुनने वालों को बहुत आनंद मिलता है।
- कभी कभी तो ऐसा होता है कि जैसे जैसे गीत में राग का नाम आता जाता है गीत के स्वर बदलते जाते है।
- रागमाला की अपनी निज की गायकी होती है। कभी कभी रागमाला आलाप के ढंग की भी सुनने को मिलती हैं। गीत में राग का नाम लेते जाते है और राग बदलते जाते है।
- नींचे ‘राग विज्ञान’ के पंचम भाग का एक रागमाला देखिये जिसमें यमन,हमीर, छाया,श्याम कल्याण ,देश, दरबारी कान्हडा तथा नायकी कान्हडा रागों का मिश्रण है।
- स्थाई– ये मन है मीर छाया परे श्याम की
- अन्तरा–चहुँ देश में होवे कल्याण ,
हर दरबार में कहावे नायकी।
स्वर मालिका की परिभाषा क्या है
राग में प्रयोग किये जाने वाले स्वरों की तालबद्ध रचना स्वरमालिका कहलाती हैं। यह प्रत्येक राग में और लगभग प्रत्येक ताल में हो सकती हैं
राग माला क्या है ?
यह गीत का एक प्राचीन प्रकार है। आधुनिक समय राग- माला पुराने उस्तादों द्वारा कभी कभी सुनने को मिल जाती हैं। इसमे गीत के शब्द क्रमशः कई राग में होते है। राग का परिवर्तन ऐसे स्थान से होता है कि सुनने वालों को बहुत आनंद मिलता है
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