Swarlipi padhti in Indian classical music in hindi (1) Vishnu narayan bhatkhande swarlipi (2) Vishnu digamber pluskar swarlipi in hindi
Swarlipi padhti in Indian classical music / स्वर लिपि पद्धतियाँ
संगीत जगत में दो महान संगीतज्ञ हुए जिन्होने अपने –अपने तरीके से स्वर लिपि की रचना की ।एक विभूति का नाम था पं० विष्णु नारायण भातखण्डे और पं० विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ।दोनों व्यक्ति चाहते थे की संगीत का अधिक से अधिक प्रचार हो । और सुने हुए संगीत को लिखने की आवश्यकता हुई । तो स्वरलिपि पद्धति की रचना हुई ।
विष्णु नारायण भातखण्डे स्वरलिपि
विष्णु दिगम्बर पलुस्कर स्वरलिपि
Comparision between Bhatkhande swarlipi padhti & Vishnu diggamber swar lipi padhti in hindi
भातखण्डे स्वर लिपि पद्धति | विष्णु दिगम्बर स्वरलिपि पद्धति |
स्वर – चिन्ह – | |
शुद्ध स्वर – रे ग म (कोई चिन्ह नहीं )
कोमल स्वर – रे ग ध (नीचे बड़ी रेखा ) तीव्र स्वर – म’ (उपर खड़ी रेखा ) | रे ग म (कोई चिन्ह नहीं )
रे, ग, (स्वर में हलंत ) म्र (अथवा उल्टा हलंत ) |
सप्तक चिन्ह
मध्य सप्तक – ग म प (कोई चिन्ह नहीं )
मन्द्र सप्तक – .नि .ग .प (नीचे बिन्दु ) तार सप्तक – गं सां | ग म प (कोई चिन्ह नहीं )
निं गं पं (उपर बिन्दु ) ग’ म’ प’ (उपर खड़ी रेखा ) |
स्वर मान –
एक मात्रा – रे ग | रे ग (नीचे बड़ी रेखा ) |
1.5 मात्रा – सा –रे | *
सा● रे
|
दो मात्रा – रे – ग – | रे ग
~ ~ |
आधी मात्रा – सारे गम (प्रत्येक ½ मात्रा ) | सा रे ग म
० ० ० ० |
चौथाई मात्रा – रेगमप (प्रत्येक ¼ मात्रा ) | रे ग म प |
अर्ध विराम – सा,रेग अर्थात
सा = ½ और रे , ग क्रमश: ¼ मात्रा | सा रे ग
|
ताल लिपि
सम – x | १ |
खाली – ० | + |
विभाग – I | विभाग चिन्ह नहीं होता , आवर्तन पूरी होने पर खड़ी रेखा लगाते हैं । |
ताली – ताली की संख्या जैसे २,३,४ | मात्रा- संख्या जैसे – १ , ५ , ११ |
स्वर सौन्दर्ये –
मींड- पग | पग |
कण – ध
प | घ
प |
खटका – (प) = पधमप
| (प) |
गीत या स्वर – उच्चारण –श्या ಽ ಽ म | श्या ● ● म |
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Swarlipi padhti in Indian classical music in hindi (1) Vishnu narayan


Ye chitra Book – Raag Parichay se liye gaye hain ……
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