Tabla Senior Diploma 6th Year Syllabus In Hindi
तबला
क्रियात्मक
- तबला और पखावज मिलाना। तबला के विद्यार्थियों को पखावज बजाने का थोड़ा ज्ञान तथा मृदंग(पखावज) के विद्यार्थियों को तबला बजाने का थोड़ा ज्ञान। बाज ( वादन शैली) में विभिन्नता का ज्ञान, सब प्रकार के गीतों तथा गतों( तंत्र वादन) के साथ तबला पर संगत करने और लहरें पर तबला सोलो बजाने का ज्ञान। नांच के कुछ अच्छे बोलो को सीखकर नाच के साथ ही तबला बजाने का साधारण ज्ञान। पखावज वालो के लिए ध्रुपद, धमार इत्यादि तथा वीणा के साथ संगति करने का ज्ञान। नांच के साथ साधारण संगति करने का साधारण ज्ञान।
- पिछले पाठ्यक्रमों के सभी तालों का विस्तृत अध्ययन। नये, कठिन और सुन्दर बोल, परन आदि सीखना। विभिन्न बाज और घरानों की कुछ खास चीजे सीखकर उनमे भेंद दिखाना।
- कैद फरोदस्त, कुम्भ, बसन्त तथा सवारी (16 मात्रा) तालों को ताली देना और तबले पर बजाना। चतुर्थ, पंचम और छठे वर्ष के तालों में कुछ सुन्दर मोहरे और ठेको के प्रकार सीखना।
- विभिन्न तालों को ताली देकर विभिन्न लयकारियों में बोलने का पूर्ण अभ्यास। टुकड़ों आदि को भी ताली सहित बोलना।
- स्वतंत्र वादन(सोलो) की विशेष तैयारी।
- तबले के विद्यार्थियों को पखावज की तालों में भी स्वतंत्र वादन का साधारण ज्ञान। स्वतंत्र वादन के लिए निम्नलिखित तालों की विशेष तैयारी। तीनताल, एकताल, झपताल, आड़ा चारताल, धमार, पंचम सवारी, चारताल, सूलताल, गजझम्पा, तीवरा, रूपक और लक्ष्मी ताल
शास्त्र
प्रथम प्रश्न-पत्र)
- पूर्वी और पश्चिमी बाज के विभिन्न घरानों की वादन शैलियों का तुल्नात्मक अध्ययन। कोदउ सिंह, खब्बे हुसैन, नाना पानसे एव पर्वत सिंह के वादन शैलियों का सूक्ष्म अध्धयन। पखावज और तबले के बोलो के अन्तर। सोलो और साथ के साथ के बाज में अन्तर और दोनों की विधियों का विस्तृत अध्ययन। संगत करने की कला। अवनद्ध वाद्यो में उन्नति के सुझाव। प्रसिद्ध तबला वादक और उनकी विशेषताएं। स्वर और लय का संबन्ध। पाश्चात्य संगीत में ताल का स्थान और साधन, ताललिपि के लिये सर्वश्रेष्ठ पद्धति। पाश्चात्य बीट तथा रिदम का अध्धयन। पाश्चात्य ताललिपि पद्धति का साधारण ज्ञान।
- प्रथम से षष्ठम वर्ष तक के सभी पारिभाषिक शब्दों तथा विषयों का विस्तृत एवं तुलनात्मक अध्ययन।
- प्रथम वर्ष से षष्ठम वर्ष के अप्रचलित तालों का अध्ययन तथा उन्हें प्रचलित करने के सुझाव।
- छंद तथा पिंगल शास्त्र का ज्ञान।
- परिभाषा, स्वर-विस्तार, बोल- बांट, बहलावा, चतुरंग, तराना तथा तिरवट।
- प्रसिद्ध तबला अथवा मृदंग वादकों का परिचय तथा उनकी वादन शैलियो का आलोचनात्मक अध्धयन।
- ताल, लय तथा संगीत संबंधी सामान्य विषयों पर निबंध लिखने की क्षमता।
द्वितीय प्रश्न-पत्र
- पिछले वर्षों के सभी तालों और उनमें सीखी सभी सामग्री को भातखंडे और विष्णु दिगम्बर ताल लिपियों में लिखने का पूर्ण ज्ञान।
- पाठ्यक्रम के सभी तालों का तुल्नात्मक अध्धयन।
- तालों को विभिन्न लयकारियों में लिखने का पूर्ण ज्ञान।
- दक्षिणी तथा उत्तरी भारतीय ताल-पद्धतियों का तुल्नात्मक अध्धयन।
- पाश्चात्य स्टाफ ताल-लिपि का ज्ञान।
- नृत्य के कुछ बोलों तथा तोडो का ज्ञान।
- विभिन्न प्रकार के संगीत के साथ उचित अवनद्ध वाद्यो पर संगत का ज्ञान।
क्रियात्मक परीक्षा 200 अंको की तथा शास्त्र के दो प्रश्न- पत्र 50-50 अंको के। पिछले वर्षों का पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है।