Tabla Junior Diploma 3rd Year Syllabus In Hindi
तबला
क्रियात्मक
- लय ज्ञान- दुगुन तिगुन, चौगुन और आड लयो का ताल देते हुये अंक बोलकर दिखाना।
- तबला और मृदंग मिलाने का ज्ञान। गीतों के साथ प्रारंभिक अभ्यास करने का ज्ञान।
- ताललिपि में लिखे टुकड़ों और बोलो आदि को देखकर बोलना और बजाना।
- हाथ की सफाई और तैयारी पर विशेष ध्यान। तीनताल में अन्य सुन्दर मुखडे, मोहरे, तीहे, कायदा, पल्टा, रेले, टुकड़े, परने, ठेके की किस्में और सरल गतें। झपताल, एकताल और चारताल में भी नये सुन्दर मुखडे, तीहे, ठेके की किस्में, कायदा, पल्टा (चारताल के अतिरिक्त) 2-2 रेले और 2-2 बडी परने। दादरा और कहरवा की कुछ अच्छी किस्में और 2-2 तीहे। सूलताल और तीवरा ताल में अन्य सुन्दर 2-2 मुखडे, 2-2 तीहे, 2-2 टुकड़े और 2-2 परने।
- नई- ताले- आड़ा चारताल, धमार, घुमाली, झुमरा व जत तालों को ठाह, दुगुन और चौगुन में ताली देकर बोलना तथा लय में सुन्दरतापूर्वक तबले अथवा मृदंग पर साथ- साथ बजाना। पिछले वर्षों की तालों की ठाह दुगुन तथा चौगुन लयों में ताली देकर बोलना। आड़ा चारताल, घुमाली, झूमरा तथा जत में 2-2 कायदे, 2-2 टुकड़े,1-1 परन, 2-2 तिहाई तबला पर बजाने का अभ्यास। धमार, तीवरा और सूल तालों में साथ- संगत, 2-2 तिहाईयां, 2-2 परनों, तथा लपेट का पखावज( मृदंग) पर बजाने का अभ्यास।
शास्त्र
- सभी तालों के ठेकों को ठाह, दुगुन,तिगुन, तथा चौगुन की लयकारियों में ताललिपि में लिखना और उनके परन, टुकड़ों आदि को भी ताललिपि में लिखने का ज्ञान।
- परिभाषाएं और विषय- संगीत, गत, आड, बाँट, मृदंग (पखावज) के अंगों का ज्ञान, आटा का उद्देश्य, तबला और मृदंग की तुलना, उनका विस्तृत इतिहास तथा उनकों मिलाने की विधि। तबले के विभिन्न बाज। जातियों का अध्ययन तथा तिस्त्र, चतस्त्र, मिश्र, खंड तथा संकीर्ण जातियों की परिभाषाएं। श्रुति, स्वर, स्वर के प्रकार (चल, अचल, शुद्ध, विकृत), सप्तक, सप्तक के प्रकार ( मन्द्र, मध्य और तार), आरोह- अवरोह।
- मृदंग ( पखावज) के विद्यार्थियों को तबले के अंगों तथा वर्णों का ज्ञान और तबले के विद्यार्थियों को मृदंग के अंगों तथा वर्णों का ज्ञान।
- तबला एवं मृदंग वादकों के शास्त्रों में वर्णित गुण तथा दोष का अध्ययन।
- संगीत से संबंधित विषयों पर निबंध, जैसे मानव जीवन में संगीत, संगीत में तबला तथा पखावज का स्थान, संगीत सीखने से लाभ, भारतीय संगीत में ताल वाद्यो का स्थान, अवनद्ध वाद्यो में तबला और मृदंग का स्थान।
- अहमद जान थिरकवा तथा कठे महाराज का जीवन परिचय।
क्रियात्मक परिक्षा 100 अंको की तथा शास्त्र का एक प्रश्न-पत्र 50 अंकों का। पिछले वर्ष का पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है।