Tabla Senior Diploma 4th Year Syllabus In Hindi
तबला
परीक्षा अंक
कुल अंक- 100
शास्त्र – 50
क्रियात्मक – 50
क्रियात्मक
- लय ज्ञान- तालों द्वारा विभिन्न लय दिखाना जैसे- 1 मात्रा में 2 मात्रा, 2 में 1, 1 में 3, 1 में 4, 2 में 3(आड), 3 में 2, 3 में 4, 4 में 3( पौनगुन), कुछ अन्य कठिन मात्रा विभागों का अभ्यास जैसे आड( डेढ गुन), कुआड़ ( सवा गुन), तथा बिआड़ ( पौने दो गुन)।
- ताल- लिपि देखकर बोल, टुकड़े, परन आदि तबले अथवा मृदंग (पखावज) पखावज पर निकालना।
- तबला अथवा मृदंग (पखावज) मिलाने और गीतों, गतें तथा लहरे के साथ सरल तालों में संगत करने का अभ्यास।
- पिछले तालों में विशेष सफाई और तैयारी तथा कुछ आगे का काम उदाहरणार्थ- तीनताल, झपताल, एकताल और चारताल में कुछ सुन्दर किस्में, मुखडे, उठान, तीहे, मोहरे, कायदे पल्टे, रेले, टुकड़े, परने और गतें तथा कुछ विभिन्न मात्राओं की तिहाईयां और चक्करदार टुकड़े। तीनताल, झपताल और एकताल में पेशकारे का काम। चारताल में कुछ स्वतंत्र रेले और बडी परने, दादरा तथा कहरवा में लग्गियाँ, लडिय़ां और तबियतदारी। सूल और तीवरा में कुछ अच्छे मुखडे और टुकड़े। रुपक, धमार और आडा चारताल में कुछ किस्में, मोहरे, तीहे और मुखडे। नृत्ये के टुकड़ों का ज्ञान।
- नई ताले- पंचम सवारी(15 मात्रा), टप्पा, अद्धा, पंजाबी, गजझम्पा, मत्त, ताल के ठेकों को केवल ठाह में बजाने का और ताली सहित बोलने का अभ्यास।
- तबले के विद्यार्थियों को तीनताल, झपताल, आड़ा चारताल तथा रूपक में स्वतंत्र वादन(सोलो) का अभ्यास और मृदंग पखावज के विद्यार्थियों को चारताल, सूलताल, तेवरा तथा धमार में स्वतंत्र वादन का विशेष अभ्यास।
शास्त्र
- पिछले और इस वर्ष के तालों को विभिन्न लयकारियों जैसे- दुगुन, तिगुन, चौगुन, आड और कुआड़ आदि सहित ताल- लिपि में लिखने का ज्ञान। विभिन्न प्रकार के कायदे, टुकड़े, परने आदि को भातखंडे और विष्णु दिगम्बर दोनों ताल-लिपियों के लिखने का पूरा ज्ञान।
- विष्णु दिगम्बर तथा भातखंडे ताल- लिपियों का सूक्ष्म तथा तुल्नात्मक अध्ययन तथा उनके गुण और दोष।
- पिछले वर्षों के सभी पारिभाषिक शब्दों का विस्तृत अध्ययन तथा क्रियात्मक महत्व, पेशकारा, साथ- संगत, लग्गी, लडी, चौपल्ली, फरमाइशी चक्करदार टुकड़ा तथा परन, गत- कायदा, चाला।
- गणित द्वारा विभिन्न तालों की दुगुन, तिगुन, चौगुन, आड तथा कुआड़ आदि प्रारंभ करने के स्थान को निकालना तथा उनको ताल लिपि मे लिखना।
- समान मात्रा वाले तालों का तुल्नात्मक अध्धयन।
- संगीत से सम्बंधित विषयों पर निबंध जैसे- संगीत में ताल का महत्व, संगत का महत्व, संगीत में लय और ताल का स्थान, तबला संगति का उद्देश्य तथा विधि, लय और लयकारी, साथ और संगति आदि।
- ताल के दस प्राण तथा उनका भारतीय संगीत में महत्व।
- मोदू खाँ, बख्सू खाँ, नत्थू खाँ, आबिद हुसैन, राम सहाय का जीवन परिचय तथा तबला वादन क्षेत्र में उनका स्थान तथा कार्य।
- पारिभाषिक शब्दों का ज्ञान, वर्ण ( स्वर के विषय में) प्रचलित थाट, थाटो के नाम व स्वर, राग, राग- जाति, औडव, षाडव, सम्पूर्ण।
क्रियात्मक परिक्षा 100 अंकों की तथा शास्त्र का एक प्रश्न-पत्र 50 अंको का। पिछले सभी वर्षों का पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है।