Lakshan Geet in Music in Hindi

Lakshan Geet in Music in Hindi लक्षण गीत किसे कहते हैं

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Lakshan Geet in Music in Hindi

लक्षणगीत –

जिस गीत में अपने राग का पूरा लक्षण हो लक्षणगीत कहलाता है। इसका उद्देश्य यह है कि प्रारंभिक विद्यार्थियों को गीत के सहारे राग का परिचय कण्ठस्थ हो जाये।

  • लक्षणगीत में भी ख्याल के समान दो भाग होते हैं- स्थाई और अंतरा। इसकी गायन शैली ख्याल की तरह होती हैं। यह अधिकतर उन्हीं तालों में होते हैं जिनमें छोटे ख्याल गाये जाते है।
  • कभी कभी ध्रुपद अंग के भी कुछ लक्षणगीत पाये जाते हैं। अतः यह किसी भी ताल में हो सकता है। तीन ताल में निबद्ध अल्हैया बिलावल का एक लक्षणगीत नींचे देखिये-

स्थाई-  कहत  बिलावल भेद अल्हैया।

          प्रात समय गुनि गावत जेहि को,

          ध- ग सम्वाद करैया।

अन्तरा- आरोहन मध्यम तजि दैया,

            संग धैवत मृदु नि बिचरैया,

            ग  प  ध नि सां नि ध प ध  नि

            ध  प  म ग   म रे सुर लेवैया ।।

लक्षण गीत किसे कहते है ? लक्षण गीत का संक्षिप्त इतिहास क्या है ? लक्षण गीत कैसा गीत है ?

जिस गीत में अपने राग का पूरा लक्षण हो लक्षणगीत कहलाता है। इसका उद्देश्य यह है कि प्रारंभिक विद्यार्थियों को गीत के सहारे राग का परिचय कण्ठस्थ हो जाये।

लक्षण गीत कौन से राग में गायी जाती है ? लक्षण गीत को किस ताल में गाया जाता है ?

लक्षण गीत हर राग का हो सकता है रगों के लक्षणो को व्यक्त करने वाला गीत लक्षण गीत कहलता है यह किसी भी ताल में हो सकता है तीनताल , रूपक ताल , एकताल आदि

लक्षण गीत की संगति में कौन सा वाद्य प्रयोग में आता है ?

लक्षण गीत तबले का प्रयोग जादा होता है ।

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