Tappa Music in Hindi ठुमरी गायन शैली is described in this post . Learn indian classical music theory in hindi .
Tappa Music in Hindi
टप्पा गायकी –
– यह गीत का वह प्रकार है जिसके शब्द पंजाबी भाषा के होते है। इसकी प्रकृति चपल होती हैं।
यह काफी, भैरवी, पीलू, देश, खमाज, झिझोटी आदि ऐसे रागों में गाया जाता है। यह श्रृंगार रस प्रधान गीत है।
टप्पा केवल दो भाग होते है स्थाई और अंतरा। इसकी गायन शैली गीत के अन्य प्रकारों से भिन्न रहती हैं।
इसमें छोटी और पेंचदार तानों का अधिक प्रयोग होता हैं। आलाप नहीं के बराबर किया जाता हैं। इसे गाने के लिए गला काफी तैयार होना चाहिये। इसमें खटका,मुर्की,कण आदि का प्रयोग प्रचुरता से होता हैं।
टप्पे का प्रचार पंजाब में अधिक है। कहा जाता हैं कि मोहम्मद शाह के समय में गुलाम नबी शोरी ने गीत के इस प्रकार का आविष्कार पंजाब के एक लोकगीत के आधार पर किया था।
टप्पा सितारखानी, फिरोदस्त आदि तालों में गाया जाता है।
टप्पा गायकी क्या है ? टप्पा का संक्षिप्त इतिहास क्या है ? टप्पा कैसा गीत है ?
यह गीत का वह प्रकार है जिसके शब्द पंजाबी भाषा के होते है। इसकी प्रकृति चपल होती हैं।
टप्पा गायन शैली में अधिकतर किस रस का प्रयोग किया जाता है ?
ठुमरी श्रृंगार रस प्रधान होती है। इसमें मींड और कण का विशेष प्रयोग होता है। अंतरा से स्थाई में आते समय कहरवा ताल में आ जाते है और विभिन्न प्रकार के सुन्दर बोल बनाते हैं। कुछ देर के बाद पुनः पूर्व ठेके और लय में आ जाते है।
टप्पा कौन से राग में गायी जाती है ? टप्पा को किस ताल में गाया जाता है ?
यह काफी, भैरवी, पीलू, देश, खमाज, झिझोटी आदि ऐसे रागों में गाया जाता है। यह श्रृंगार रस प्रधान गीत है। टप्पा सितारखानी, फिरोदस्त आदि तालों में गाया जाता है।
टप्पा गायन की संगति में कौन सा वाद्य प्रयोग में आता है ?
टप्पा गायन में तबले का प्रयोग जादा होता है ।
टप्पा की रचना किसने की थी ?
टप्पे का प्रचार पंजाब में अधिक है। कहा जाता हैं कि मोहम्मद शाह के समय में गुलाम नबी शोरी ने गीत के इस प्रकार का आविष्कार पंजाब के एक लोकगीत के आधार पर किया था।
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