Kathak Nratak ke Gun Avgun in Hindi

Kathak Nratak ke Gun Avgun in Hindi Kathak Theory Shastra

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Kathak Nratak ke Gun Avgun in Hindi

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नर्तक के गुण – अवगुण-

नृत्य के प्राचीन आचार्यो ने पात्र लक्षण के अंतर्गत नृतक के गुण दोष बताये हैं । आचार्य नन्दिकेश्वर ने अभिनय दर्पण में नर्तकी के मुख्य 10 गुण नृत्य के प्राचीन आचार्यों ने पात्र लक्षण के अंतर्गत नर्तक के गुण – दोष बताये हैं जैसे- चपलता , स्थिरता , भ्रमरी में प्रवीणता , तीक्ष्ण स्मरण शक्ति वाली , कला में श्रद्धा , गायन में कुशलता आदि । नीचे नर्तक के वर्तमान गुणों पर प्रकाश डाला जा रहा है।

( 1 ) शारीरिक सौन्दर्य – नर्तक अथवा नर्तकी की प्रथम गुण सुन्दरता है । यहाँ सुन्दरता का अर्थ प्राकृतिक सौंदर्य से है । मेकअप ( रूप सौन्दर्य ) और अच्छे वस्त्रों से सुन्दरता में वृद्धि होती है , पैदा नहीं होती । प्राकृतिक सौन्दर्य एक ऐसी आधार – भूमि है जिस पर नर्तक की सफलता बहुत कुछ आधारित है । सुन्दरता से मतलब केवल शरीर का गोरा होना मात्र नहीं , बल्कि सुडौल और आकर्षक शरीर है । नाक , ओंठ , नेत्र , मुखाकृत , लम्बाई , दांत , अँगुलियाँ आदि अंग शरीर की सुन्दरता में सहायक होते हैं । साधारण कद , बड़े नेत्र , पतले होंठ , लम्बी और पतली अँगुलियाँ आदि शारीरिक सौन्दर्य की वृद्धि करते हैं । कुरूप व्यक्ति अच्छा शिक्षक बन सकता है , सफल नर्तक नहीं ।

 ( 2 ) स्वस्थ शरीर केवल सुन्दर शरीर से काम पूरा नहीं होता , उसे निरोगी और स्वस्थ होना चाहिये । नृत्य में नर्तक की अच्छी कसरत हो जाती है । बिना स्वस्थ शरीर के वह ठीक प्रकार से अभ्यास नहीं कर सकता । अतः स्वस्थ शरीर नर्तक का दूसरा मुख्य गुण है ।

 ( 3 ) अच्छी शिक्षा सुन्दर और स्वस्थ शरीर के बाद उसे किसी अच्छे नृत्यकार से नृत्य की शिक्षा मिलनी चाहिये । एक ओर गुरू अच्छा नृत्यकार हो और दूसरी ओर वह उसे सिखाने में रूचि ले । प्रायः ऐसा देखने में आया है कि अच्छे कलाकार सिखाने में बहुत कम रूचि लेते हैं । अच्छे गुरू से सीखा हुआ व्यक्ति सफल नर्तक हो सकता है ।

( 4 ) उचित अभ्यास प्राकृतिक सौन्दर्य और अच्छे गुरू मात्र से काम पूरा नहीं होता । नर्तक को सीखी हुई चीजों का खूब अच्छा अभ्यास होना चाहिये जिससे एक ओर उसे नृत्य के अवयवों पर और दूसरी ओर अपने अंगों पर पूर्ण नियंत्रण हो सके ।

( 5 ) लयकार- नृत्य में लय का बड़ा महत्व है । अतः सफल नर्तक को लय और ताल पर अच्छा अधिकार होना चाहिये । उसके तोड़े आदि ठीक स्थान से उठें और ठीक स्थान पर खतम हों ।

( 6 ) मादक वस्तु निषेध – बहुत नर्तक आनन्द के लिये किसी मादक वस्तु जैसे शराब आदि का प्रयोग कर लेते हैं । धीरे – धीरे उनकी आदत पड़ जाती है । फलस्वरूप उनका नृत्य का अभ्यास प्रतिदिन कम होने लगता है और समाज में बदनाम हो जाते हैं , अतः सफल नर्तक को किसी मादक वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिये ।

– ( 7 ) आत्म – विश्वास उपर्युक्त बातों के साथ – साथ नर्तक में अपनी शिक्षा और अभ्यास के प्रति आत्मविश्वास होना चाहिये । रंगमंच पर आत्म – विश्वास खो देने से उसे जो कुछ भी याद रहता है , भूल जाता है ।

 (8 ) वाणी की स्पष्टता- रंगमंच पर बोल पढ़ने की परम्परा प्राचीन हैं । इस क्रिया से श्रोता उस बोल की सूक्ष्मता को समझ लेते हैं , अत : बोल – पढ़ंत में उसकी वाणी स्पष्ट और आकर्षक होनी चाहिये । इन गुणों की उल्टी बातें अवगुण हैं , जैसे- कुरूप , कुबड़ी , ठिगनी या बहुत लम्बी , बहुत मोटी या बहुत दुबली आदि और अस्वस्थ शरीर , उचित शिक्षा और अभ्यास की कमी , लय – ताल में न होना , मादक वस्तु का प्रयोग करना , आत्म विश्वास की कमी , अस्पष्ट वाणी आदि नर्तक के अवगुण हैं । सफल नर्तक बनने के लिये इनसे दूर रहना चाहिये । प्रश्न 1. नर्तक के गुण – अवगुणों को समझाइये ।

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