Bindadin Maharaj Biography in Hindi is described in this post . Kathak shastra notes available on saraswati sangeet sadhana
Bindadin Maharaj Biography in Hindi
Bindadin Maharaj Jivani in Hindi
बिन्दादीन महाराज जीविनी
- कथक नृत्य को जनता में उच्च स्थान दिलाने का श्रेय स्व० पं० बिन्दादीन को प्राप्त होता है। इन्होंने कथक नृत्य को आवश्यकतानुसार संशोधित कर प्रचार किया।
- इनका जन्म तहसील हण्डिया जिला इलाहाबाद के चुलबुल ग्राम में हुआ था। जन्म समय के विषय में विद्वानों में मतभेद है लेकिन सभी मतों में इनका जन्म 1830 माना गया है।
- इनका असली नाम वृन्दावन प्रसाद था। इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद था।
- बिन्दादीन महाराज दो भाई थे। दूसरे भाई का नाम कालका प्रसाद था। कालका प्रसाद के तीन पुत्र हुये- अच्छन, लच्छू और शम्भु महाराज और बिन्दादीन महाराज का कोई पुत्र नहीं था। उन्होंने अपने भतीजे अच्छन महाराज को नृत्य की अच्छी शिक्षा दी।
- महाराज बिन्दादीन को नृत्य की शिक्षा अपने पिता दुर्गा प्रसाद तथा चाचा ठाकुर प्रसाद से मिली। नौ वर्ष की अवस्था से नृत्य सीखने लगे और चार वर्षों से केवल ‘तिगदा दिगदिग’ का अभ्यास करते रहें। प्रतिदिन 12-12 घंटों तक अभ्यास करते।
- एक बार नवाब वाजिद अली शाह के दरबार में आपकी मुठभेड़ प्रसिद्ध पखावजी कोदऊ सिंह हो गई। ठाकुर प्रसाद जो उनके दरबार में पहले से नियुक्त थे, बडे चिन्तित हुये की कहीं ऐसा न हो कि बिन्दादीन की वजह से उनका सिर नीचा हो। एक ओर बारह वर्ष के बिन्दादीन और दूसरी ओर पखावज सम्राट कोदऊ सिंह। भगवान का नाम लेकर उन्होंने बिन्दादीन को खडा़ कर दिया। सब लोग उनका नृत्य देखकर आश्चर्यचकित हो गये कि उनकी तैयारी कोदऊ सिंह से कम न थी।
- बडे होकर बिन्दादीन महाराज ने बडा यश और धन कमाया। बिन्दादीन महाराज ठुमरी गायन में उतना ही प्रवीण थे जितना कि नृत्य में। कहते है कि इन्होंने 15 सौ नवीन ठुमरियों की रचना की। आज भी इनकी ठुमरियाँ आदर के साथ गाई जाती है।
- कालिका बिन्दादीन की जोड़ी बहुत प्रसिद्ध थी जहाँ भी जाते तहलका मचा देते। सन् 1918 में इनकी मृत्यु हो गई। आज भी प्रत्येक नर्तक इनका नाम बडे आदर से लेते है।
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