Gayan & Tantra Vadya Syllabus for Class IX-X 9 10th Bihar Board 2023-24
गायन एवं तन्त्र वाद्य (सैद्धांतिक )
कक्षा IX-X
पाठ्यक्रम पूर्णांक 40
उद्देश्य
(i) पूर्व कक्षाओं में प्राप्त ज्ञान को आगे बढ़ाना।
(ii) राष्ट्रीय भावनाओं का विकास करना।
(iii) भारत के विभिन्न भागों की संस्कृति को आगे बढ़ाना।
(iv) सांस्कृतिक एकता कायम करना ।
घंटिया 6 (2 + 4 ) साप्ताहि
प्रकरण | उप प्रकरण | संसाधन | क्रियाशीलन |
परिभाषिक शब्द | संगीत की परिभाषा भारत में संगीत की पद्धतियाँ ध्वनि , नाद, ध्वनि की उत्पत्ति, श्रुति स्वर, सप्तक, थाट, राग, वर्ण, जाति, वादी संवादी, अनुवादी, विवादी, वर्जित स्वर, पकड़, आलाप, तान, ख्याल, सरगम, स्थायी, अंतरा, लय, मात्रा, खाली, ठेका, आवर्तन, ठाह एवं दुगुन | हारमोनियम, तानपुरा, सितार, गिटार ,बाँसुरी, ढोलक, तबला इत्यादि | पाठ्यक्रम के विभिन्न रागों की बंदिशों को आरोह-अवरोह तथा पकड़ सहित गाना |
रागों का पूर्ण परिचय | यमन, बिलावल, खमाज ,काफी, भूपाली, भैरव, भैरवी | रागों के आरोह-अवरोह तथा पकड़ का ज्ञान। पाठ्यक्रम के रागों के शास्त्रीय परिचय का बखान करना। | |
तालों को लिपिबद्ध करना | तीनताल, चारताल, एकताल दादरा तथा कहरवा तालों का शास्त्रीय परिचय, और लिपिबद्ध करना | पाठ्यक्रम के तालों के ठेकों को लयबद्ध बोलने का अभ्यास करना। | |
जीवनी | स्वामी हरिदास, तानसेन, पं रविशंकर पंडित रामचतुर मलिक | ||
स्वर लिपि | पंडित भातखंडे अथवा पं० विष्णु दिगंबर पलुष्कर के स्वर लिपि पद्धति का ज्ञान |
संगीत IX-X
तन्त्र वाद्य
क्रियात्मक (Practical )
कुल अंक 60
सितार, वायलिन, सरोद, इसराज, गिटार, बाँसुरी, जलतरंग।
उप प्रकारण | संसाधन | क्रियाशीलन |
1. वाद्य के साथ सही बैठक, तकनीक, हाथ व अंगुलियों के रखरखाव के सही प्रयोग का ज्ञान। | तानपुरा, तबला, ढोलक । | वादकों की वादन शैली को मंच, रेडियो या टी०वी० पर सुनकर उसका वर्णन करना । |
2. 7 शुद्ध स्वरों तथा 5 विकृत स्वरों को बजाना व पहचानना | प्रयोगात्मक परीक्षा में परीक्षार्थी पाठ्यक्रम के आधार पर वाद्ययंत्र बजाना होगा। | महान् वादकों का चित्र संग्रह करना को तथा उनकी शैली विशेषताओं का वर्णन करना। |
3. वाद्य के सरल बोल जैसे दा, रा, दा दिर, दारा, दिरदिर दा, रा द्रा द्वारा इत्यादि को सरलता पूर्वक बजाना। | ||
4. पाँच सरल अलंकारों को थाह तथा दुगुन में बजाना। | अपना संगतिकार स्वयं लाना होगा तथा वाद्ययंत्र भी अपना लाना होगा। | |
5. पाठ्यक्रम में निर्धारित रागों में एक-एक महालय में निबद्ध रजावानी गत सरल व आलंकारिक तान तोड़ों सहित या ख्याल अंग में मध्य लय की गत तानों सहित बजाना | तालों को हाथ पर ताली खाली दिखातें हुए प्रस्तुत करना होगा। | |
6. पाठ्यक्रम में निर्धारित तालों को ठाह लय में बोलना। | अपने वाद्ययंत्र को मिलाने का विशेष ज्ञान। | |
7. दो लोक धुनों को बजाने का अभ्यास। |
नोट:- प्रस्तावना में आंशिक सुधार कर दिया गया है जो पृष्ठ 135 तथा पर उद्धृत है तथा परीक्षा नियमावली पृष्ठ 137 पूर्ववत् करना है।
संगीत (गायन) IX-X
तन्त्र वाद्य
क्रियात्मक (Practical )
पाठ्यक्रम कुल अंक 60
सितार वायलिन, सरोद, इसराज, गिटार, बाँसुरी, जलतरंग।
उप प्रकारण | संसाधन | क्रियाशीलन |
1. पाँच सरल अलंकारों को शुद्ध स्वरों में गाने को अभ्यास | हारमोनियम, तानपुरा, बाँसुरी , तबला, ढोलक। | वादकों की वादन शैली को मंच, रेडियो या टी०वी० पर सुनकर उसका वर्णन करना |
2. लय गान ठाह एवं दुगुन लय का ज्ञान। | प्रयोगात्मक परीक्षा में परीक्षार्थी को पाठ्यक्रम के आधार पर गायन प्रस्तुत करना होगा। | महान् वादकों का चित्र संग्रह करना तथा उनकी शैली की विशेषताओं का वर्णन करना। |
3. राग ज्ञान पाठ्यक्रम में निर्धारित रागों को पूर्णज्ञान तथा आरोह-अवरोह, पकड़ और सरल तानों सहित प्रत्येक रागों में छोटा ख्याल गाना । | परीक्षार्थी को अपना वाद्ययंत्र साथ लाना होगा तथा तबला संगतिकार को भी स्वयं लाना होगा। | |
4.देशभक्ति गान एन०सी०ई० आर०टी० द्वारा सिखाये गये पन्द्रह समूह गान, राष्ट्र गान (जन-गण-मन) राष्ट्रीय गान (वंदे मातरम् ) श्री गोपाल सिंह ‘नेपाली’ तथा डॉ० रामधारी सिंह ‘दिनकर’ रचित एक-एक देशभक्ति गान । | ||
5. लोक गायन ऋतु उपलक्ष्य के पाँच लोक गीत था जनजाति गीत, छठ गीत के अलावा एक विद्यापति या भिखारी ठाकुर या रवीन्द्र संगीत गाना आवश्यक है। | ||
6. ताल त्रिताल, झपताल, चारताल,कहरवा तथा दादरा तालों को हाथ पर ताली खाली दिखाते हुए ठाह लय में बोलना। |
नोट:- प्रस्तावना में आंशिक सुधार कर दिया गया है जो पृष्ठ 135 तथा अंक समयः नियमावली पृष्ठ 137 की यथावत् करना है।
संगीत की पुस्तकें :-
1 )संगीत शिक्षाञ्जल -लेखक-पं०श्याम दास मिश्र
2) राग-ताल तुलना -लेखक- पं०श्याम दास मिश्र
3) संगीत निबंधाञ्जलि – लेखक पं० श्याम दास मिश्र
नृत्य
वर्ग IX-X
पाठ्यक्रम पूर्णांक 100
सैद्धांतिक 40 अंक
व्यावहारिक 60 अंक
घंटियाँ 6 ( 2+4 ) साप्ताहिक
प्रकरण | उपप्रकरण | संसाधन | क्रियाशीलन |
परिभाषा | नृत्य, कथक नृत्य, तत्त्कार, सलामी, आमद, तोड़ा, आवर्तन विभाग, ठेका, खाली धाट, दुगुन, चौगुन, तिहाई, हस्तक | रूप सज्जा सामग्री, घुंघरू, तबला, पखावज, करताल, हारमोनियम, परिधान। | आमद, थाट, सलामी, परन, चक्करदार तिहाई को करवाना। |
भरतनाट्यम अदयू की परिभाषा, उपयुक्त 15 प्रकार के अड्यू के पद संचालन के प्रकारों का ज्ञान | | परिधान | तेत्, वई, ताहा के 4 प्रकार अदयू, तत, तेई, तम, तधिगन तम-3 कितत् कटारी किताम का अभ्यास, ताल की प्रजातियों का ज्ञान कराना, 10 मुद्राओं का ज्ञान | |
मणिपुरी लास्य, अलंकार 2, तांडव अलंकार 2, मेन्कुप लास्य -मूल | प्राथमिक अंग, संचालन चंग,हे कपि मुललाल | ताण्डव और लास्य में भेद, नृत और नृत्य के ताल बोल गीत ताल लिपि में लिखने का अभ्यास तथा प्रदर्शन करना । | |
ओडिसी अंग भेद, पात्र लक्षण भाव रस का अर्थ सहित व्याख्या | | खेमटा और त्रिपुर | नमस्कार क्रिया का अर्थ सहित ज्ञान 6 प्रकार के शिर भेद 8 प्रकार के दृष्टि भेद, 4 प्रकार के ग्रीवा भेद बतलाना और अभ्यास करवाना। | |
ताल | कथक नृत्य तीन ताल, झपताल, दादरा, कहरवा तालों में ठाह, दुगुन में बोलने का अभ्यास तीन ताल में आमद तोड़े, तिहाई और तत्कार नृत्य द्वारा दिखलाना। | पाठ्यक्रम की तालों में साधारण तत्कारों का अभ्यास । तबला वादन का अल्प ज्ञान तीनताल में 15 मिनट तक बिना बोलों को दुहराये तथा एक ताल में 10 मिनट तक नृत्य करने का अभ्यास, बोलों को पढ़ना, अंग संचालन, तांडव एवं लास्य अंगों के नृत्य का अभ्यास, नवे कथानक में |
प्रकरण | उप प्रकरण | संसाधन | क्रियाशीलन |
नृत्य का ज्ञान। | |||
भरतनाट्यम रूपकम्, चतुश्रम, आदिताल ताली देकर बोलना, कियाशीलन में लिखे गये बोल की प्रस्तुति के अलावा तेरे तेई दत्ता, धितेई दत्ता तेई 3 का ज्ञान कराना । | |||
थारू संस्कृति का नृत्य – झमय, सोरटा वृजभारा | |||
जीवनी | यामिनी कृष्णमूर्ति, वैजयन्ती माला और जयललिता की जीवनी |
तबला एवं पखावज
वर्ग IX-X
पाठ्यक्रम
घंटियाँ 6 (2+4) पूर्णांक 40+60
प्रकरण | उप प्रकरण | संसाधन | क्रियाशीलन |
परिभाषा | संगीत, स्वर, ध्वनि, ध्वनि की उत्पत्ति, कंपन, ताल, मात्रा, लय, विभाग, ताली, खाली, मात्रा, आवर्तन, ठाह, द्विगुन, ठेका, कायदा, पलटा मोहरा, मुखड़ा, टुकड़ा, ठेके की किस्में, तिहाई | तबला, पखावज, हारमोनियम | विभिन्न तालों के ठेके को दुगुन में हाथ पर ताली, खाली दर्शाते हुए बोलना। |
ताल (तबला) | त्रिताल, झपताल, दादरा, कहरवा, रखं रूपक का ज्ञान | पाठ्यक्रम के तालों के ठेक, कुछ सरल मोहरे, मुखड़े, तिहाई एवं टुकड़ों का अभ्यास, धमार में कुछ परने तथा कुछ तिहाइयों | |
पखावज | चौताल, सूलताल, तीव्रा, धमार का ज्ञान | ||
वाद्य | वाद्य यंत्रों का चित्र बनाना एवं उससे परिचय कराना। अंगों का वर्णन | | तबला का पखावज पर हाथों, ऊँगलियों के रख-रखाव का सही ज्ञान होना| | |
ताल लिपि पद्धति | |||
भातखंडे ताल लिपि पद्धति या पं० विष्णु दिगंबर ताललिपि पद्धति का ज्ञान। | पाठ्यक्रम के तालों की ठाह एवं दुगुन लय में बोलने एवं बजाने को अभ्यास | ||
तबला पखावज | त्रिताल में पाँच कायदे, पलटों सहित चौताल एवं सूलताल में 5-5 सरल छोटी परनें | उप प्रकरण में वर्णित विषयों का अभ्यास तबला या पखावज को मिलाने का ज्ञान। | |
संगति जीवनी | विभिन्न शैलियों के साथ संगति की तकनीक पं० अनोखेलान मिश्र, पं०बच्चा मिश्र, पं० रामाशीष पाठक | विभिन्न शैलियों के साथ संगति करने का अभ्यास |
परीक्षा- कुल 100 अंक
सैद्धांतिक 40 अंक
व्यावहारिक 60 अंक
मूल्यांकन
परीक्षा के द्वारा मूल्यांकन किया जाय, सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक परीक्षाओं में उपलब्धि के आधार पर ग्रेडिंग किया जाय ।
अधिगम प्रतिफल
शिक्षार्थी संगीत का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे सौन्दर्यबोध की भावनाओं का उनमें विकास होगा। भारत के विभिन्न सांस्कृतिक रूपों से शिक्षार्थियों का परिचय होगा। भिन्नता में एकता की भावना का विकास होगा। राष्ट्रीय एकता का विकास होगा ।
शिक्षक की भूमिका
(i) शिक्षार्थियों द्वारा विभिन्न अवसरों पर सम्पादित किये जानेवाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपेक्षित सहयोग देना ।
(ii) शिक्षार्थियों में नेतृत्वकारी गुणों को बढ़ावा देना ।
(iii) संगीत कला को समाज तक पहुँचाने का प्रयास करना –