UP Board Class 12 Sangeet Vadan Syllabus 2023-24 & Music Theory

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Up Board Class 12 Sangeet Vadan Syllabus for Class – XII 12th Up Board 2023-24

विषय – संगीत (वादन)

कक्षा-12 संगीत (वादन)

खण्ड-क (संगीत विज्ञान)                                                                   पूर्णांक – 25

संगीत गायन में प्रस्तावित पाठ्यक्रम के अलावा निम्नलिखित और रहेगा :

अधिस्वर, वाद्यों में पूरक तालों (तरव) का प्रयोग चिकारी, खरज, तोड़ा, तिहाई, जमजमा, पेशकारा, टुकड़ा मुखड़ा, परन, तिहाई लय के प्रकार । सपाट, कूट, अलंकारिक, गमक, सूत, घुसीट का विस्तृत अध्ययन । परन रात, तिहाई, तिहाई के प्रकार कायदा, पलटा, लय और उसके प्रकार, लयकारी और उसके विभिन्न प्रकारों की परिभाषा तथा अंकों में लिखने की योग्यता ।

भारतीय वाद्यों में जैसे- तबला, पखावज, सितार, वायलिन, गिटार, बांसुरी, वीणा, सरोद, सांरगी, इसराज अथवा दिलरूबा वाद्यों के ज्ञान के साथ जो विशेष वाद्य लिया है। उसके विभिन्न अंगों एवं मिलान का विशेष ज्ञान ।

खण्ड – ख (संगीत का इतिहास और शैलियों का अध्ययन )                                                  पूर्णांक – 25

(1) वाद्य पाठ्यक्रम हेतु प्रस्तावित राग (केदार, वृन्दावनी, सांरग, जौनपुरी) की विशेषतायें, स्वर विस्तार के माध्यम से रागों का विस्तार एवं भेद |

अथवा

पाठ्यक्रम के तालों (आड़ा चारताल, तीनताल, धमार के विभिन्न लयों के साथ गजझंपा, सवारी जतताल) लयात्मक प्रकार कठिन अलंकारों की रचना | विभिन्न लयकारियों को ताललिपि में लिखने की क्षमता। जैसेकायदा, परन, टुकड़ा तिहाई, पेशकारा, लिपिबद्ध करने की क्षमता ।

अथवा

पाठ्यक्रमों में निर्धारित रागों में गतों की स्वरलिपि बद्ध करने की क्षमता एवं साधारण तोड़ें एवं झाले के साथ लिखने की योग्यता ।

(2) विलम्बित और द्रुत लय तथा लय का ज्ञान ।

अथवा

बाजों के प्रकार (बनारस, फर्रुखाबाद )

( 3 ) सामान्य संगीत सम्बन्धी विषयों पर संक्षिप्त निबन्ध ।

(4) भारतीय संगीत का संक्षिप्त इतिहास (मध्यकाल एवं आधुनिक ) भारतीय संगीतज्ञों की जीवनी एवं उनके योगदान–विष्णु दिगम्बर, गोपाल नायक, पं० सामता प्रसाद, पं० रविशंकर एवं पन्ना लाल घोष।

प्रयोगात्मक परीक्षा (वादन)                                                                                                      50 अंक

विद्यार्थी निम्नलिखत वाद्यों में से कोई भी एक ले सकता है:

(1) तबला, (2) पखावज, (3) वीणा, (4) सितार, (5) सरोद, (6) सारंगी, (7) इसराज अथवा दिलरूबा, (8) वायलन, (9) बांसुरी, (10) गिटार (गिटार का पाठ्यक्रम सितार की भांति होगा ) ।

प्रथम दो वाद्यों की प्रयोगात्मक परीक्षा योजना अन्य वाद्यों की प्रयोगात्मक परीक्षा योजना से भिन्न होगी।

तबला या पखावज की प्रयोगात्मक परीक्षा

1- विद्यार्थियों को पर्याप्त बोल (ठेका पेशकार, परन, टुकड़े, तिहाइयां आदि) जानना चाहिये । ताल का पांच मिनट का आकर्षक प्रदर्शन देने की योग्यता होनी चाहिये। इस प्रकार के प्रदर्शन में किसी भी बोल की पुनरावृत्ति न हो वरन् वही बोल विभिन्न लयों और दूसरे प्रकार के तालों से निस्तारण के रूप में यदि जान पड़े तो बजाया जा सकता है। एक ठेके के बोल निश्चय ही दो क्रमिक टुकड़ों आदि के बीच दोहराये जा सकते हैं। एकांकी (सोलों) प्रदर्शन के लिये निम्नलिखित तालें पाठ्यक्रम में है।

तीनताल, धमार, आड़ा चौताल, दीपचन्दी, गजझम्पा, सवारी और मतताल ।

2- विद्यार्थियों की सरल ध्रुवरों के साथ दीपचन्दी, झपताल, एकताल, चौताल और धमार से संगत करने की योग्यता होनी चाहिये ।

3- जो वाद्य विद्यार्थी ले उन्हें मिलाने की योग्यता होनी चाहिये ।

4- विभिन्न लयकारी जैसे कि दो मात्राओं को तीन में तीन मात्राओं को चार मात्राओं में ।

ठुमरी शैली की संगत अपने वाद्य (तबला) पर विभिन्न प्रकार की लड़ी और लग्गी के साथ करने की योग्यता होनी चाहिये ।

सितार आदि लय वाले वाद्यों की प्रयोगात्मक परीक्षा

निम्नलिखित 3 रागों में से प्रत्येक में एक गत मसीतखानी और एक रजाखानी जिसका विस्तार सहित अभ्यास होगा :

वृन्दावनी सारंग, केदार, जौनपुरी।

गरिमा के साथ बजाने की योग्यता ।

(2) कामोद, हमीर, बहार रागों में केवल एक गत बिना किसी विशेष विस्तार के बजाना ।

विद्यार्थियों को इनमें से प्रत्येक राग का आरोह-अवरोह और पकड़ बजाने की योग्यता होनी चाहिये और जब उन्हें थीमे अभिव्यक्ति अलापों द्वारा प्रस्तुत किया जाय तब पहचानने की योग्यता होनी चाहिये ।

( 3 ) उपरोक्त गतें तीन ताल में हो सकती है।

झपताल, एकताल, चौताल, धमार और त्रिताल का ज्ञान ।

संगीत गायन / वादन

अधिकतम अंक- 50                             न्यूनतम उत्तीर्णाांक अंक-16 अंक                    समय -06 घण्टे

एक समय में परीक्षा के लिये परीक्षार्थियों की संख्या पर प्रतिबन्ध आवश्यक है। इण्टरमीडिएट परीक्षा संगीत वादन परीक्षा एक दिन में क्रमशः 20-25 परीक्षार्थियों से अधिक न हो। प्रत्येक खण्ड का विवरण तथा निर्धारित अंक :

1- तबला और पखावज लेने वालों के लिये-

(क) वाह्य मूल्यांकन – 25 अंक

1- परीक्षार्थियों द्वारा चुने गये अपने ताल का प्रदर्शन |   08

2 – पाठ्यक्रम में निहित साधारण अध्ययन की ताले ।     03

3 – पाठ्यक्रम में प्रस्तावित विस्तृत अध्ययन की ताले ।   05

4- तालों का कहना और उनका बजाना ।        03

5- परीक्षक द्वारा गायी गयी अथवा बजायी गयी धुनों के साथ संगत करने की योग्यता ।  03

6- वाद्य मिलाने की योग्यता ।   03

(ख) आन्तरिक मूल्यांकन – 25 अंक

1- रिकॉर्ड ।                                         05

2 – प्रोजेक्ट ।                                      10

3 – सत्रीय कार्य ।                              10

नोट :- संगीत गायन के साथ हारमोनियम की संगत की अनुमति नहीं है ।

2 तबला व पखावज के अलावा अन्य वादन संगीत तंत्रवाद्य लेने वालों के लिये-

1 – विद्यार्थियों द्वारा चुने गये अपने रुचि के साथ गीत अथवा संगीत का प्रदर्शन ।  08

2 – विस्तृत अध्ययन के रागों के ऊपर पूछे गये अलाप ।  03

3 – पाठ्यक्रम में प्रस्तुत विस्तृत अध्ययन की ताल ।  05

4- पाठ्यक्रम में निहित साधारण अध्ययन की ताल ।  03

5- राग और स्वर समूह को पहचानने की क्षमता । 03

6- परीक्षार्थियों की आवाज और उसका सामान्य प्रभाव ।  03

व्यक्तिगत परीक्षार्थियों की प्रयोगात्मक परीक्षा

(1) व्यक्तिगत परीक्षार्थियों की प्रयोगात्मक परीक्षा हेतु जो विद्यालय प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए निर्धारित किये जायेंगे, उन विद्यालयों के सम्बन्धित विषयों के अध्यापक / प्रधानाचार्य द्वारा आन्तरिक परीक्षक रूप में व्यक्तिगत परीक्षार्थियों को पचास प्रतिशत अंक प्रदान किये जायेंगे, शेष पचास प्रतिशत अंक वाहय परीक्षक द्वारा देय होंगे।

(2) अध्यापक को प्रत्येक विद्यार्थी के कार्य का वाह्य प्रयोगात्मक परीक्षकों के विचारार्थ रखने के लिये अभिलेख रखना होगा।

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