UP Board Class 11 Sangeet Gayan Syllabus 2023-24 & Music Theory Notes

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Up Board Class 11 Sangeet Gayan Syllabus for Class – XI 11th Up Board 2023-24

विषय – संगीत (गायन)

कक्षा-11

तीन घण्टों का एक लिखित प्रश्न पत्र 50 अंकों का पूर्णांक होगा। 50 अंक पूर्णांक की प्रयोगात्मक परीक्षा भी होगी।

संगीत (गायन)

खण्ड-क (संगीत विज्ञान)

        पूर्णांक : 25

  • दो शास्त्रीय शब्दावली की परिभाषा और व्याख्या स्वर सप्तक का तारव (पिच) तीव्रता और गुण, शुद्ध और विकृत स्वर, श्रुतियां शुद्ध स्वरों का आन्दोलन और तार पर शुद्ध स्वरों का स्थान अलाप तान मुर्की, कण कम्पन, मोड़, गमक, छूट, तानों के प्रकार (सपाट अलंकारिक आदि), आरोह अवरोह पकड़ वक्र वादी का आलोचनात्मक अध्ययन । संवादी, अनुवादी, विवादी वर्ज्य नाद की परिभाषा एवं विशेषतायें ।

खण्ड – ख

(संगीत का इतिहास और रागों का अध्ययन)

                                                                                                           पूर्णांक 25

  • गीतों की शैलियां और प्रकार- ध्रुपद, तराना, सरगम गीत, भजन त्रिवट, चतुरंग, रागमाला और होली घरानों का संक्षिप्त अध्ययन |
  • प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए प्रस्तावित पाठ्यक्रम में रागों की विशेषतायें ।
  • स्वर विस्तार के माध्यम से रागों का विकास और भेद | कठिन अलंकारों की रचना
  • पाठ्यक्रम में प्रस्तावित तालों के बोलों का दुगुन चौगुन का ज्ञान, तीनताल, झपताल, एक ताल ।
  • गीतों के आलाप, तान, बोलतान सहित लिपिबद्ध करने की योग्यता ।
  • छोटे स्वर समुदायों के आधार पर रागों को पहचानना और उनकी बढ़त की योग्यता ।
  • सामान्य संगीत सम्बन्धी किसी विषय पर छोटा निबन्ध ।
  • भारतीय संगीत में आशु रचना का स्थान ।
  • भारतीय संगीत साहित्य का संक्षिप्त इतिहास (प्राचीन काल ) ।
  • सारंगदेव, तानसेन, अमीर खुसरों, भीमसेन जोशी, किशोरी अमोनकर एवं गंगूबाई हंगल की जीवनियां और भारतीय संगीत में उनका योगदान ।

प्रयोगात्मक (गायन)

50 अंक

(1) निम्नलिखित से रागों का विस्तृत अभ्यासभीमपलासी, भैरव मालकोस ।

प्रत्येक में कम से कम एक द्रुत ख्याल तैयार होना चाहिये। उचित आलाप तान मुर्की एवं अन्य लयपूर्ण तालबद्ध विस्तारण के साथ उनको गाने की योग्यता विद्यार्थी में अपेक्षित है। इन रागों में थोड़ी स्वतन्त्रता के साथ आशु रचना करने की शक्ति उन्हें दिखलानी चाहिये।

कठिन तालबद्ध रूपों और निरर्थक वेग पर ही केवल नहीं, वरन् सही ध्वनि, उच्चावचन, स्पष्टता और गरिमापूर्ण अभिव्यक्ति एवं लय के स्वाभाविक प्रवाह पर बल होना चाहिये ।

उक्त रागों के गीतों में कम से कम ध्रुपद अथवा धमार, एक विलम्बित ख्याल तथा एक तराना होगा। ध्रुपद और धमार में दुगुन, तिगुन और चौगुन गाने तथा लिखने की क्षमता होनी चाहिये।

(2) दुर्गा, हिंडोल, बहार नामक रागों का सामान्य रूप में अभ्यास आलाप तान आदि की आवश्यकता नहीं है। केवल स्थायी और अन्तरा पर्याप्त होगा। विद्यार्थियों में इन रागों में से प्रत्येक का आरोह अवरोह और पकड़ गाने की योग्यता होनी चाहिये और जब धीमी गति में अभिव्यक्ति आलाप के द्वारा प्रस्तुत किये जायें तब उन्हें पहचानने की क्षमता होनी चाहिये।

(3) निम्नलिखित में से प्रत्येक ताल में कम से कम एक गीत सीखना चाहिये ।

तीन ताल, झप ताल, एक ताल, चौताल ।

पाठ्यक्रम में प्रस्तावित सब तालों के ठेके ताल के साथ कहने एवं लिखने की योग्यता विद्यार्थी में होनी चाहिये ।

(4) छोटे स्वर समुदायों को जब आकार में गाया अथवा बजाया जाये, विद्यार्थियों में उनके स्वर बतलाने की योग्यता होनी चाहिये। यह स्वर समुदाय पाठ्यक्रम में प्रस्तावित विस्तृत अध्ययन वाली रागों में से लिये जायेंगे। संगीत गायन के प्रत्येक विद्यार्थी में पाठ्यक्रम के सभी तालों का साधारण ठेका तबले पर बजाने की योग्यता होनी चाहिये ।

विशेष सूचना – अध्यापकों को वाहय प्रयोगात्मक परीक्षक के विचारार्थ प्रत्येक विद्यार्थी के कार्यों की एक आख्या बनानी चाहिये ।

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