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Hindi notes of Jogiya raag / राग-जोगिया
का परिचय
Jogiya raag description / information in detail-
राग-जोगिया की विशेषता:-
संक्षिप्त परिचय:- राग जोगिया को भैरव थाट जन्य माना गया है। इसके आरोह में ग नि वर्ज्य है और अवरोह में ग वर्ज्य है। अतः इसकी जाति ओडव – षाडव है। वादी मध्यम और संवादी षडज है। गायन समय प्रातःकाल संधिप्रकाश है। कुछ विद्वान इसमें तार सा वादी और मध्यम संवादी मानते हैं। किन्तु दोनों दृष्टि से यह उत्तरांग प्रधान राग है।
आरोह :- सा रे म प ध सां।
अवरोह:- सां नि ध प, ध म रे सा।
थाट – भैरव थाट
जाति – ओडव – षाडव
गायन समय – प्रातःकाल का प्रथम प्रहर है
वादी – संवादी – म – सा
राग-जोगिया भैरव की विशेषता–
- यह ठुमरी के उपयुक्त राग है।
- इसमें बडा ख्याल बहुधा नहीं गाते।
- कभी कभी राग की सुन्दरता बढाने के लिए अवरोह में कोमल नि का प्रयोग करते हैं।
स्वरूप:- सा रे म प, म प, ध प ध म, रे म रे सा, नि ध ध सा। सा रे म प, प प ध ध प, ध सां नि ध ध प, ध म प म रे सा, म प नि ध ध सां, ध रे सां, सां, रें मं रें म रें सां, रें सां नि ध प, ध नि ध प, ध म, रे रे सां।
Raag parichay of all raags in Indian Classical music..
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