Sohani Raag

सोहनी राग Sohani Raag Bandish 16 Matras Allap Taan Music Notes In Hindi

4.2/5 - (5 votes)

सोहनी राग को मारवा थाट जन्य माना गया है। इसमे रे कोमल मध्यम तीव्र और पंचम वर्ज्य है। वादी धैवत और संवादी गंधार है। आरोह में रे प और अवरोह में केवल पंचम वर्ज्य होने से इसकी जाति औडव -षाडव है। इसका गायन समय रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात 4 बजे से 7 बजे तक है।

  कोमल ऋषभ मध्यम तीवर, पंचम वर्जित मान।

  ध ग संवाद थाट मारवा, संधिप्रकाश पहिचान।।

Sohani Raag

How To Read Sargam Notes

  • “.” is used for mandra saptak swars eg-(.प , .ध )
  • “*” is used for Taar saptak swar
  • “(k)” is used for komal swars.eg – ( रे(k) , (k) , (k) , नि(k) ) (Note – You can write ( रे , , , नि ) in this manner in exams . )
  • म(t) here “(t)” is used for showing teevra swar म(t) . (Note – You can write ( म॑ ) in this manner in exams . )
  • “-” is used for stretching the swars according to the song.
  • Swars written “रेग” in this manner means they are playing fast or two swars on one beat.
  • (रे)सा here रे” is kan swar or sparsh swar and “सा” is mool swar. (Note – You can write ( रेसा ) in this manner in exams . )
  • [ नि – प ] here this braket [ ] is used for showing Meend from “नि” swar to प” . (Note – You can write ( नि प ) making arc under the swars in this manner in exams . )
  • { निसां रेंसां नि } here this braket {} is used for showing Khatka in which swars are playing fast .

Sohani Raag Parichay

आरोहसा ग म(t) ध नि सां।

अवरोह सां रें (k) सां, नि ध, म(t) ग- म(t) ध  ग म(t) ग, रे(k)  सा।

पकड़ सां, नि ध नि ध – म(t) ग, म(t) ध नि सां रें k) सां।

थाट – मारवा थाट

वादी -सम्वादी स्वर – रे प

जाति – औडव -षाडव

गायन समय – रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात 4 बजे से 7 बजे

विशेषता

  • यह चंचल प्रकृति का राग है। विलम्बित आलाप लेने से पूरिया राग की छाया आ सकती है।
  • यह उत्तरांग प्रधान राग है जो अवरोह में अधिक स्पष्ट होता हैं।
  • इसमें ध ग की संगति बहुत अधिक होती है।
  • कुछ संगीतज्ञ राग की रंजकता बढाने के लिए शुद्ध म का प्रयोग करते है। भातखंडे कृत क्रमिक  तीसरी पुस्तक के प्रथम हिन्दी संस्करण में पृष्ठ408 पर ‘ काहे तुम आये’ नामक ख्याल में शुद्ध म बडी कुशलता से प्रयोग किया गया है।
  • यह प्रात कालीन संधिप्रकाश राग है और सायंकालीन संधिप्रकाश राग मारवा का प्रातःकालीन प्रतिरूप हैं।

न्यास के स्वर– ग, ध और सां

समप्रकृति रागपूरिया और हिंडोल।

सोहनीग – म(t) ध नि सां, रें(k) सां- नि ध नि ध – म(t) ग।

हिंडोलग म(t) निध सां,  निध – म(t) ग सा।

पूरिया ग म(t) ध ग म(t) ग, म(t) ग रे सा, .नि .ध .नि रे(k) सा।

विशेष स्वर संगतियाँ

  1.  ग म(t) ध नि सां, रें सां,
  2.  सां, नि ध नि ध- म(t) ग,
  3. ग म(t) ध ग म(t) ग – रे सा,
  4. ग- म(t) ध नि सां,

सोहनी राग प्रश्न उत्तर –

सोहनी राग के आरोह अवरोह पकड़ क्या हैं ?

आरोह- सा ग म(t) ध नि सां।
अवरोह- सां रें (k) सां, नि ध, म(t) ग- म(t) ध  ग म(t) ग, रे(k)  सा।
पकड़- सां, नि ध नि ध – म(t) ग, म(t) ध नि सां रें k) सां।

सोहनी राग की जाति क्या है ?

जाति – औडव -षाडव

 सोहनी राग का गायन समय क्या है ?

गायन समय – रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात 4 बजे से 7 बजे

 सोहनी राग में कौन से स्वर लगते हैं ?

आरोह- सा ग म(t) ध नि सां।
अवरोह- सां रें (k) सां, नि ध, म(t) ग- म(t) ध  ग म(t) ग, रे(k)  सा।
पकड़- सां, नि ध नि ध – म(t) ग, म(t) ध नि सां रें k) सां।

सोहनी राग का ठाट क्या है ?

थाट – मारवा थाट

सोहनी राग के वादी संवादी स्वर कौन से हैं ?

वादी -सम्वादी स्वर – रे प

सोहनी राग का परिचय क्या है ?

सोहनी राग को मारवा थाट जन्य माना गया है। इसमे रे कोमल मध्यम तीव्र और पंचम वर्ज्य है। वादी धैवत और संवादी गंधार है। आरोह में रे प और अवरोह में केवल पंचम वर्ज्य होने से इसकी जाति औडव -षाडव है। इसका गायन समय रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात 4 बजे से 7 बजे तक है।

सोहनी राग के वर्जित स्वर कौन से हैं ?

वर्जित स्वर – रे प

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top