PRAYAG SANGEET SAMITI SECOND YEAR JUNIOR DIPLOMA SYLLABUS

Vocal Junior Diploma 2nd Syllabus In Hindi Prayag Sangeet Samiti

4.7/5 - (4 votes)

Vocal Junior Diploma 2nd Syllabus In Hindi

गायन  

परीक्षा के अंक

पूर्णाक-150

शस्त्र – 50 ,  

क्रियात्मक – 100

                                                                                                                                                                   

शास्त्र  

  • परिभाषा व सरल व्याख्या  ध्वनि, ध्वनि कि उत्पत्ति, कम्पन्न, आन्दोलन (नियमित-अनियमित, स्थिर-अस्थिर आंदोलन), आन्दोलन – संख्या, नाद कि तीन विशेषताएं, नाद, कि उच्च – नीचता का आंदोलन-संख्या से सम्बंध, नाद और श्रुति, गीत के प्रकार-बड़ा-ख्याल, छोटा ख्याल, ध्रुपद तथा लक्षण-गीत के अवयव (स्थाई, अंतरा,  संचारी,आभोग),जनक थाट , जन्यराग, आश्रयराग, ग्रह , अंश, न्यास, वक्र-स्वर, समयसमय और सप्तक का पूर्वांग-उत्तरांग, वादी-स्वर का राग के समय से सम्बंध, पूर्व-उत्तर राग, तिगुन, चौगुन, मीड, कण, स्पर्श-स्वर तथा वक्र स्वर। 
  •  राग परिचय – प्रथम और द्वितीय वर्ष के रगों का पूर्ण-परिचय एवं उनको थाट, स्वर, आरोह-अवरोह, जाति, पकड़, समय, वर्ज्य स्वर और आलाप तान सहित स्वर लिपि में लिखने का अभ्यास। 
  •  ताल परिचय – दोनों वर्ष के तालों का पूर्ण परिचय तथा उन्हे थाह , दुगुन,तथा चौगुन में लिखने का अभ्यास ।
  •  भातखंडे स्वर-लिपि पद्धति का ज्ञान।
  •  लिखित स्वर-समूह द्वारा राग पहचानना।
  •  मिलते-रुलते रागों में समानता –विभिन्नता बताने का ज्ञान ।
  • तानसेन तथा अमीर खुसरों कि संक्षिप्त जीवनी और उनके संगीत कार्यों का परिचय।

क्रियात्मक

  • स्वर-ज्ञान शुद्ध, कोमल तथा तीव्र-स्वरों का गाने और पहचानने काविशेष ज्ञान।  प्रथम-वर्ष कि अपेक्षा कठिन स्वर – समूहों का गाने और पहचानने का अभ्यास।
  •  लय ज्ञान– ठाह , दुगुन और चौगुन लयों को ताली देकर  अथवा स्वरों कि सहायता से दिखाना।
  • कठिन अलंकारों को  सरगम और आकर में गाने का अभ्यास।
  •  राग – बागेश्री, दुर्गा, आसावरी, भैरवी, वृंदावनी-सारंग, भीम-पलासी और देश रागों में  छोटे-ख्याल ।
  • यमन, बिहाग, और अल्हैया-बिलावल, में एक-एक विलम्बित-ख्याल तथा स्वर-विस्तार का अभ्यास।
  • पाठ्यक्रम के किसी दो रगों में ध्रुपद ठाह , दुगुन और चौगुन लयों में गाने का अभ्यास।
  • छोटे- ख्यालों में अपने मन से आलाप और सरल-तान लेकर तबले से मिलाना।
  • ताल – एकताल, रुपक , तिवरा , झपताल और सूल ताल  को ठाह , दुगुन और चौगुन  में ताली देकर बोलने का ज्ञान ।
  • राग पहचान।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top