कुचीपुड़ी नृत्य का प्रदर्शन एवं शैली Performance And Style Of Kuchipudi Dance In Hindi

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Performance And Style Of Kuchipudi Dance In Hindi

कुचीपुड़ी

  • कूचिपूड़ी  आंध्र प्रदेश, भारत की प्रसिद्ध नृत्य शैली है। यह पूरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है।
  • इस नृत्य का नाम कृष्णा जिले के दिवि तालुक में स्थित कुचिपुड़ी गाँव के ऊपर पड़ा, जहाँ के रहने वाले ब्राह्मण इस पारंपरिक नृत्य का अभ्यास करते थे।
  • परम्‍परा के अनुसार कुचिपुडी़ नृत्‍य मूलत: केवल पुरुषों द्वारा किया जाता था और वह भी केवल ब्राह्मण समुदाय के पुरुषों द्वारा।
  • ये ब्राह्मण परिवार कुचिपुडी़ के भागवतथालू कहलाते थे। कुचिपुडी़ के भागवतथालू ब्राह्मणों का पहला समूह १५५९ विक्रमाब्द के आसपास निर्मित किया गया था।
  • उनके कार्यक्रम देवताओं को समर्पित किए जाते थे। प्रचलित कथाओं के अनुसार कुचिपुड़ी नृत्य को पुनर्परिभाषित करने का कार्य सिद्धेन्द्र योगी नामक एक कृष्ण-भक्त संत ने किया था।
  • प्रतिष्ठित गुरु जैसे वेदांतम लक्ष्‍मी नारायण, चिंता कृष्‍णा मूर्ति और ता‍देपल्‍ली पेराया ने महिलाओं को इसमें शामिल कर नृत्‍य को और समृद्ध बनाया |
  • कूचिपूड़ी के पंद्रह ब्राह्मण परिवारों ने पांच शताब्दियों से अधिक समय तक परम्‍परा को आगे बढ़ाया है।

प्रदर्शन

  • नृत्य का प्रदर्शन एक विशेष परंपरागत विधि से होता है। मंच पर परंपरागत पूजन के पश्चात् प्रत्येक कलाकार मंच पर प्रवेश करता है और एक विशेष लयबद्ध रचना धारवु के द्वारा अपना पात्र-परिचय देता है।
  • पात्रों के परिचय और नाटक के भाव तथा परिपेक्ष निर्धारित हो जाने के बाद मुख्य नाट्य आरम्भ होता है।
  • नर्तकों द्वारा पहने जाने वाले आभूषण परंपरागत होते हैं जिन्हें एक विशेष प्रकार की हलकी लकड़ी बूरुगु से निर्मित किये जाने की परंपरा लगभग सत्रहवीं सदी से चली आ रही है।

शैली

  • भरत मुनि, जिन्होंने नाट्य शास्त्र की रचना की, इस प्रकार के नृत्य के कई पहलुओं की व्याख्या प्रस्तुत करते हैं।
  • बाद में कोई १३वीं सदी के अंतर्गत सिद्धेन्द्र योगी ने इसे एक अलग विशिष्ट शैली का रूप प्रदान किया।
  • माना जाता है कि वे नाट्यशास्त्र में पारंगत थे और कुछ विशेष नाट्यशास्त्रीय तत्वों को चुन कर उन्हें इस नृत्य के रूप में समायोजित किया। उन्होंने पारिजातहरणम नामक नाट्यावली की रचना की।
  • नृत्य की वर्तमान शैली कुछ मानक ग्रंथों पर आधारित है। इनमें सबसे प्रमुख है – नंदिकेश्वर रचित “अभिनय दर्पण” और “भरतार्णव”।

प्रमुख कलाकार

  • लक्ष्मी नारायण शास्त्री
  • स्वप्नसुंदरी
  • राजा और राधा रेड्डी
  • यामिनी कृष्णमूर्ति
  • यामिनी रेड्डी
  • कौशल्या रेड्डी

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