Jatiswaram Granth In Kuchipudi Dance In Hindi
जातिस्वरम की परिभाषा
(1).यह अंश कला ज्ञान का परिचय देने का होता है इसमें नर्तक अपने कला ज्ञान का परिचय देते हैं।
(2).इस अंश में स्वर मालिका के साथ राग रूप प्रदर्शित होता होता है जो कि उच्च कला कि मांग करता है।
(3).शब्दम – ये तीसरे नम्बर का अंश होता है। सभी अंशों में यह अंश सबसे आकर्षक अंश होता है।
(4).जातिस्वरम एक और नृत्त ग्रन्थ है। हर जाति को स्वरम द्वारा वैकल्पिक किया जाता है।
(5).जातिस्वरम में चरणम होते हैं जिन्हें स्वरम में गाया जाता है और हर बार पल्लवी द्वारा पीछा किया जाता है। तीन या अधिक चरणम हो सकते हैं।
(6).जातिस्वरम विभिन्न रागम और तालम में हैं। तंजौर चौकड़ी रचनाएँ व्यापक रूप से प्रदर्शित की जाती हैं।
कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ –
- कल्याणी रागम रूपकम्
- मिश्राचापु में रागमालिका,
- रूपकम में वसंता।