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History And Description Of Bihu Dance
इतिहास
- बिहु नृत्य भारत के असम राज्य का लोक नृत्य है जो बिहु त्योहार से संबंधित है। यह खुशी का नृत्य युवा पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किया जाता है और इसकी विशेषता फुर्तीली नृत्य मुद्राएँ तथा हाथों की तीव्र गति है। नर्तक पारंपरिक रंगीन असमिया परिधान पहनते हैं।
- हालाँकि बिहु नृत्य का मूल अज्ञात है, लेकिन इसका पहला आधिकारिक सबूत तब मिलता है जब अहोम राजा रूद्र सिंह ने 1694 के आसपास रोंगाली बिहु के अवसर पर बिहु नर्तकों को रणघर क्षेत्रों में इसका प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया था।
विवरण
- बिहु एक समूह नृत्य है जिसमें पुरुष और महिलाएं साथ-साथ नृत्य करते हैं किन्तु अलग-अलग लिंग भूमिकाएं बनाए रखते हैं। आमतौर पर महिलाएं पंक्ति या वृत्त संरचना का सख्ती से पालन करती हैं।
- पुरुष नर्तक और संगीतकार नृत्य क्षेत्र में सबसे पहले प्रवेश करते हैं और वे अपनी पंक्ति को बनाए रखते हैं और समक्रमिक आकृतियां बनाते हैं।
- जब बाद में महिला नर्तकियां प्रवेश करती हैं तो पुरुष नर्तक महिला नर्तकियों, जो अपनी संरचनाओं तथा नृत्य क्रम को बनाए रखती हैं, के साथ मिलने के लिए अपनी पंक्तियां भंग कर देते हैं।
- आमतौर पर नृत्य की विशेषता निश्चित मुद्राएं, लय में कूल्हे, बाजू, कलाइयां हिलाना, घूमना, घुटनों को मोड़ना तथा झुकना है लेकिन इसमें छलांगें नहीं हैं। बहुत मामूली लेकिन सूक्ष्म अंतर के साथ पुरुष और महिलाओं की नृत्य मुद्राएं एक समान हैं।
प्रदर्शन
- यह नृत्य पारंपरिक बिहु संगीत के साथ पेश किया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण संगीतकार ढोलकिये (ढुलिया) हैं, जो ढोल नामक दोनों और से बजाया जा सकने वाला ड्रम बजाते हैं, जो गर्दन से लटका होता है तथा एक लकड़ी तथा हथेली की सहायता से बजाया जाता है।
- नृत्य क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले, ढोलकिये एक छोटी तथा तेज गति वाली ताल बजाते हैं। सिउ में परिवर्तन होता है और आमतौर पर ढोलकिये पंक्ति बना कर नृत्य क्षेत्र में प्रवेश करते हैं।
- आम तौर पर शुरुआत में दर्दनाक मूल भाव देने के लिए एकल कलाकार द्वारा मोहोर ज़िंगोर पेपा बजाया जाता है तथा इससे नृत्य के लिए माहौल तैयार होता है।
- इसके बाद पुरुष नर्तक एक संरचना बना कर नृत्य क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तथा गायन, जिसमे सभी भाग लेते हैं, के साथ प्रदर्शन करते हैं।
- इस नृत्य में प्रयुक्त होने वाले कुछ अन्य वाद्ययंत्र हैं ताला -एक मंजीरा, गोगोना -एक प्रकार की बांसुरी और बांस के वाद्ययंत्र टोका -बाँस का टुनटुना, तथा ज़ुटूली -मिटटी की सीटी। नृत्य के साथ गाये जाने वाले गीत कई पीढ़ियों से हस्तांतरित होते आ रहे हैं।
- प्रदर्शन अपने आप में लंबा हो सकता है, ताल, माहौल, गति व एकाएक मुद्रा में परिवर्तन जैसे तीव्र बदलावों द्वारा इसे सजीव बनाया जाता है तथा नर्तकों तथा संगीतकारों को अपनी कलाप्रवीणता दिखाने के लिए अल्प अवसर दिए जाते हैं।
बिहु नृत्य के प्रकार
- उत्तर पूर्व भारतीय समूहों के बीच इस नृत्य के कई प्रकार हैं, उदाहरण के लिए “देओरी बिहु नृत्य”, “माइजिंग बिहु नृत्य” इत्यादि, हालाँकि नृत्य का मूल लक्ष्य एक ही रहता है: दर्द और खुशी दोनों को महसूस करने की इच्छा व्यक्त करना।