बिलावल की उत्पत्ति बिलावल थाट से मानी गई है। इसका वादी स्वर ध और संवादी ग है दिन का प्रथम प्रहर में इसे गाया- बजाया जाता है। इसलिये इसकी जाति सम्पूर्ण मानी जाती हैं।
Bilawal Raag
How To Read Sargam Notes
- “(k)” is used for komal swars.eg – ( रे(k) , ग(k) , ध(k) , नि(k) ) (Note – You can write ( रे , ग , ध , नि ) in this manner in exams . )
- म(t) here “(t)” is used for showing teevra swar म(t) . (Note – You can write ( म॑ ) in this manner in exams . )
- “-” is used for stretching the swars according to the song.
- Swars written “रेग” in this manner means they are playing fast or two swars on one beat.
- (रे)सा here “रे” is kan swar or sparsh swar and “सा” is mool swar. (Note – You can write ( रेसा ) in this manner in exams . )
- [ नि – प ] here this braket [ ] is used for showing Meend from “नि” swar to “प” . (Note – You can write ( नि प ) making arc under the swars in this manner in exams . )
- { निसां रेंसां नि } here this braket {} is used for showing Khatka in which swars are playing fast .
Bilawal raag Aaroh Avaroh
आरोह – सा रे ग म , ग प , नि ध नि सां ।
अवरोह – सां नि ध प, म ग म रे , सा ।
पकड़ – ग रे , ग प , ध , नि सां ।
वादी – संवादी स्वर – ध , ग
थाट – बिलावल ठाट
Bilawal raag Time
गायन समय – दिन का प्रथम प्रहर ।
जाति – सम्पूर्ण – सम्पूर्ण (7,7)
Bilawal Raag Bandish
बिलावल राग बंदिश –
स्थाई –
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
गोवर धन गिरिधारी
अंतरा –
मोर मुकुट छवि बंसी धुन पर
मोहित ब्रज के सब नर नारी
Bilawal Raag Bandish
बिलावल राग स्वर मालिका –
स्थाई –
द र श न / दे – दो – / कृ – ष्ण मु / रा – री –
सां – ध प / म ग म रे / ग म प ग / म रे सा –
0 / 3 / x / 2
गो – व र / ध न गि री / धा – री – / धा – री –
ग रे ग प / ग प नि नि / सां – रें सां / सां – ध प
0 / 3 / x / 2
अंतरा –
मो – र मु / कु ट छ वि / बं – शी – / धु न प र
प – प प / सां सां सां सां / सां – सां – / सां रें सां –
0 / 3 / x / 2
मो – ही त / बृ ज के – / स ब न र / ना – री –
सां – गं रें / गं रें सां नि / ध नि सां नि / ध प म ग
0 / 3 / x / 2
Bilawal Raag Allap
8 मात्रा आलाप –
दर्शन देदो – सा रे ग – / रे – सा –
दर्शन देदो – सा रे ग म / ग – रे सा
दर्शन देदो – ग म प ग / – म रे सा
दर्शन देदो – ग रे ग प / ग – रे सा
दर्शन देदो – ग प ध प / म रे सा –
16 मात्रा अलाप –
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
सा – – – / रे ग – – / रे ग म ग / म रे सा –
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
सा – – – / सा .नि .ध .नि / सा रे ग – / रे ग रे सा
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
सा रे ग – / रे ग म प / ग प म ग / म रे सा –
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
ग म प – / ग म ग – / सा रे ग म / ग रे सा –
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
ग प ध प / ध नि सां – / सां नि ध प / म ग रे सा
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
ग म प नि / ध नि ध प / ग म प म / ग रे सा –
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
ग म प नि / ध नि सां – / सां नि ध प / म ग रे सा
मोर मुकुट छवि बंसी धुन पर
सां – – – / सां रें सां – / सां नि ध प / म ग रे सा
मोर मुकुट छवि बंसी धुन पर
सां – – – / सां रें सां – / सां रें गं रें / गं रें सां –
मोर मुकुट छवि बंसी धुन पर
मोहित ब्रज के सब नर नारी
Bilawal Raag Taan
8 मात्रा तान –
दर्शन देदो – सारे गम पध निसां / सांनि धप मग रेसा
दर्शन देदो – सारे गग रेग मम / पम गम गरे सा–
दर्शन देदो – गम पम गम पम / गम पम गरे सा–
दर्शन देदो – गम पम गम पध / सांनि धप मग रेसा
दर्शन देदो – सांनि धसां निध सांनि / सांनि धप मग रेसा
दर्शन देदो – सारे गप मग मरे / गप मग मरे सा–
दर्शन देदो – गप धनि सांनि धप / सांनि धप मग रेसा
दर्शन देदो – गप धनि सांरें गंरें / सांनि धप मग रेसा
दर्शन देदो – सारे गप धनि धप / मग मरे सारे सा–
दर्शन देदो – सारे गरे गप मग / मरे गप धनि सां–
मोर मुकुट छवि – सांनि धप मग मरे / गप मग मरे सा-
16 मात्रा तान –
दर्शन देदो कृष्ण मुरारी
सारे गम पध निसां / सांनि धप मग रेसा / सारे गम पध निसां / निनि धप मग रेसा
सारे गग रेग मम / गम पप मप धध / पध निनि धनि सांसां / सांनि धप मग रेसा
सारे गरे सारे गरे / सारे गप मग मरे / गप धनि सांनि धप / सांनि धप मग रेसा
गप गप गप धप / गप धनि सांनि धप / सांनि धप मग मरे / गप मग मरे सा-
गप धनि सांनि धप / सांनि धप मग मरे / गप धनि सांरें गंरें / सांनि धप मग रेसा
गम पम गम पम / गम पध सांनि धप / सांनि धप मग मरे / गप मग मरे सा-
बिलावल राग का थाट क्या है ?
बिलावल राग का ठाट बिलावल ठाट है ।
बिलावल राग की जाति क्या है ?
जाति – सम्पूर्ण – सम्पूर्ण (7 , 7 ) आरोह में 7 स्वर व अवरोह में 7 स्वर ।
बिलावल राग के आरोह अवरोह व पकड़ क्या है ?
आरोह – सा रे ग म , ग प , नि ध नि सां ।
अवरोह – सां नि ध प म ग म रे , सा ।
पकड़ – ग रे , ग प , ध , नि सां ।
बिलावल राग का गायन समय क्या है ?
गायन समय – दिन का प्रथम प्रहर । 6 a.m tp 9 a.m
बिलावल राग किस ठाट से आता है ?
बिलावल ठाट से ही उत्पन्न हुआ है बिलावल राग इसलिए ये आश्रय राग भी कहलता है ।
बिलावल राग के वादी संवादी स्वर क्या हैं ?
वादी – संवादी स्वर – ध , ग
Click here For english information of this post ..
Bhimpalasi raag- Koyal bole ambuya ki daar Lyrics-Bandish-Allap-Taan-Bandish-Allap-Taan is described in this post of Saraswati Sangeet Sadhana..
Some posts you may like this…