Vyankatmakhi ke 72 thaat

Vyankatmakhi ke 72 thaat in hindi Thaat Rachna Vidhi

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Vyankatmakhi ke 72 thaat in Hindi

व्यंकटमखी के 72 थाट –

सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दक्षिण के पंडित व्येकटमखी ने चतुर्दण्डिप्रकाशिका नामक ग्रन्थ में गणित द्वारा यह सिद्ध किया है कि सप्तक से अधिक से अधिक 72थाटों अथवा मेलों की रचना हो सकती है। सर्वप्रथम उन्होंने थाट के निम्नलिखित लक्षण बताये थाट के लक्षण –

1 – थाट सदैव सम्पूर्ण होना चाहिये। दूसरे शब्दों में प्रत्येक थाट में कम से कम और अधिक से अधिक सात स्वर होने चाहिये।

2- थाट के सातों स्वर क्रम से होने चाहिये अर्थात् सा के बाद रे ही आना चाहिये, ग नहीं।

3- एक स्वर के दोनों रूप एक साथ प्रयोग किए जा सकते हैं। थाट की प्रथम और तीसरी विशेषतायें एक दूसरे की विरोधी मालूम पड़ती हैं, किन्तु नहीं, दक्षिणी संगीत के स्वरों में यह विरोध नहीं रहता।

 4- प्रत्येक थाट का आरोह-अवरोह, स्वर के रूप और संख्या दोनों की दृष्टि से समान होता है, इसलिये किसी भी थाट को पहिचानने के लिये केवल आरोह अथवा अवरोह पर्याप्त होता है।

व्यंकटमखी के स्वरों की विशेषतायें

1- आधुनिक काल के समान उन्होंने भी शुद्ध और विकृत स्वरों को मिला कर एक सप्तक में कुल बारह स्वर माने।

2- कुछ स्वरों के दो-दो नाम रखे और यह छूट रखी कि दोनों में से कोई एक नाम आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए अगर किसी थाट में दोनों रे प्रयोग होता है तो प्रथम रे रे ही रहेगा और दूसरा गंधार हो जायेगा, इसी प्रकार अगर दोनों ग प्रयोग होता है तो प्रथम ग चतुः श्रुति रे हो जायेगा और दूसरा साधारण ग ही रहेगा। इस प्रकार से एक स्वर दोनों रूपों का प्रयोग केवल देखने को है। वास्तव में किसी भी स्वर का दोनों रूप एक साथ प्रयोग नहीं किया जाता।

थाट-रचना-विधि

● सर्वप्रथम उसने मध्य सा से नि तक बारहो स्वरों को लिया जैसे- सा रे रे ग ग म मˈ  प ध ध नि नि इसके पश्चात् इसमें से उसने थोड़ी देर के लिये तीव्र म निकाल दिया और तार सा जोड दिया। इस प्रकार पुनः बारह स्वर हो गये जिसे दो बराबर भागों में विभाजित किया। प्रथम भाग को पूर्वार्ध और दूसरे भाग को उत्तरार्ध कहा। प्रत्येक में ६-६ स्वर हुए। जैसे

पूर्वार्ध                            उत्तरार्ध

सा रे रे ग म          प नि नि सां

सर्वप्रथम उसने सप्तक के पूर्वार्ध को और फिर उत्तरार्ध को लिया और प्रत्येक से 4-4 स्वरों के 6-6 नवीन स्वर समूह बनाये। प्रथम 6 स्वर-समूहों में सा और म और अन्तिम 6 स्वर समूहों में प और सां अवश्य रखा। निम्नलिखित तालिका से यह बात स्पष्ट हो जायेगी

(अ) खण्ड                        (ब) खण्ड

1- सा रे रे म                   1- प ध सां

2- सा रे म                  2- प ध नि सां

3- सा रे ग म                  3- प नि सां

4- सा रे ग म                  4- प नि सां

5- सा रे ग म                  5- प ध नि सां

6- सा ग म                 6- प नि नि सां

दोनों खण्डों के स्वरों को मिलाने से थाटों की रचना  –

सबसे पहले उसने (अ) खण्ड के नं० 1 स्वरों को लिया और उसे पूरा करने के लिये (ब) खण्ड के नं० 1 से मिला दिया। इस प्रकार सा रे रे म प ध ध सां एक थाट बन गया। इसमें यह न समझिये कि दो रे और दो ध प्रयोग किये गये है तथा ग नि स्वर वर्ज्य किये गये हैं। कर्नाटकी स्वरों की दृष्टि से ये स्वर सा रे ग म प ध नि सां हो जायेंगे।

अब दूसरा घाट इस प्रकार बनायेंगे कि (अ) खण्ड के न०1स्वरों को ही लेकर (म) खण्ड के नं० 2 से मिलायेंगे, इस तरह दूसरा थाट बन जायेगा-सा रे म प ध नि सां। इसी प्रकार तीसरा थाट बनायेंगे- (अ) खण्ड के नं०1 को ही (4) खण्ड के न०3 से जोड़ेंगे। चौथा थाट बनाने के लिये उसी नं० 1 को ही (ब) खण्ड के 4 से जोड़ेंगे। पांचवीं थाट बनाने के लिये नं० 5 से और छटाँ बनाने के लिये (ब) खण्ड के न० 6 से जोड़ देंगे। इस प्रकार 6थाट बन गये। इन छहों थाटों को देखने से यह स्पष्ट है कि इनमें (अ) खण्ड के नं० 1 स्वर समुदाय को ही बारी-बारी से जोड़ा गया है।

अब हम अ खण्ड के न० 2 के स्वरों को लेकर व खण्ड के स्वरों से बारी बारी जोड़कर 6 नये थाटों की रचना करेंगे।

इसके बाद (अ) खण्ड के नं०3 स्वरों को लेंगे और उन्हें क्रमश (ब) खण्ड के प्रत्येक स्वर-समूह से जोड़ेंगे। इस प्रकार 6 नये थाट और बन जायेंगे। अब कुल मिलाकर 6+6+6= 18 थाट बन गये।

अब (अ) खण्ड के न० 4 स्वरों को लेंगे और बताई गई विधि के समान (4) खण्ड के प्रत्येक स्वर समूह से जोड़ेंगे। इस प्रकार 6 नये थाट और बन जायेंगे। अब तक कुल मिलाकर 18 + 6 = 24 थाट बन गये।

इसके बाद (अ) खण्ड के नं० 5स्वर-समुदाय को लेंगे और उसे भी (ब) खण्ड के छहों स्वर-समुदायों से अलग-अलग जोड़ेंगे। इस तरह 6नये थाट और बन गये। अब कुल मिलाकर 30 थाट बन गये।

अब केवल (अ) खंड का अन्तिम स्वर समूह बच गया है। इसे भी (ब) के प्रत्येक स्वर से अलग-अलग जोड़ेंगे और 6 नवीन थाटों की रचना करेंगे। इस प्रकार कुल मिलाकर 36 थाट बन गये। इन सभी थाटों के मध्यम स्वर शुद्ध है। अगर इन थाटों में प्रत्येक म को शुद्ध रखने के बजाय तीव्र कर दें तो ३६ नये थाटों की रचना होगी। इस प्रकार पं० व्यंकटमखी के शुद्ध म और तीव्र म वाले थाटों को जोड़ देने से 36+ 36 = 72 थाट बन जायेंगे।

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