वृंदावनी सारंग राग की उत्पत्ति काफी कि से मानी जाती है। इस राग में गा और ध का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसकी जाति औडव-औडव(5,5) है। इस राग में रे और पा वादी और संवादी स्वर हैं। इस राग का गायन समय सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे (दिन का दूसरा पहर) है।
Vrindavani Sarang
How To Read Sargam Notes
- “(k)” is used for komal swars.eg – ( रे(k) , ग(k) , ध(k) , नि(k) ) (Note – You can write ( रे , ग , ध , नि ) in this manner in exams . )
- म(t) here “(t)” is used for showing teevra swar म(t) . (Note – You can write ( म॑ ) in this manner in exams . )
- “-” is used for stretching the swars according to the song.
- Swars written “रेग” in this manner means they are playing fast or two swars on one beat.
- (रे)सा here “रे” is kan swar or sparsh swar and “सा” is mool swar. (Note – You can write ( रेसा ) in this manner in exams . )
- [ नि – प ] here this braket [ ] is used for showing Meend from “नि” swar to “प” . (Note – You can write ( नि प ) making arc under the swars in this manner in exams . )
- { निसां रेंसां नि } here this braket {} is used for showing Khatka in which swars are playing fast .
Vrindavani Sarang Raag Parichay
आरोह :- .नि सा रे म प नि सां ।
अवरोह:- सां नि(k) प म रे .नि सा ।
पकड :- .नि सा रे म रे , प म रे .नि सा ।
थाट :- काफी थाट
जाति :- औडव – औडव (5,5 )
वादी – संवादी स्वर :- रे – प
बन्दिश-
वन वन ढूंडन जाऊँ
कितहु छिप गये कृष्ण मुरारी ।
स्थाई
शीश मुकुट और कानन कुंडल
वंशी धर मन रंग फिरत गिरि धारी
तीन ताल
एक गुन में लिखने का तरीका –
मात्रा | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
बोल | धा | धिं | धिं | धा | धा | धिं | धिं | धा | धा | तिं | तिं | ता | ता | धिं | धिं | धा |
चिन्ह | x | 2 | 0 | 3 |
वृंदावनी सारंग विशेषता-
- सारंग के कई प्रकार हैं ,जैसे शुद्ध सारंग ,मियां की सारंग ,मध्यमादी सारंग आदि ।
- इसकी रचना उत्तर प्रदेश के एक लोक – गीत के आधार पर हुई है ।
- इसमें बड़ा ख्याल ,छोटा ख्याल तथा तराना गाया जाता है । इसमें ठुमरी नहीं गाई जाती ।
न्यास के स्वर – सा ,रे और प
मिलते जुलते राग – सूर मल्हार
Notation / Swar Malika
स्थाई
9 10 11 12 / 13 14 15 16 / 1 2 3 4 / 5 6 7 8
व न व न / ढूं – ड न / जा – – – / ऊँ – – –
सां सां नि सां / नि(k)– पनि(k) प / म रे म – / प – – –
9 10 11 12 / 13 14 15 16 / 1 2 3 4 / 5 6 7 8
कि त हु – / छि प ग ये / कृ – ष्ण मु / रा – री – ।
म प सां – / नि(k) प म रे / रे म प नि(k)प / म रे सा –
अंतरा –
9 10 11 12 / 13 14 15 16 / 1 2 3 4 / 5 6 7 8
व न व न / ढूं – ड न / शी – श मु / कु ट औ र
सां सां नि सां / नि(k) – पनि(k) प / म – प प / नि(k) प नि नि
9 10 11 12 / 13 14 15 16 / 1 2 3 4 / 5 6 7 8
का – न न / कुं – ड ल / वं – शी – / ध र म न
सां – सां सां / रें नि सां – / नि सां रें – / रें माँ रें सांसां
9 10 11 12 / 13 14 15 16 / 1 2 3 4 / 5 6 7 8
रं – ग फि / र त गि रि / धा – – – / – – री –
नि सां रें सां / नि सां नि(k)प / मप निसां रेंमाँ रेंसां / निसां रेंसां नि(k)प
Vrindavani Sarang Allap Taan
16 Matras Allap
वन वन ढूंडन जाऊँ
.नि सा रे म / रे सा .नि सा / रे म प – / रे म रे सा
वन वन ढूंडन जाऊँ
रे म प – / म प नि(k) प / सां नि(k )प म / रे म रे सा
वन वन ढूंडन जाऊँ
.नि सा रे म / प नि सां – / सां – – – / रें नि सां –
शीश मुकुट और कानन कुंडल
सां – – – / सां नि(k) प – / रे म रे सा / .निसा रेम पनि सां
शीश मुकुट और कानन कुंडल
सां – – – / सां नि(k) प – / म प नि सां / रें नि सां –
16 Matras Taan
वन वन ढूंडन जाऊँ
.निसा रेम पनि सां– / सांनि पम रेम रेसा / .निसा रेम पनि सांनि / नि(k)नि(k) पम रेम रेसा
वन वन ढूंडन जाऊँ
.निसा रेरे सारे मम रेम पप मप निनि पनि सांसां पनि सांसां सांनि पम रेम रेसा
वन वन ढूंडन जाऊँ
.निसा रे.नि सारे .निसा / रेम परे मप रेम / पनि सांप निसां पनि / सांनि(k) पम रेम रेसा
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Vrindavani Sarang Raag Details
वृंदावनी राग की पकड़ क्या है ?
पकड :- .नि सा रे म रे , प म रे .नि सा ।
वृंदावनी राग का थाट कौन सा है ?
काफी थाट
वृंदावनी राग की जाति क्या है ?
जाति :- औडव – औडव (5,5 )
वृंदावनी राग के वादी संवादी स्वर कौन से हैं ?
वादी – संवादी स्वर :- रे – प
वृंदावनी राग का गायन समय कौन सा है ?
गायन समय – मध्यान काल
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