Vocal Music Sangeet Bhushan Final Syllabus In Hindi
गायन
परीक्षा के अंक
पूर्णाक :150
शास्त्र-50
क्रियात्मक-100
शास्त्र
- शुद्ध तथा विकृत स्वर समुहों द्वारा 72थाटों की उत्पत्ति का विवरण तथा व्यंकट मुखी द्वारा एक थाट से 484 रागों के उत्तपन्न होने का विवरण।
- पूर्व राग, उत्तर राग,संधि प्रकाश राग,आविर्भाव-तिरोभाव,अल्पत्व,बहुत्व,तान के प्रकार,गमक के प्रकारों के विषय में विस्तृत विवरण।
- गायक के गुण तथा दोष।
- तानपुरा तथा तबले का इतिहास एवं उनको स्वर में मिलाने की विधि।
- गीतों के प्रकार – धमार तथा तराना।
- पाठ्यक्रम में निर्धारित राग समुहों का पूर्ण तथा तुलनात्मक अध्ययन।
- ध्रुपद तथा धमार की स्वरलिपि ठाह,दुगुन, तिगुन तथा चौगुन लयकारी में लिखने की क्षमता।
- संगीत से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर निबंध –
- रेडियो तथा संगीत।
- शास्त्रीय संगीत तथा सुगम संगीत।
- मानव जीवन में संगीत का महत्व।
- संगीत में ताल तथा लय का महत्व।
- संगीत ऐच्छिक विषय।
- लिखित स्वर समूहों को देखकर रागों की पहचान।
- पाठ्यक्रम में निर्धारित ताल समुहों को ठाह,दुगुन,तिगुन तथा चौगुन में लिखने की क्षमता।
- भारतीय संगीत का इतिहास।
- निम्नलिखित संगीतकारो का जीवन परिचय व योगदान- स्वामी हरिदास,विष्णु दिगम्बर पलुस्कर,अमीर खुसरो और पंडित विष्णु नारायण भातखंडे।
क्रियात्मक
- पाठ्यक्रम में निर्धारित समस्त रागों में छोटा ख्याल आलाप एवं तानों के विभिन्न प्रकारों सहित (ध्रुपद गायन के परिक्षार्थियों के लिए विलम्बित, दुगुन,तिगुन तथा चौगुन लयकारी सहित ध्रुपद जानना आवश्यक है) निर्धारित राग- तिलंग,मालकौंस,पूर्वी,कालिंगड़ा,जयजयवंती,केदार,कामोद,हमीर,देशकार,पीलू,पटदीप और मारवा ।
- ऊपर दिये गये रागों में किन्हीं चार रागों में विलम्बित ख्याल,झूमरा,त्रिताल, तथा एकताल में निबन्ध होने चाहिए।
- इस वर्ष के निर्धारित राग में से किसी भी एक राग में दो ध्रुपद एक तराना तथाएक धमार जानना आवश्यक है।(ध्रुपद,धमार,ठाह, दुगुन, तिगुन तथा चौगुन में होना चाहिए)
- ध्रुपद गायन परिक्षार्थियों को ठाह ,दुगुन, तिगुन तथा चौगुन लयकारी के साथ दो धमार एवं एक तराना जानना आवश्यक है।
- रागों में गाकर समानता विभिन्नता प्रदर्शन करने का अभ्यास।
- आलाप सुनकर रागों की पहचान ।
- निम्नलिखित तालों के ठेके को ताली,खाली,ठाह, दुगुन, तिगुन तथा चौगुन लयकारियों में बोलने का अभ्यास – तिलवाड़ा, झूमरा, धमार, सूलताल
और रूपक।
- तानपुरा के साथ गाने का अभ्यास अनिवार्य है।
टिप्पणी – पूर्व वर्षों का पाठ्यक्रम संयुक्त रहेगा।