Vadi Samvadi Anuvadi Vivadi & Varjit swar in indian classical music in hindi is described in this post of saraswati sangeet sadhana.
Vadi Samvadi Anuvadi Vivadi & Varjit swar
Vadi swar / वादी स्वर –
राग का सबसे महत्वपूर्ण स्वर वादी कहलता है । अर्थात राग के अन्य स्वरों की अपेक्षा जिस स्वर पर अधिक ठहरा जाता है तथा जिसका प्रयोग बार – बार किया जाता है उस राग का वादी स्वर कहलता है । जैसे – भूपली राग में ग स्वर को वादी माना गया है ।
Samvadi Swar / संवादी स्वर –
राग का दूसरा महत्वपूर्ण स्वर संवादी कहलता है इसका प्रयोग वादी की अपेक्षा कम तथा अन्य स्वरों की तुलना में अधिक होता है । ये वादी स्वर का परम सहायक होता है और उससे अटूट संबंध स्थापित किए रेहता है ।
जैसे – राग भूपली में वादी – संवादी स्वर – ग , ध है ।
Anuvadi swar / अनुवादि स्वर –
वादी संवादी के अतिरिक्त राग में प्रयोग किए जाने वाले अन्य स्वर अनुवादि कहलाते हैं । उदाहरण के लिये राग भूपली में सा रे प अनुवादि स्वर हैं ।
Vivadi Swar / विवादी स्वर –
उस स्वर को विवादी स्वर कहा गया है , जिससे राग का स्वरूप बिगड़े । जैसे वृंदवानी सारंग में सा , रे , म , प , और दोनों नि को छोड़कर अन्य सभी स्वर (शुद्ध और विकृत स्वर ) उस राग के विवादी स्वर हैं ।
कभी कभी विवादी स्वर का प्रयोग राग की सुंदरता के लिये करते हैं जैसे राग विहाग में तीव्र म अवरोह में प्रयोग किया है ।
Varjit swar / वर्जित स्वर / वर्ज्य स्वर –
जिन स्वरों का प्रयोग राग में नहीं होता वे वर्जित स्वर कहलाते हैं । जैसे राग भूपली में म और नि स्वर वर्जित स्वर हैं ।
वर्जित स्वर और विवादी स्वर में बस इतना अंतर है वर्ज्य स्वर का प्रयोग कभी नहीं होता , किन्तु विवादी स्वर का प्रयोग राग की सुंदरता बनाने के लिये कभी – कभी कर लिया जाता है ।
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वादी स्वर किसे कहते हैं ? वादी स्वर की परिभाषा क्या है ?
राग का सबसे महत्वपूर्ण स्वर वादी कहलता है । अर्थात राग के अन्य स्वरों की अपेक्षा जिस स्वर पर अधिक ठहरा जाता है तथा जिसका प्रयोग बार – बार किया जाता है वीएच उस राग का वादी स्वर कहलता है । जैसे – भूपली राग में ग स्वर को वादी माना गया है ।
संवादी स्वर किसे कहते हैं ? संवादी स्वर की परिभाषा क्या है ? संवादी स्वर व्याख्या ?
राग का दूसरा महत्वपूर्ण स्वर संवादी कहलता है इसका प्रयोग वादी की अपेक्षा कम तथा अन्य स्वरों की तुलना में अधिक होता है । ये वादी स्वर का परम सहायक होता है और उससे अटूट संबंध स्थापित किए रेहता है ।
जैसे – राग भूपली में वादी – अंवादी स्वर – ग , ध है ।
अनुवादी स्वर किसे कहते हैं ? अनुवादी स्वर की परिभाषा क्या है ?
वादी संवादी के अतिरिक्त राग में प्रयोग किए जाने वाले अन्य स्वर अनुवादि कहलाते हैं । उदाहरण के लिये राग भूपली में सा रे प अनुवादि स्वर हैं ।
विवादी स्वर किसे कहते हैं ? विवादी स्वर की परिभाषा क्या है ?
उस स्वर को विवादी स्वर कहा गया है , जिससे राग का स्वरूप बिगड़े । जैसे वृंदवानी सारंग में सा , रे , म , प , और दोनों नि को छोड़कर अन्य सभी स्वर (शुद्ध और विकृत स्वर ) उस राग के विवादी स्वर हैं ।
कभी कभी विवादी स्वर का प्रयोग राग की सुंदरता के लिये करते हैं जैसे राग विहाग में तीव्र म अवरोह में प्रयोग किया है ।
वर्जित स्वर किसे कहते हैं ? वर्जित स्वर की परिभाषा क्या है ?
जिन स्वरों का प्रयोग राग में नहीं होता वे वर्जित स्वर कहलाते हैं । जैसे राग भूपली में म और नि स्वर वर्जित स्वर हैं ।
वर्जित स्वर और विवादी स्वर में बस इतना अंतर है वर्ज्य स्वर का प्रयोग कभी नहीं होता , किन्तु विवादी स्वर का प्रयोग राग की सुंदरता बनाने के लिये कभी – कभी कर लिया जाता है ।
वादी व संवादी स्वर कितने होते हैं ?
वादी व संवादी स्वर 1 – 1 होते हैं पेरन्तु राग के अनुसार वादी संवादी स्वर बदल जाते हैं । जैसे – राग भूपली में वादी – अंवादी स्वर – ग , ध है ।
Vadi , samvadi , anuvadi , vivadi aur varjit swar (वादी , संवादी, अनुवादि , विवादी और वर्जित स्वर ) are described in this post .. Saraswati sangeet sadhana provides complete Indian classical music theory in easy method ..
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