Thumri in Music in Hindi

Thumri in Music in Hindi ठुमरी गायन शैली

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Thumri in Music in Hindi ठुमरी गायन शैली is described in this post . Learn indian classical music theory in hindi .

Thumri in Music in Hindi

ठुमरी गायकी –

ठुमरी-यह गीत का वह प्रकार है जिसमें राग की शुध्दता की तुलना में भाव और सौंदर्य को अधिक महत्व दिया जाता है। इसकी प्रकृति चपल और द्रुत होती हैं। अतः यह खमाज,देश, तिलक, कामोद,तिलंग, पीलू, काफी, भैरवी,झिझोटी,जोगिया आदि ऐसे चपल रागों में गायीं जाती है। इसके साथ दीपचन्दी अथवा जतताल बजाया जाता है।

इसमे शब्द कम होते है और शब्दों का भाव-विविध स्वर समूहों द्वारा व्यक्त किया जाता है।

ठुमरी श्रृंगार रस प्रधान होती है। इसमें मींड और कण का विशेष प्रयोग होता है। अंतरा से स्थाई में आते समय कहरवा ताल में आ जाते है और विभिन्न प्रकार के सुन्दर बोल बनाते हैं। कुछ देर के बाद पुनः  पूर्व ठेके और लय में आ जाते है।

ठुमरी गायन उन्हीं व्यक्तियों के लिये उपयुक्त है जिनका कंठ मधुर व चपल होता है । बनारस, लखनऊ, पंजाब की ठुमरियाँ विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

ठुमरी का एक और प्रकार है जो शब्द और लय प्रधान है। इसके शब्द अनुप्रासयुक्त होतें है। जैसे छाई घटा छटा, तरसे लरजे, जिया पिया बिना इत्यादि।

कुछ ठुमरियाँ ताल चमत्कार प्रधान होती हैं जो सुनने में तीनताल की मालूम पडती है,किन्तु वास्तव में झपताल या एकताल में रहती हैं। ये केवल तबलियों से लड़त के लिये बनाई गई है।

बनारस की इस ठुमरी में वियोग व्यथा की पराकाष्ठा का अनुमान कीजिए।

स्थाई- पपीहा पी की बोली न बोल।

अन्तरा- सुन पावेगी कोई विरह की मारी देगी पंख मरोड़।

ठुमरी गायकी क्या है ? ठुमरी का संक्षिप्त इतिहास क्या है ? ठुमरी कैसा गीत है ?

यह गीत का वह प्रकार है जिसमें राग की शुध्दता की तुलना में भाव और सौंदर्य को अधिक महत्व दिया जाता है। इसकी प्रकृति चपल और द्रुत होती हैं। अतः यह खमाज,देश, तिलक, कामोद,तिलंग, पीलू, काफी, भैरवी,झिझोटी,जोगिया आदि ऐसे चपल रागों में गायीं जाती है। इसके साथ दीपचन्दी अथवा जतताल बजाया जाता है।

ठुमरी गायन शैली में अधिकतर किस रस का प्रयोग किया जाता है ?

ठुमरी श्रृंगार रस प्रधान होती है। इसमें मींड और कण का विशेष प्रयोग होता है। अंतरा से स्थाई में आते समय कहरवा ताल में आ जाते है और विभिन्न प्रकार के सुन्दर बोल बनाते हैं। कुछ देर के बाद पुनः  पूर्व ठेके और लय में आ जाते है।

ठुमरी कौन से राग में गायी जाती है ? ठुमरी को किस ताल में गायी जाता है ?

यह गीत का वह प्रकार है जिसमें राग की शुध्दता की तुलना में भाव और सौंदर्य को अधिक महत्व दिया जाता है। इसकी प्रकृति चपल और द्रुत होती हैं। अतः यह खमाज,देश, तिलक, कामोद,तिलंग, पीलू, काफी, भैरवी,झिझोटी,जोगिया आदि ऐसे चपल रागों में गायीं जाती है। इसके साथ दीपचन्दी अथवा जतताल बजाया जाता है।

ठुमरी गायन की संगति में कौन सा वाद्य प्रयोग में आता है ?

ठुमरी गायन में तबले का प्रयोग जादा होता है ।

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