Tabla & Pakhawaj Sangeet Visharad Part 1 Syllabus In Hindi Pracheen Kala Kendra

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Tabla & Pakhawaj Sangeet Visharad Part 1 Syllabus In Hindi

तबला और पखावज

परीक्षा के अंक

पूर्णाक : १५०

शास्त्र – ५०

क्रियात्मक-१००

शास्त्र

(1).तबला एवं पखावज के विभिन्न घरानों (जैसे पंजाब, लखनऊ, बनारस एव दिल्ली) की वादन शैली का सम्पूर्ण अध्ययन।

(2).भारतीय घन वाद्य का अध्ययन एवं संगीत में उनका योगदान

(3).कर्नाटक ताल पद्धति का अध्ययन।

(4).भातखंडे और विष्णु दिगम्बर ताल पद्धति का विशेष अध्ययन, उनकी त्रुटियों एंव संशोधन के सम्बन्ध में अपने विचार ।

(5).भारतीय संगीत में ताल के दस प्राणों का महत्व।

(6).प्रथम से चतुर्थ वर्ष तक निर्धारित सभी तालों का तुलनात्मक अध्ययन।

(7).पाठयक्रम में निर्धारित समस्त तालों के ठेके आड़, कुवाड़, वियाड़, लयकारियों में लिखने का अभ्यास ।

(8).ताल, संगत एवं लयकारी के सम्बन्ध में निबन्ध ।

(9).भारतीय ताल वाद्यों का विकास, उनका प्रयोग, महत्व।

(10).लय-लयकारी का संबन्ध। विभिन्न सम-विषम लयकारियों को लिपिबद्ध करना।

(11).स्वतंत्र वादन के विभिन्न चरणों का ज्ञान।

(12).निम्नलिखित संगीत साधकों का जीवन परिचय एवं उनका सांगीतिक योगदान- पं. रामसहाय, उस्ताद आबिद हुसैन खां, पं. किशन महाराज, गुदईमहाराज, उस्ताद अल्ला रक्खा, उस्ताद हुबीबुदीन खां, पं. अयोध्या प्रसाद, पर्वत सिंह जी, घनश्याम परवावजी ।

(13).तबला और पखावज के सिधान्तों  का सम्पूर्ण  का ज्ञान |       

(14).तबला  के 10 वर्णों का ज्ञान |

(15).निम्नलिखित परिभाषिक शब्द का ज्ञान -करबी, अताई, तबलची परवाची आवसीय चायति (छ: प्रकार) प्रस्तार, आड़ी, कुवाड़ी, वियाडी, अतिविम्बित, अनुद्रुत  ,लय

क्रियात्मक

(1).रूद्र, शिखर, बसंत, सवारी (16 मात्रा) तथा फरोदस्त ताल के ठेके विभिन्न लयकारियों में बजाने का अभ्यास।

(2).प्रथम से चतुर्थ वर्ष तक निर्धारित सभी तालों में परन, टुकड़ा, गत आदि बजाने का अभ्यास।

(3).त्रिताल, एकताल, झपताल और आड़ाचारताल में कठिन कायदा पेशकार, टुकड़ा बजाने का अभ्यास तथा समस्त तालो को विभिन्न लयकारियों 2/3, 3/2, 3/4, 4/3, 4/5, 5/4, हाथ पर दिखाने का क्षमता ।

(4).तबला और परखावज को स्वर में मिलाने का ज्ञान।

(5).पखावज पर धमार, सूलताल, बसंत, रूद्र, शिखर ताल, तीवरा में टुकड़ा बजाने का अभ्यास ।

(6).एकताल, झपताल और रूपक ताल में लहरा बजाने का अभ्यास ।

(7).पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी तालों के ठेके हाथ पर ताली खाली दिखलाकर विभिन्न लयकारियों में बोलने का अभ्यास ।

(8).कण्ठ संगीत और यन्त्र संगीत के साथ संगत करने का अभ्यास ।

(9).तबला स्वतंत्र वादन हेतू निम्नलिखित तालों का विस्तृत अध्ययन – बसंत मात्रा), एकताल, आड़ाचारताल |

(10).विस्तृत अध्ययन की तालों में तबला हेतु पेशकार चार विभिन्न प्रकार कायदा , दो प्रकार के रेला एवं तिहाई सहित चार सुंदर सादा टुकड़े, चार चक्करदार टुकड़े, परन इत्यादि परवावज हेतु तालों में साधारण चक्करदार परन, चार फरमाईशी, कमाली की परब इत्यादि,चाला, रेला आदि का अध्ययन।

(11).सामान्य अध्ययन हेतु-फरोदस्त, दीपचन्दी, झूमरा, कुम्भ तालों में विभिन्न प्रकार की लय दर्शाना।

(12).पाठ्यक्रमीय विभिन्न मात्राओ की तालों में लहरे बजाने का ज्ञान।

(13).पाठ्यक्रम की तालों में बोल, पढंत तथा विभिन्न प्रकार की लयकारियों का प्रदर्शन करना ।

(14).गायन, वादन, नृत्य के साथ संगत का ज्ञान।

(15).कहरवा एवं दादरा ताल में लग्गी व लड़ियां बजाने का ज्ञान ।

टिप्पणी – पूर्व वर्षो का पाठ्यक्रम संयुक्त रहेगा।

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