स्थाई अंतरा संचारी आभोग –
Sthai Antara Sanchai Abhog In Music In Hindi
स्थाई – अंतरा –
स्थाई अंतरा गीत के खंड हैं गीत तथा राग या ख्याल में २ भाग होते हैं स्थाई व अंतरा l गीत में 1 से अधिक अंतरे हो सकते हैं किन्तु राग में एक स्थाई एक अंतरा होता है l
गीत या राग की बंदिश के प्रथम भाग को स्थाई कहते हैं l
गीत या राग की बंदिश के दुसरे भाग को अंतरा कहते हैं l अधिकतर संगीतकार अंतरा की धुन बनाते समय उसकी प्रथम पंक्ति ग , म या प से शुरू करते हैं और उसे तार सप्तक तक लेकर जाते हैं l
जैसे – राग भैरव की बंदिश २ भाग में बट गयी है
बन्दिश-
स्थाई –
धन धन मूरत कृष्णा मुरारी
सुलक्षण गिरिधारी
छवि सुन्दर लगे अति प्यारी
अंतरा –
बंसी धर मन मोहन सुहावे
बली बली जाऊं मोरे मन भावे
सब रंग ज्ञान विचारी
संचारी आभोग –
जिस प्रकार गीत या राग में २ भाग होते हैं उसी तरह ध्रुपद में 4 खंड होते हैं स्थाई अंतरा संचारी आभोग l संचारी में ह्रदय के बल के साथ गमक का प्रयोग किया जाता है और इसको मंद्र व मध्य सप्तक में ही गाते हैं
प्राचीन ग्रंथकार इन्हें धातु कहते थे l ध्रुपद के तीसरे भाग को संचारी कहते हैं
ध्रुपद के चौथे भाग को आभोग कहते हैं