Rabindra Nritya Bhaskar Final Syllabus In Hindi Pracheen Kala Kendra

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Rabindra Nritya Bhaskar Final Syllabus In Hindi

रबिन्द्रा नृत्य

परीक्षा के अंक

पूर्णक: ४००

शास्त्र २००

प्रथम प्रश्न पत्र – १००,

द्वितीय प्रश्न-पत्र – १००

क्रियात्मक – १२५

मंच प्रदर्शन- ७५

शास्त्र

प्रथम प्रश्न पत्र

(1).रवीन्द्र नृत्य का अतीत, वर्तमान और भविष्य ।

(2).निम्नलिखित विषयों पर आलोचना –

  • वर्तमान नृत्य जगत् और रवीन्द्र नाथ ।
  • चित्रकार रवीन्द्र नाथ ।
  • बाउल रवीन्द्र नाथ ।
  • रवीन्द्र नाथ और उनके रचित ताल ।
  • रवीन्द्रनाथोत्तर युग में नृत्य और संगीत पर रवीन्द्र नाथ के प्रभाव।
  • रवीन्द्र संगीत में वेदगान का प्रभाव ।

(3).वाद्य यन्त्र (तानपूरा) की विशेषता ।

(4).मण्डल की परिभाषा, नृत्य में इसका महत्व एवं रस भाव के साथ इसका सम्बन्ध |

(5).रविन्द्रनाथ एवं शान्ति निकेतन

(6).रविन्द्र नाथ द्वारा लिखित ऋतुओं का वर्णन करके बसन्त ऋतु की रचनाओं का लिखित रूप से वर्णन करें।

(7).रविन्द्र नृत्य में प्रयोग होने वाली मुद्राओं का वर्णन ।

(8).नृत्य से सम्बन्धित निबन्ध लिखने में क्षमता ।

द्वितीय प्रश्न पत्र

(1).रवीन्द्र संगीत में वर्षा और बसन्त ।

(2).रवीन्द्र नृत्य शिक्षा गीतांजली में उच्चांग नृत्य की आवश्यकता ।

(3).आधुनिक दर्शक और नृत्य या रवीन्द्र नृत्यनाटय ।

(4).गीतांजली का अन्तर्निहित भाव ।

(5).स्वाधीनता आन्दोलन में रवीन्द्रनाथ तथा उनकी भूमिका ।

(6).रवीन्द्र नाथ के कवि हृदय में बाउल संगीत के विस्तार में लालन फकीर का प्रभाव

(7).पाठयक्रम के अन्तर्गत पूजा, प्रकृति, प्रेम, स्वदेश के गीतों में से एक का भावार्थ ।

(8).रवीन्द्र नाथ द्वारा रचित ताल और हिन्दुस्तानी तालों का तुलनात्मक अध्ययन ।

(9).पुराण युग के शिल्प के आधार पर नृत्य का जो एक विशेष स्थान था, उसकी आलोचना ।

(10).गीतांजली, गीताली और गीतमाल्य में वैष्णव साहित्य का प्रभाव ।

(11).नाटयशास्त्रानुसार करण की व्याख्या ।

(12).रवीन्द्र नृत्य पद्धति से क्या समझा जाता है? रवीन्द्र की स्वकायता की व्याख्या कीजिये ।

(13).रवीन्द्र नाथ का अनुष्ठानिक संगीत ।

(14).पाठ्यक्रम में निर्धारित सब तालों को विभिन्न लयकारियों में लिखने का अभ्यास ।

क्रियात्मक

(1).निम्नलिखित रवीन्द्र संगीत के साथ नृत्य

  • पूजा-कः हृदय नन्दन बने  

ख: माला हाते खशे पड़ा  

गः चरण ध्वनि शुनि तव नाथ

घः देवादिदेव महादेव ।

  • प्रेम- कः की हलो आमार बुझि व साथी

        ख: तुमि रवे नीरवे हृदयें मम

        गः आमार मन माने ना दिन रजनी

         घः दीप निभे गेछे मम

  • प्रकृति – कः विश्व वीणा रवे

            ख: आकाश भरा सूर्य तारा

            गः उन्नाल धारा बादल झरे

           घः आज खेला भागांर खेला

  • भानुसिंह की पदावली – कः गहन कुसुम कुंज माझे

                                 खः बाजा ओरे मोहन बांशी

  • विदेशी सुर- कः काली काली बलरे आज

                 खः सकली फुशलो स्वपन प्राय

(2).एक ही सुर में विभिन्न प्रकार के रवीन्द्र संगीत के साथ दो नृत्य ।

(3).’बाल्मीकि प्रतिभा’ गीति नाट्य के प्रथम दस्यु चरित्र का नृत्य ।

(4).चित्रागंदा, चण्डालिका, श्यामा नृत्य नाटय की नायिका- चरित्रों का नृत्य ।

मंच प्रदर्शन:-

(1).नृत्य परिक्षार्थी को 35 मिनट का शानदार व प्रवीणता सहित मंच प्रदर्शन देना अनिवार्य है।

टिप्पणी-पूर्व वर्षों का पाठयक्रम संयुक्त रहेगा ।

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