Raag description parichay of raag-deshkar in Indian classical music in hindi is described in this post . Learn indian classical music in simple steps.
राग– देशकार
थाट बिलावल मान कर, म नि स्वर दिये निकार ।
ध वादी ग सम्वादी से, चमकत देशकार।।
Hindi notes of Deshkar ragas / राग– देशकार का परिचय
इस राग की उत्पत्ति बिलावल थाट से मानी गई है। इसमें म नि स्वर वर्ज्य है अतः यह औडव जाति का राग है। इसका वादी स्वर ध और सम्वादी ग है। इसका गायन वादन समय दिन का दूसरा प्रहर है।
आरोह– सा, रे ग प, ध सां।
अवरोह– सां, ध, प, ग प, ध प, ग रे सा।
पकड़– ग प, ध प ध।
थाट – बिलावल थाट
वादी -सम्वादी स्वर – ध – ग
वर्ज्य स्वर – म नि स्वर वर्ज्य
जाति – औडव- औडव
गायन समय – दिन का दूसरा प्रहर
राग– देशकार की विशेषता–
- भूपाली राग से बचने के लिए देशकार के आरोह में अधिकतर रे वर्ज्य कर देते है जैसे- सा, ग प, ग प ध।
- यह उत्तरांग प्रधान राग है, इसलिए इसकी चलन अधिकतर मध्यम सप्तक के उत्तरांग में और तार सप्तक में होती है।
- इसमें पंचम और तार षडज बहुत अधिक चमकता है।
- कुछ गायक इसमें प रे की संगति भी करते है, किन्तु अधिकतर गायक देशकार में इसका विरोध करते है।
- इसमें ध वादी और उत्तरांग प्रधान होने के कारण ग प, ग प ध प ध, प ध सां, ध प ध, स्वर समूह में यह राग खिल उठता है।
न्यास के स्वर– प, ध और तार सा।
समप्रकृति राग– भूपाली।
भूपाली–ग प, ध प ग, प ग, सा रे, ध सा।
देशकार– ग प, ध प ध, प, ग प, ग रे सा ।
विशेष स्वर संगतियाँ–
- ग प, ध प ध – प,
- ग प ध -,
- प ध सां प, ध,
- सां, ध प ध।
Raag parichay of all raags in Indian Classical music..
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