Raag description & information , parichay of Sur Malhar raag in Indian classical music in hindi is described in this post . Learn indian classical music in simple steps.
राग सूर मल्हार
अवरोहन ग ध वर्जित, आरोहन ग हानि।
थाट काफी मध्याह्न काल, सूर मल्हार पहिचानी।।
Hindi notes of Sur Malhar raag / राग सूर मल्हार का परिचय
Sur Malhar raag description / information in detail-
इस राग को काफी थाट जन्य माना गया है। आरोह में ग ध और अवरोह में केवल ग वर्जित होने से इसकी जाति औडव-षाडव है। आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल नि प्रयोग किया जाता हैं। गायन समय मध्याह्न काल है। वादी मध्यम व संवादी षडज माना जाता है।
आरोह– सा म रे म, प, नि सां।
अवरोह– सां नि प, म प नि ध प, म – रे नि सा।
पकड़– सा मरे प म, नि म प, नि ध प, म – रे सा।
थाट -काफी थाट
वर्ज्य स्वर – आरोह में ग ध और अवरोह में केवल ग
जाति – औडव-षाडव
वादी – संवादी – म – सा
गायन समय -मध्यान्ह काल है।
राग सूर मल्हार की विशेषता:-
- इस राग की रचना भक्त सूरदास ने की थी, इसलिये इसका नाम सूर मल्हार पड़ा। सूरदास नाम के कई व्यक्ति हो चुके है किन्तु. भक्त सूरदास एक ही है।
- यह मौसमी राग है अतः वर्षाकाल में इसे किसी भी समय गा बजा सकते है।
- नाम से ही यह स्पष्ट है कि यह राग मल्हार का एक प्रकार है। बहुत कम लोग इसे कान्हडे का प्रकार मानते है और कोमल गंधार का प्रयोग करते हैं, किन्तु यह प्रकार प्रचार में नहीं है।
- इस राग में रे प, रे म, नि प, और म रे की संगति बार-बार प्रयोग की जाती हैं जो बहुत कर्णप्रिय लगती हैं। म रे और रे प की संगति मल्हार अंग का सूचक है।
- राग सूर मल्हार को सारंग अंग से गाते हैं। जब सारंग अंग अधिक बढने लगता है तो उसे हटाने के लिए अवरोह में धैवत और मुक्त मध्यम का प्रयोग आवश्यक हो जाता है, जैसे- रे म प, म प नि सां, रे नि सां नि म प नि ध प, म। इसमें सारंग और मल्हार का मिश्रण है। वास्तव में इसमें सारंग के प्रकारों जैसे- वृन्दावनी, बड़हंस, मधमाद और सामंत सारंग का बहुत अंश आता है।
- यह उत्तरांग प्रधान राग है। इसे मध्य और तार सप्तकों में गाते बजाते है। इसका विस्तार मन्द्र सप्तक में अधिक नहीं होता।
- आरोह में षडज से ऊपर जाने के लिए ऋषभ पर मध्यम का कण लेकर मध्यम पर रूकते है या ऋषभ से पंचम पर जाते है। जैसे सा, मरे म अथवा सा म रे प। यह रागांग राग वाचक है। अवरोह में मध्यम से ऋषभ पर मींड से आते है जिससे मल्हार अंग स्पष्ट होता है।
Raag parichay of all raags in Indian Classical music..
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