शिवमत भैरव राग की रचना भैरव थाट से मानी गई है। इसमें दोनों गंधार, दोनों निषाद, तथा ऋषभ- धैवत कोमल प्रयोग किये जाते हैं। जाति वक्र संम्पूर्ण है। वादी स्वर धैवत और संवादी ऋषभ है। गायन समय प्रातःकाल है।
Shivmat Bhairav Raag
Shivmat Bhairav Raag Parichay
आरोह- सा रे(k) ग म प ध(k) नि सां।
अवरोह- सां नि ध(k)प, नि(k) ध(k) प म ग म रे(k) सा, नि सा ग(k) रे(k) सा।
थाट – भैरव थाट
जाति -वक्र संम्पूर्ण
गायन समय – प्रातःकाल
वादी – संवादी – ध – रे
विशेषता:-
नाम से स्पष्ट है कि यह भैरव का एक प्रकार है।
आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल ग नि विशिष्ट स्थान पर प्रयोग किये जाते हैं।
इसकी चलन वक्र है। कुछ विद्वान ने इसमें भैरव और तोड़ी मेल माना है।
शिवमत भैरव राग प्रश्न उत्तर –
शिवमत भैरव राग के आरोह अवरोह पकड़ क्या हैं ?
आरोह- सा रे(k) ग म प ध(k) नि सां।
अवरोह- सां नि ध(k)प, नि(k) ध(k) प म ग म रे(k) सा, नि सा ग(k) रे(k) सा।
शिवमत भैरव राग की जाति क्या है ?
जाति – वक्र संम्पूर्ण
शिवमत भैरव राग का गायन समय क्या है ?
गायन समय – प्रातःकाल
शिवमत भैरव राग में कौन से स्वर लगते हैं ?
आरोह- सा रे(k) ग म प ध(k) नि सां।
अवरोह- सां नि ध(k)प, नि(k) ध(k) प म ग म रे(k) सा, नि सा ग(k) रे(k) सा।
शिवमत भैरव राग का ठाट क्या है ?
थाट – भैरव थाट
शिवमत भैरव राग के वादी संवादी स्वर कौन से हैं ?
वादी – संवादी – ध – रे
शिवमत भैरव राग का परिचय क्या है ?
शिवमत भैरव राग की रचना भैरव थाट से मानी गई है। इसमें दोनों गंधार, दोनों निषाद, तथा ऋषभ- धैवत कोमल प्रयोग किये जाते हैं। जाति वक्र संम्पूर्ण है। वादी स्वर धैवत और संवादी ऋषभ है। गायन समय प्रातःकाल है।