Raag description & information , parichay of raag-Multani in Indian classical music in hindi is described in this post . Learn indian classical music in simple steps.
राग मुलतानी
तीवर मनि कोमल रिगध, आरोहन रि ध हानि।
प स वादी- संवादी से, गावत गुनि मुलतानी।।
Hindi notes of Multani/ राग मुलतानी का परिचय
Raag description / information in detail-
मुलतानी की उत्पत्ति तोड़ी थाट से मानी गई है। इसमें रे ,ग, ध कोमल तथा म तीव्र लगता है। वादी स्वर पंचम तथा संवादी षडज है। आरोह में रिषभ तथा धैवत वर्ज्य है, किन्तु अवरोह में सातों स्वर प्रयोग किये जाते हैं। अतः इसकी जाति औडव- सम्पूर्ण है। इसे दिन के चौथे प्रहर में गाते-बजाते है।
आरोह– नि सा, म(t) ग म(t) प, नि सां।
अवरोह– सां नि ध प, म(t) ग, रे सा।
पकड़– नि सा म(t) ग – म(t) प, म(t) ग म(t) – ग रे सा।
थाट – तोड़ी थाट
वर्ज्य स्वर – आरोह में रिषभ तथा धैवत वर्ज्य है
वादी -सम्वादी स्वर – प – सा
जाति -औडव- सम्पूर्ण
गायन समय – दिन के चौथे प्रहर में गाते-बजाते है
विशेषता–
- मुलतानी में बहुधा आलाप- ताप मंद्र निषाद से प्रारंभ होते है, जैसे- नि सा म(t) ग म(t) प।
- जब कभी मंद्र निषाद से मध्य ग को जाना होता है, तो सर्वप्रथम तीव्र म को स्पर्श करते है तत्पश्चात मींड के साथ गंधार को आते है, जैसे- नि सा म(t) ग रे सा। तीव्र म से गंधार पर आना इस राग की अपनी निजी विशेषता है।
- इस राग की चलन मंद्र, मध्य और तार तीनों सप्तकों में समान रूप से होती हैं।
- इसे परमेल परवेश्क राग माना गया है कारण यह है कि मुलतानी दिन के तृतीय प्रहर का अंतिम राग है। इसमें कोमल गंधार के साथ साथ रे और ध भी कोमल लगते है। ग कोमल होने से यह गनि कोमल राग वाले वर्ग में और रे ध कोमल होने से संधिप्रकाश राग वाले वर्ग में आता है। इसमें दिन के चौथे प्रहर की और संधिप्रकाश समय दोनों की विशेताए है। इस प्रकार यह तोड़ी थाट के रागों से पूर्वी, मारवा, तथा भैरव थाट के रागों में प्रवेश कराता है।अतः परमेल प्रवेशक राग कहलाता है।
- मुलतानी के ऋषभ और धैवत को शुद्ध कर देने से मधुवन्ती राग हो जाता है।
विशेष स्वर संगतियाँ–
- नि सा म(t) ग रे सा।
- नि सा म(t) ग म(t) प।
- प, म(t) ग म(t) – ग रे सा।
- ग म(t) प नि – धप ।
न्यास के स्वर– सा, ग, प और नि।
समप्रकृति राग– तोड़ी।
राग मुलतानी– नि सा म(t) ग म(t) प, म(t) ग म(t) ग – रे सा।
राग तोड़ी- सा रे ग, म(t) ग – रे ग – रे सा।
Raag parichay of all raags in Indian Classical music..
Information of Multani raag parichye in Indian classical music in hindi is described in this post .. Saraswati sangeet sadhana provides complete Indian classical music theory in easy method ..
Click here For english information of this post ..
Some posts you may like this…