Raag description & information , parichay of Miyan ki sarang raag in Indian classical music in hindi is described in this post . Learn indian classical music in simple steps.
राग मियाँ की सारंग
ग वर्जित मध्याह्न काल, गावत काफी अंग।
दो निषाद रे प संवाद, है मियाँ की सारंग।।
Hindi notes of Miyan ki sarang raag / राग मियाँ की सारंग का परिचय
Miyan ki sarang raag description / information in detail-
मियाँ की सारंग को काफी थाट जन्य माना जाता है। गंधार वर्ज्य होने से इसकी जाति षाडव मानी जाती है। दोनों निषाद और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है। गायन समय दोपहर माना जाता है।
आरोह– सा रे म रे, म रे प, म प, नि ध नि सां।
अवरोह– सां नि ध नि ध नि प, म प, म रे, नि सा।
पकड़– म रे प, म प, म रे, सा नि – ध नि – सा।
थाट -काफी थाट
वर्ज्य स्वर – गंधार वर्ज्य
जाति – षाडव
वादी – संवादी – रे – प
गायन समय -गायन समय दोपहर माना जाता है।
राग मियाँ की सारंग की विशेषता:-
- मियाँ की सारंग नाम से स्पष्ट है कि यह सारंग का एक प्रकार है। मियाँ शब्द से इसके रचयिता तानसेन मालूम पड़ते है और अनुमान सही भी है।
- इसमें सारंग और मल्हार का सून्दर मिश्रण है। म रे, प म रे, रे म प म रे, सा रे ऩि सा, स्वर समूह सारंग राग के और म रे प, तथा नि ध नि सां, नि प स्वरावलियाँ मल्हार राग के है। इसके पूर्वांग में सारंग और उत्तरांग में मियाँ मल्हार है।
- यह गंभीर प्रकृति का राग है। इसमें विलम्बित ख्याल और विलम्बित आलाप बहुत अच्छे लगते है। छोटे ख्याल, ध्रुपद-धमार, तराने भी गाये जाते है। इसमें ठुमरी नहीं गाई जाती है।
- मियाँ मल्हार के समान इसका विस्तार विशेष रूप से मंद्र और मध्य सप्तकों में होता है। मंद्र सप्तक का विस्तार कानों को बडा प्रिय लगता है।
- ऋषभ पर मध्यम को और धैवत पर कोमल निषाद का कण लगाया जाता है जो मल्हारांग सूचक है।
- मियाँ मल्हार के समान इसमें दोनों निषादों का प्रयोग किया जाता हैं।
- आरोह-अवरोह दोनों में धैवत वक्र प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी अवरोह में नि प के बाद सीधे स्वर भी प्रयोग कर लिये जाते है, जैसे ध प म रे सा।
न्यास के स्वर– सा, रे और प।
समप्रकृति राग– सारंग और मियाँ मल्हार।
Raag parichay of all raags in Indian Classical music..
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