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Hindi notes of Devshakh raag / राग देवशाख का परिचय
Devshakh raag description / information in detail-
राग देवशाख की विशेषता:-
- इसमें गंधार-निषाद कोमल, धैवत वर्ज्य और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। इसलिये इसे काफी थाट के अन्तर्गत रखा गया है। वादी स्वर षडज और संवादी पंचम माना गया है। गायन समय दिन का मध्याह्न काल है।
आरोह– सा म रे प म नि प सां।
अवरोह– सां नि प म म ग म रे सा।
- यह कान्हडा का एक प्रकार है फिर भी इसका गायन समय दोपहर है। इसमें गंधार आंदोलित होता है। यद्यपि आरोह में गंधार वर्ज्य माना गया है फिर भी ग म रे सा, स्वर समूह अवश्य प्रयोग किया जाता हैं।
स्वरूप– सा, नि सा, प नि प, सा म ग म ग म रे सा। नि सा म ग म ग म प, नि प म प म ग म रे सा, नि सा, रे सा। प नि प सां, रें सां, मं गं मं गं मं रें सां, नि प, मप निप ग – म रे सा, नि सा रे सा, प़ ऩि प़ सा।
Raag parichay of all raags in Indian Classical music..
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